• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • चाहिए एक अहिंसक आध्यात्मिक समाज
    • भाग्य विधाता है मनुष्य अपने आपका
    • चमत्कारों की चलती-फिरती पिटारी-मानव
    • विश्व ब्रह्माण्ड की रहस्यमयी कृतियाँ : ब्लैक होल
    • बड़प्पन की कसौटी
    • क्या अब भी नकारेंगे आप मरणोत्तर जीवनरूपी सत्य को?
    • उद्धरेत् आत्मनात्मानं
    • मंत्राराधन एवं शब्द-शक्ति का स्फोट
    • संगठित जनशक्ति का बल
    • जानिए और बढ़ाइए अपनी अंतः की शक्ति को
    • सन्त वायजीद और कुत्ता (Kahani)
    • योगबल की सिद्धि-सामर्थ्य
    • सच्चा सौंदर्य अन्तस् का ही है।
    • चेतना-विज्ञान की विश्व मनीषा से अपेक्षाएँ
    • परोक्ष में विचरण कर रहे ये अदृश्य सहायक
    • आप करें न करें, प्रकृति आपकी चिंता खुद करती है।
    • प्राण दे नहीं सकते तो लेने का अधिकार भी नहीं
    • बड़ी ही गूढ़ है मनः संस्थान का क्रिया - विज्ञान
    • सच्चा श्राद्ध (Kahani)
    • शब्द ब्रह्म और उसकी सिद्धि
    • सत, चित, आनन्द
    • स्वाध्यायः आज के परिप्रेक्ष्य में विवेचना
    • VigyapanSuchana
    • अनुयाज-पुनर्गठन-1 विशेष लेखमाला-4 - साधना का उच्चस्तरीय आयाम है- मनन
    • पुनर्प्रकाशित विशेष लेखमाला-11 - लोकसेवी का लोक व्यवहार कैसा हो ?
    • मेरी विगत डेढ़ माह की आप बीती कुछं अनुभूतियाँ
    • कैसे होगा समन्वय, विज्ञान और अध्यात्म का?-परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • गायत्री-जयंती (28 मई) के संदर्भ में विशेष लेख - अवतरण-पर्व सार्थक बने
    • शक्तियों का भाण्डागार गायत्री-महामंत्र
    • अपनों से अपनी बात - अगले दिनों चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह बदलेगीपंचायत राज्य ही विश्व-शासन का आधार बनाएगा
    • Quotation
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • चाहिए एक अहिंसक आध्यात्मिक समाज
    • भाग्य विधाता है मनुष्य अपने आपका
    • चमत्कारों की चलती-फिरती पिटारी-मानव
    • विश्व ब्रह्माण्ड की रहस्यमयी कृतियाँ : ब्लैक होल
    • बड़प्पन की कसौटी
    • क्या अब भी नकारेंगे आप मरणोत्तर जीवनरूपी सत्य को?
    • उद्धरेत् आत्मनात्मानं
    • मंत्राराधन एवं शब्द-शक्ति का स्फोट
    • संगठित जनशक्ति का बल
    • जानिए और बढ़ाइए अपनी अंतः की शक्ति को
    • सन्त वायजीद और कुत्ता (Kahani)
    • योगबल की सिद्धि-सामर्थ्य
    • सच्चा सौंदर्य अन्तस् का ही है।
    • चेतना-विज्ञान की विश्व मनीषा से अपेक्षाएँ
    • परोक्ष में विचरण कर रहे ये अदृश्य सहायक
    • आप करें न करें, प्रकृति आपकी चिंता खुद करती है।
    • प्राण दे नहीं सकते तो लेने का अधिकार भी नहीं
    • बड़ी ही गूढ़ है मनः संस्थान का क्रिया - विज्ञान
    • सच्चा श्राद्ध (Kahani)
    • शब्द ब्रह्म और उसकी सिद्धि
    • सत, चित, आनन्द
    • स्वाध्यायः आज के परिप्रेक्ष्य में विवेचना
    • VigyapanSuchana
    • अनुयाज-पुनर्गठन-1 विशेष लेखमाला-4 - साधना का उच्चस्तरीय आयाम है- मनन
    • पुनर्प्रकाशित विशेष लेखमाला-11 - लोकसेवी का लोक व्यवहार कैसा हो ?
    • मेरी विगत डेढ़ माह की आप बीती कुछं अनुभूतियाँ
    • कैसे होगा समन्वय, विज्ञान और अध्यात्म का?-परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • गायत्री-जयंती (28 मई) के संदर्भ में विशेष लेख - अवतरण-पर्व सार्थक बने
    • शक्तियों का भाण्डागार गायत्री-महामंत्र
    • अपनों से अपनी बात - अगले दिनों चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह बदलेगीपंचायत राज्य ही विश्व-शासन का आधार बनाएगा
    • Quotation
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1996 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


भाग्य विधाता है मनुष्य अपने आपका

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


2 Last
“मनुष्य अपने भाग्य का विधाता आप है।” यह उक्ति एक ही तथ्य को इंगित करती है कि मनुष्य चाहे तो कोई भी असंभव से असंभव कार्य इस दुनिया में किसी के भी द्वारा किया जा सकता है। वह उसके जीवट के बलबूते संभव है। प्रारब्ध, संचित, क्रियमाण के सिद्धान्त अपनी जगह सही होते हुए भी एक तथ्य अपनी जगह सुनिश्चित एवं अटल है कि मनुष्य अपनी संकल्प-शक्ति के सहारे अपने भाग्य को बदल पाने में समर्थ है। ऐसा बहुतों ने किया है, वर्तमान में भी अनेकानेक उसी दिशा में संलग्न है और भविष्य में भी ऐसा होता रहेगा।

