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आस्था है दृढ़ विवेक युक्त आस्था की
सही अर्थों में उपदेशक
जानें ध्यान के मर्म व उसके लाभों को
प्रज्वलित हुआ वैराग्य
सच मानिए , हम अकेले नहीं हैं
असफलताएँ खोलती हैं सफलताओं का द्वार
भक्ति की अग्नि परीक्षा
आत्मसत्ता की महिमा हमने ना जानी
'स्व' में अधिष्ठत होने की विशिष्ठ साधना
अप्प दीपो भव
कैसे हो शब्दब्रह्म की साधनासिद्धि
महायज्ञैश्च यज्ञैश्च ................
निष्काम कर्मयोगी
सूत्र - संचालक के दिव्यप्राण की संवाहक - अखण्ड ज्योति
युगपुरुष की लेखनी से ................
ज्योतिष से परे होता है एक मुक्त- पुरुष
नारी के समग्र विकास में ही पुरुष का हित
मनोव्यथाएँ न पालें , आँसु बहा लें
आपका स्वास्थ्य अर्युवेद के मतानुसार
युग गीता - २
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
अखण्ड- ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व
लोकसेवियों के लिए दिशाबोध - १ अपने अंग- अवयों से
गायत्री जंयती के संदर्भ में विशेष लेख - आराध्य सत्ता की पुण्य तिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि यह हो
अपनों से अपनी बात
गुरुवर के स्वप्नों का साकार रुप - शांतिकुंज
गुरुसत्ता की पाती शिष्यों के नाम (कविता) -शचीन्द्र भटनागर
रूपान्तरण ऊर्ध्वमुखी हो
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Year 1999 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
आस्था है दृढ़ विवेक युक्त आस्था की
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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सही अर्थों में उपदेशक
जानें ध्यान के मर्म व उसके लाभों को
प्रज्वलित हुआ वैराग्य
सच मानिए , हम अकेले नहीं हैं
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रूपान्तरण ऊर्ध्वमुखी हो