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आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ
कृष्ण आराधिका मीरा
पंद्रह साल बाद सही होता लग रहा उपन्यास
संवेदना का जागरण ही भटकन रोक पाएगा
योगेश्वर की माया
जागे रहें , ताकि ध्यान सिद्ध हो
विश्वास नहीं करें तो भी मंत्र फल देते हैं
समरसता ही जीवन है
प्रतिभासंर्वद्धन की दिशा में चल रहे बहुमुखी प्रयास
दृढ़ निश्चय हो तो सफलता अवश्य मिलेगी
शिक्षाविस्तार ही दिला सकता है नारी को गौरव
मादरे वतन पर कुरबान एक जाँबाज
गुरु ने बताई जीवन की साथर्कता
बीसवीं शती में राजनीति का अनुभव सार
युगपुरुष की लेखनी से
शोर हमें पागल कर दे , इससे पूर्व चेतें
इस दीपोत्सव पर्व पर हमारी आस्था का बुझा दीप जले
आपका स्वास्थ्य आयुर्वेद के मतानुसार -८, हमारी रात्रिचर्या
सही मायने में राष्ट्रीय पर्व दीपावली
संतवाणी -- श्री अरविंद, धन-वैभव - महालक्ष्मी का कृपाप्रसाद
घर में रसोईकक्ष की स्थिति कहाँ हो
लोकसेवियों के लिए दिशाबोध - ६, साधनासमर के लिए ससर्थ बनें सृजनसैनिक
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- फिजाँ बदल देती है अवतार की आँधी
युगगीता - ७, जो परमातमा मे अधिष्ठत हो , वही है स्थित प्रज्ञ
गुरुकथामृत -४, पत्रों से संप्रेषित होता शक्तिपात
अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व, ऐ अज्ञानियो! मझधार में डूब मरोगे
अपनों से अपनी बात-महापूर्णहुति की महायोजना
परिजनो से एक भावभरा अनुरोध
शान्ति का धाम (कविता) शचीन्द्र भटनागर
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Year 1999 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ
2
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
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कृष्ण आराधिका मीरा
पंद्रह साल बाद सही होता लग रहा उपन्यास
संवेदना का जागरण ही भटकन रोक पाएगा
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