मनुष्य को ईश्वर का श्रेष्ठतम एवं वरिष्ठ पुत्र युवराज कहकर संबोधित किया गया है। उससे यह भी अपेक्षा रखी गई है कि वह अपने कर्मों के सहारे इस सृष्टि रूपी बगिया को सुरम्य, सुरुचिपूर्ण और अनुशासित बनाये रखे। यह मनुष्य का सौभाग्य है कि वह इस सुरम्य, सुरुचिपूर्ण और अनुशासित बनाये रखे। यह मनुष्य का सौभाग्य है कि वह इस सुरदुर्लभ मानव तन को पाकर इस धरती पर आया है। उसे एक अवसर दिया गया है कि वह वह श्रेष्ठ कर्म करता हुआ भव-बन्धनों से मुक्त होता चले। जो अवसर किसी को भी प्राप्त नहीं है वह देवताओं को व अन्यान्य योनियों में रहने वाले प्राणियों को उस परम पिता परमात्मा ने मनुष्य को अपना युवराज होने के नाते प्रदान किया है। अब यह उस पर निर्भर है कि वह दिये गये दायित्व का निर्वाह कर रहा है अथवा अपने दुष्कर्मों द्वारा इस विश्व-वसुधा रूपी अपने कार्य-क्षेत्र में अव्यवस्था पैदा कर रहा है।

स्वर्ग-नरक जो कुछ भी है सब इसी धरती पर मौजूद हैं। परिष्कृत उदात्त मनःस्थिति का नाम ही स्वर्ग है। यही ऐसा वातावरण विनिर्मित करती है कि चारों ओर स्वर्गोपम परिस्थितियाँ स्वतः बनने लगती है। मनुष्य यदि चाहे तो निषेधात्मक चिंतन, ईर्ष्या-द्वेष भाव रखते हुए अथवा नरपशु, नर-पिशाच का जीवन जीते हुए नारकीय मनःस्थिति में भी रह सकता है। इस धरती को स्वर्ग जैसा सुन्दर ऐश्वर्ययुक्त बनाये रखना ही ईश्वर को मनुष्य से अभीष्ट है। इसीलिए उसे पूरी छूट दी गई है कि वह अपने मानव शरीर वाली इस योनि में जितना भी कुछ श्रेष्ठतम संभव हो सकता है वह दी हुई अवधि में कर दिखाये। इसी को कहते हैं।- “अपने भाग्य का स्वयं निर्माण करना ।”

2 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • चाहिए एक अहिंसक आध्यात्मिक समाज
  • भाग्य विधाता है मनुष्य अपने आपका
  • चमत्कारों की चलती-फिरती पिटारी-मानव
  • विश्व ब्रह्माण्ड की रहस्यमयी कृतियाँ : ब्लैक होल
  • बड़प्पन की कसौटी
  • क्या अब भी नकारेंगे आप मरणोत्तर जीवनरूपी सत्य को?
  • उद्धरेत् आत्मनात्मानं
  • मंत्राराधन एवं शब्द-शक्ति का स्फोट
  • संगठित जनशक्ति का बल
  • जानिए और बढ़ाइए अपनी अंतः की शक्ति को
  • सन्त वायजीद और कुत्ता (Kahani)
  • योगबल की सिद्धि-सामर्थ्य
  • सच्चा सौंदर्य अन्तस् का ही है।
  • चेतना-विज्ञान की विश्व मनीषा से अपेक्षाएँ
  • परोक्ष में विचरण कर रहे ये अदृश्य सहायक
  • आप करें न करें, प्रकृति आपकी चिंता खुद करती है।
  • प्राण दे नहीं सकते तो लेने का अधिकार भी नहीं
  • बड़ी ही गूढ़ है मनः संस्थान का क्रिया - विज्ञान
  • सच्चा श्राद्ध (Kahani)
  • शब्द ब्रह्म और उसकी सिद्धि
  • सत, चित, आनन्द
  • स्वाध्यायः आज के परिप्रेक्ष्य में विवेचना
  • VigyapanSuchana
  • अनुयाज-पुनर्गठन-1 विशेष लेखमाला-4 - साधना का उच्चस्तरीय आयाम है- मनन
  • पुनर्प्रकाशित विशेष लेखमाला-11 - लोकसेवी का लोक व्यवहार कैसा हो ?
  • मेरी विगत डेढ़ माह की आप बीती कुछं अनुभूतियाँ
  • कैसे होगा समन्वय, विज्ञान और अध्यात्म का?-परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
  • गायत्री-जयंती (28 मई) के संदर्भ में विशेष लेख - अवतरण-पर्व सार्थक बने
  • शक्तियों का भाण्डागार गायत्री-महामंत्र
  • अपनों से अपनी बात - अगले दिनों चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह बदलेगीपंचायत राज्य ही विश्व-शासन का आधार बनाएगा
  • Quotation
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj