Magazine - Year 1994 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
आगत की झाँकी, अचेतन के झरोखे से
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
स्वप्न विद्या अध्यात्म विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग और मानव-जीवन की एक अवस्था है जिसका विकास-परिष्कार करके अचेतन मस्तिष्क में छिपी रहस्यमयी शक्तियों को जाग्रत किया और परोक्ष-जगत के रहस्यों को आसानी से समझा जा सकता है। इस तथ्य को उन घटनाक्रमों के माध्यम से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है जिसमें भूत या भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास व्यक्तियों को स्वप्नों के द्वारा मिल जाता है। कभी-कभी तो भावी दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वाभास सामूहिक रूप से भी होता है। एक ही घटनाक्रम के दृश्य या प्रेरणा अनेक व्यक्तियों के अचेतन मस्तिष्क में स्वप्नावस्था में कौंध जाते हैं और उन्हें अपने जीवन रक्षा के लिए सचेत करते हैं। यह घटनायें बताती है कि चेतना के धरातल पर सभी मनुष्य एक दूसरे से अविच्छिन्न रूप से जुड़े हुए हैं, तभी तो घटनाक्रम घटने के पूर्व ही उसके स्वरूप की, घटने के समय की जानकारी सामूहिक रूप से कइयों को स्वप्न में मिल जाती है। इस तरह की अनेक घटनाओं का वर्णन “द अनएक्सप्लेंड मिस्ट्रीज ऑफ माइंड, स्पेश एण्ड टाइम” एवं “टू एक्सपीरियन्सेज इन प्रोफेसीज” नामक पुस्तकों में विस्तारपूर्वक किया गया है।
ऐसी ही एक घटना वेल्स-इंग्लैंड के एक गाँव ‘एबरफेन’ की है, जहाँ लगातार पाँच दिनों की घनघोर वर्षा के कारण कोयले का एक विशाल पहाड़ अचानक धँस पड़ा और प्रबल वेग से बहने लगा। प्रवाह इतना तीव्र था कि गाँव का निकटवर्ती स्कूल उसमें देखते-देखते डूब गया और उसमें उपस्थित डेढ़ सौ के करीब छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक सभी जीवित दफन हो गये। उन्हें निकल कर भागने तक का अवसर न मिला। इसके अतिरिक्त गाँव के आस-पास के अन्य घी भी उसमें दबकर नष्ट हो गये। कितने ही ग्रामवासी और उनके पशु इस आकस्मिक विपदा में फँसकर अपनी जान गँवा बैठे। खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गयी। यह प्राकृतिक विपदा सन् 1966 के अक्टूबर माह की 21 तारीख को सबेरे 9 बजकर 15 मिनट पर घटित हुई।
समीपवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का इस विभीषिका का पूर्वाभास बहुत पहले हो गया था। उसी स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा एरिल जोन्स को घटना से दो दिन पूर्व ही स्वप्न में वह भयावह दृश्य दिख गया था। जोन्स ने अनुभव किया था कि स्कूल अपने स्थान पर है नहीं, उसकी जगह कोयले का एक बड़ा ढेर लगा हुआ है । उसने यह बात अपनी माँ से बतायी, पर उसके कथन को हँसी में टाल दिया गया। इसी प्रकार एक महिला ने स्वप्न में देखा कि एक काला पहाड़ बह रहा है, कुछ बच्चे चिल्लाते हुए दौड़ रहे हैं और कुछ उसकी चपेट में आकर अपनी जीवनलीला गँवा बैठे हैं। एक व्यक्ति को पूर्वाभास हुआ कि एक बच्चा टेलीफोन बूथ की ओर भाग रहा है और कुछ अन्य लोग उसके पीछे दौड़ रहे हैं। सबके पीछे काले पानी का वेगवान प्रवाह