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ज्ञान का सम्बल दुखों से दिलाए मुक्ति
हिंसा क्या अहिंसा क्या?
यह जगत् ब्रह्म सत्ता की इच्छा-स्फुरणा मात्र
न यहाँ भूत है, न वर्तमान, न भविष्यत काल
क्रोधी, लक्ष्य से वंचित
मानवी सत्ता विद्युत्स्फुल्लिंगों की क्रीड़ा-कल्लोल मात्र
कहीं! हमें भी सनकने का रोग तो नहीं?
सफलता, असफलता दोनों ही सिखाती है हमें जीवन जीना
महानता का मापदण्ड क्या हो?
संस्कृति है सौन्दर्य की उपासना
द्वैत की समाप्ति, अद्वैत की प्राप्ति
जब सभी कामनाएँ चुक जाएँ ..........
अब बारी देवत्व के विकास की है
अपने समय की सबसे बड़ी आवश्यकता - नारी जागरण
समग्र परिवर्तन की बेला आ पहुँची
भावनात्मक परिष्कार ही एक मात्र समाधान
सफलता की कुंजी हैः संकल्प शक्ति
अवसर को पहचान लेने की औचित्य भरी सूझ-बूझ
तालबद्ध, सुनियोजित जीवन क्रम
अ. मातृ वंदना (कविता)-शचीन्द्र भटनागर, ब. मातृ सत्ता से (कविता)-माया वर्मा(परम वंदनीया माताजी के जन्म दिवस आ.कृ. चतुर्थी २३ सितम्बर की पावन बेला में सादर समपत)
सही ढंग से साँस लें- नीरोग बनें
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- कैसे हो आध्यात्मिक कायाकलप?
विशिष्ट सामयिक लेख- महान् याचक की महान् याचना
संपादकीय- अपनों से अपनी बात, सशक्त शक्ति उद्गम से जुड़ने का ठीक यही समय
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-
Year 1994 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
संपादकीय- अपनों से अपनी बात, सशक्त शक्ति उद्गम से जुड़ने का ठीक यही समय
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51
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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