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प्रभु! तुम्हारा विश्वास शक्ति बनें, याचना नहीं
जिसने जीवन-लक्ष्य को बेधा
सुव्यवस्थित विचारों से रँगें अपने मन का कैनवास
चलता-फिरता बिजलीघर है मनुष्य
प्रतिभा मात्र इसी जन्म की देन नहीं
यो औषधिषु, यो वनस्पतिषु-तस्मै देवाय नमो नमः
मृतात्मा ने दुश्मनों से बचाया
इच्छाशक्ति से गुणसूत्र भी बदले जा सकते हैं
गायत्री साधना के आरम्भिक सोपान
विचारों की दौलत
अग्नि और सोम के परस्पर प्रत्यावर्तन का अनूठा प्रयोग
शाश्वत काल है- परमात्मा
मरण की स्मृति ही वास्तविक अनुभूति
संस्कृति चिन्तन
जीवन मूल्यों का यक्ष प्रश्न और उसका हल
एक व्यक्ति, एक साथ, एक ही समय में दो स्थानों पर
महत्वाकांक्षाओं को आदर्शवाद के साथ जोड़ दें
अन्दर के कपाट खोलती है- स्वाध्याय प्रक्रिया
हँसता-हँसाता, मस्ती भरा जीवन जियें
चमत्कारी उपलब्धियों वाली साधनाः कुछ तथ्य, कुछ अनुभूतियाँ
निर्भीक कवि की बेबाक अभिव्यक्ति
किसकी सलाह लें? कब लें?
सम्मान वैभव को नहीं, गुणों को मिले
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
महासंजीवनी है- चोकर
अपना-अपना चुनाव
अपनों से अपनी बात- संस्कार महोत्सव क्यों? डकस लिए
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Year 1997 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
प्रभु! तुम्हारा विश्वास शक्ति बनें, याचना नहीं
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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सुव्यवस्थित विचारों से रँगें अपने मन का कैनवास
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