गतिमान हैं । एक महिला ने यह दृश्य देखा कि उक्त स्कूल के कुछ विद्यार्थी अपनी स्कूल पोशाक में आसमान की ओर गमन कर रहे हैं, जबकि एक वृद्ध पुरुष को ‘एबरफेन’ शब्द स्वप्न में स्पष्ट और चमकदार अक्षरों में लिखा दिखाई पड़ा। इन सारी बातों का पता तब चला जब समाचार पत्र वालों ने उक्त घटना से संबंधित पूर्वाभास का सर्वेक्षण किया। पाया गया कि एक महिला को दुर्घटना से दो सप्ताह/पूर्व ही चीखते-चिल्लाते व काले पहाड़ के नीचे दबे हुए कुछ बच्चों का दृश्य स्वप्न में दिखा था। केण्ट निवासी एक युवक को पंद्रह दिन पूर्व इस घटना का पूर्वाभास हो गया था कि कोई दुर्घटना होने वाली है जिसमें सैकड़ों लोग काल−कलवित होंगे। इसी प्रकार वेल्स के एक अन्य स्कूल के अध्यापक अलेक्जेंडर वेन को घटना से संबंधित दृश्य कई दिनों तक लगातार दिखाई देते रहे। उसने इस आधार पर एक पेंटिंग भी बना ली थी। प्लायमथ की मनोविज्ञानी श्रीमती मिलडन को ध्यान की स्थिति में इस आपदा का आभास मिल गया था जिसका उल्लेख उसने अपने पड़ोसियों से भी किया था । बाद में जब वही दृश्य टी वी पर दिखाया गया तो पड़ोसी हैरत में पड़ गये और कहने लगे कि यदि उन संकेतों को समझने का प्रयास किया गया होता तो निश्चय ही दुर्घटना से पूर्व लोगों को बचाया जा सकता था।
स्वप्नों के माध्यम से कई बार ऐसी षड्यंत्रकारी घटनाओं का भी पूर्वाभास हो जाता है जिसमें अपने सगे-संबंधियों या अन्यों द्वारा जान खतरे में पड़ने वाली होती है। ऐसा ही एक पूर्वबोध इंग्लैंड के ‘मेरी ड्युडर’ के शासनकाल के समय निकोलस विटन को हुआ था। उस समय निकोलस पेरिस में इंग्लैंड का राजदूत था। उसे एक दिन स्वप्न हुआ कि उसका भतीजा-टामस विट्टन स्वयं को एक ऐसे षडयंत्र में फँसा रहा है जिससे परिवार की प्रतिष्ठ को आघात पहुँच सकता है और उसका जीवन खतरे में पड़ सकता है। आरंभ में तो निकोलस ने कोई ध्यान न दिया, पर जब वही स्वप्न लगातार कई दिनों तक बराबर दिखता रहा, तो उसने विशेष स्वप्न मानकर उसे गंभीरतापूर्वक लिया और इस आशय का एक पत्र महारानी को लिखकर यह निवेदन किया कि टामस को कुछ समय के लिए पेरिस से वापस बुलाकर उसे कारावास में रखा जाय। विषय की गंभीरता को समझते हुए ऐसा ही किया गया। उसे बंदी बना लिया गया। घटना इसके थोड़े दिनों के पश्चात् ही रानी के विरुद्ध चल रहे षडयंत्र का पता चला, जिसमें टामस के कई साथियों को फाँसी की सजा दी गयी।
वस्तुतः इस तरह के पूर्वाभास परक स्वप्न अचेतन की स्थिति में होते हैं, क्योंकि पूर्ण सचेतन स्थिति में मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध एक दूसरे के समन्वय से काम करते हैं एवं एक की स्वतंत्रता पर दूसरे का अंकुश लगा रहता है। अतः कोई सार्थक दृश्य प्रस्तुत करने का उन्हें मौका नहीं मिलता, किंतु जब व्यक्ति स्वप्न की अचेतन अवस्था में होता है तो दोनों के क्रियाकलाप स्वतंत्र होते हैं, फलतः यदा-कदा मन को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की झलक झाँकी मिल जाती है। अपनी भावनाओं को परिष्कृत एवं चिंतन-चरित्र को दात्त बनाकर अचेतन मन का परिष्कार किया जा सके तो संभावित भविष्य की झलक- झाँकी प्राप्त कर सकना ही किसी के लिए संभव है।