Magazine - Year 1995 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
सफलता के मणिमुक्तक पाएँ तो कैसे?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
सफलता पानी है तो उसके लिए प्रबल संकल्प शक्ति तथा सतत् अध्यवसाय एक अनिवार्य शर्त है। स्वतः हम हर दिन कार्य में सफल होते चले जाएंगे, कोई दैवी अनुकंपा किसी के आशीर्वाद से कुछ तंत्र-तंत्र कर्मकाण्डादि से हम पर बरसती चली जाएगी यह आशा करना तो शेखचिल्ली का सपना भर है। सफलता के मणिमुक्तक यूँ ही धूल में बिखरे हुए नहीं पड़ हैं। उन्हें पाने के लिए गहरे में उतरने की हिम्मत इकट्ठी करनी होगी, कठोर परिश्रम करने व करते रहने की शपथ लेनी होगी। कठोर, दमतोड़ और टपकते स्वेद कणों वाला परिश्रम ही जीवन का सबसे श्रेष्ठ उपहार है। इसी के फलस्वरूप लौकिक जीवन की समस्त सफलताओं-विभूतियों को पाया जा सकता है।
सुअवसर की प्रतीक्षा में बैठे रहना, कुछ न कर काहिली में उपलब्ध समय रूपी संपदा को गँवा बैठना तो मानव जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता है। उद्यम के लिए हर घड़ी हरपल एक शुभ मुहूर्त है, सुअवसर है। सस्ती सफलता-शीघ्र सिद्धि प्राप्त करने की ललक के फेर में पड़े रहने से वस्तुतः कुछ भी लाभ नहीं। कुण्डली, फलित ज्योतिष-सर्वार्थ सिद्धि योग आदि में समयक्षेप अवसर चूक जाने के बाद काफी पछतावा देता है। चिरस्थायी प्रगति के लिए राजमार्ग पर अनवरत परिश्रम और अपराजेय साहस को साथ लेकर चलना होगा। पगडंडियाँ या “शार्टकट” ढूँढ़ना बेकार है। वे भटका सकती हैं। जिनने भी कुछ सफलता पायी है, जिसे इतिहास में लिखा गया उन्हें गहराई तक खोदने व उतरने के लिए कटिबद्ध होना पड़ा है। विजय श्री का वरण करने के लिए कमर कसना, आस्तीन चढ़ाना और खोदने की प्रक्रिया आरंभ कर देना आवश्यक है, पर ध्यान यह भी रखा जाना चाहिए कि अनावश्यक उतावली से कहीं कुदाली से पैर ही न कट जायँ।
परिस्थितियाँ, साधन एवं क्षमता का समन्वय करके आगे बढ़ना ही समझदारी है। यही सफलता के लिए अपनायी गयी सही रीति-नीति है। किंतु यह तथ्य गाँठ बाँध लिया जाना चाहिए कि सफलता केवल समझदारी पर ही तो निर्भर नहीं है, उसका मूल्य माथे से टपकने वाले श्रम सीकरों से ही चुकाना पड़ता है।