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जीवन की मूल प्रेरणा है-परमार्थ
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामत्तनाशनम्
अध्यात्म चेतना का ध्रुव है- देवात्मा हिमालय
शौर्य का रहस्य
सत्य का अवलम्बन ही वरेण्य
प्राणशक्ति का अभिवर्धन करे- प्राणायाम से
उज्ज्वल भविष्य का संदेशवाहकः देवदूत
अनगढ़ चंचल मन को एकाग्र कैसे करे?
जीवन जीने की कला सिखाती है आस्तिकता
आ रहा है चिकित्सा का स्वर्णिम् युग
सच्च सत्संग
यह कैसा विरोधाभास?
रहस्यमय् भारत, अनूठे यहाँ के लोग
नशेबाजों जैसा उद्धत आचरण महँगा पड़ेगा
परिस्थितियों का दास नहीं, नियंता है मनुष्य
क्यों इतराते हैं अपने बुद्धि कौशल पर आप?
जीवन पर्यन्त जीता है मानव चार युगों में
फिजिक्स से मेटाफिजिक्स की ओर
क्यों आत्महत्या को उतारू है आज की दुनिया
हरीतिमा संवर्धन ही एकमात्र उपाय
भावी युग भावनात्मक विकास को योग्यता का मानदण्ड मानेगा
जादुई 'जीन्स' के रहस्य अब उद्घाटित हो रहे हैं
सुनियोजित हमारी यज्ञ प्रक्रिया
हम राजनीति में भाग क्यों नहीं लेते? (२)
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
जिज्ञासाएँ आपकी- समाधान हमारे
अपनों से अपनी बात-यह वसंत पर्व कुछ सुनिश्चित संभावनाएँ लेकर आया है, वासंती उल्लास अंग-प्रत्यंग में उमड़ा दीख पड़े
अखण्ड ज्योति क्यों पढ़ें? क्यों पढ़ायें?
वासन्ती संदेश (कविता) -मंगल विजय
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-
Year 1997 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
जीवन की मूल प्रेरणा है-परमार्थ
2
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
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