Magazine - Year 2002 - Version 2
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Language: HINDI
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केन्द्र के समाचार-क्षेत्र की हलचलें
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पूर्वोत्तर समृद्धिकरण गायत्री महायज्ञ-समाचार लिखे जाने तक पूरा पूर्वोत्तर-आसाम, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल, सिक्किम, नेपाल व भूटान वहाँ संपन्न हो रहे समृद्धिकरण गायत्री महायज्ञ (251 कुँडी) की तैयारियों में लगा था, गायत्री महामंत्र से गुँजायमान हो रहा था। यह अंक हाथ में आने तक यह महायज्ञ संपन्न हो चुका होगा। गुवाहाटी के परिजन शाँतिकुँज पहुँचे और कलश पूजन के पश्चात गायत्री तीर्थ की परिक्रमा कर उसे सीधे कामाख्या पीठ ले गए, जहाँ से एक शोभायात्रा निकाली गई। आठों प्राँतों-नेपाल व भूटान में स्थान-स्थान पर गोष्ठियाँ, दीपयज्ञ, स्वागत-समारोह संपन्न हो रहे हैं और एक नया उत्साह जाग रहा है। यह महायज्ञ 15 से 18 मार्च की तारीखों में प्रस्तावित है और निश्चित ही इसके परिणाम बड़े विलक्षण व राष्ट्र को संगठित-अखंड बनाने की दिशा में नियोजित होंगे।
संगठन दौरों से पूरा गुजरात मथ गया
संगठन सशक्तीकरण की पूर्व वेला में वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं द्वारा संपन्न जनवरी की 11 से 16 तारीख के बीच उत्तर गुजरात, 23 से 28 तारीख के बीच दक्षिण गुजरात तथा फरवरी के तीन से तेरह तारीखों के बीच सौराष्ट्र व कच्छ क्षेत्र का अति महत्त्वपूर्ण मंथन संपन्न हुआ। कार्यकर्त्ता सामूहिक रूप से संगठन में भागीदारी कैसे करें, जिला स्तर पर संगठन को शक्तिपीठों से जोड़कर कैसे सशक्त बनाएँ, इस दिशा में एक दिशाबद्ध प्रयास किया गया। इसी के साथ बड़ौदा में गुजरात स्तरीय भारतीय संस्कृति ज्ञानपरीक्षा पर एक सेमीनार को भी का भी आयोजन किया गया। साथ-ही-साथ दीव, वीरवल, तलाला, चलाला आदि स्थानों पर कार्यकर्त्ता समागम तथा अहमदाबाद-गांधी नगर में प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम (क्राँतिकुँज) भी संपन्न हुआ, जिसमें सारे प्राँत के कार्यकर्त्ता पहुँचे। मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जहाँ गाँधीनगर के ‘वैक्सीनेशन कार्यक्रम’ का शुभारंभ करने पहुँचें, वहाँ अहमदाबाद मेडीकल एसोसिएशन एकाउन्टेंट जनरल (आडिट) कार्यालयों में वर्कशॉप-सेमीनार का आयोजन हुआ। एक तरह से दोनों नगर ज्ञान गंगा में नहा गए। यह कार्यक्रम 20, 21 जनवरी को हुए।
संस्कृति ज्ञान परीक्षा पुरस्कार वितरण स्थान
स्थान पर-सारे देश में अब प्राँतीय स्तर के संस्कृति ज्ञानपरीक्षा पुरस्कार वितरण समारोहों के साथ-साथ शिक्षा व विद्या के सार्थक समन्वय पर राष्ट्रीय स्तर की बहस चल पड़ी है। सभी की निगाहें देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पर लगी हैं। पिछले दिनों अंबाला में (2 फरवरी) हरियाणा स्तर के तथा शाँतिकुँज में (3 फरवरी) उत्तरांचल स्तर के विद्यार्थियों के पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम संपन्न हुए। साथ ही 15, 16 फरवरी की तारीखों में शाँतिकुँज में राष्ट्रीय स्तर की एक सेमीनार भी हुई, जिसमें वर्ष 22-23 की रूपरेखा बनाई गई। यह तथ्य जानने योग्य है कि इस वर्ष 23 लाख बच्चों ने पूरे भारतवर्ष में इस परीक्षा में भाग लिया है। यह संख्या दुगनी होने की अब इस वर्ष संभावना है।
बंगभूमि में प्रबुद्धों के बीच सक्रिय भागीदारी
कलकत्ता नगरी के नेताजी सुभाष स्टेडियम में 26-27 जनवरी की तारीखों में राष्ट्रभक्ति-मल्टीमीडिया सम्मेलन में प्रबुद्ध वर्ग की उपस्थिति में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय पद दो दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हुए। इसी के साथ कार्यकर्त्ता सम्मेलन, रक्त व नेत्र दान शिविर भी आयोजित हुए। बंगभूमि के केंद्र में गायत्री चेतना केंद्र की स्थापना का संकल्प संघबद्ध प्रयास के रूप में लिया गया।
वैदिक मूल्य एवं प्रबंधन पर वर्कशॉप
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एवं गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के एक समन्वित प्रयास के रूप में 22, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एवं गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के एक समन्वित प्रयास के रूप में 22, 23, 24 फरवरी को गुरुकुल व शाँतिकुँज परिसर में सारे भारत व विश्वभर के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबंधन विशेषज्ञों की सेमीनार आयोजित हुई। उसमें व्यापक स्तर पर शोधपत्र पढ़े गए एवं सभी ने वैदिक मूल्यों के साथ प्रबंधन को साकार रूप में भी देखा व गायत्री तीर्थ के वातावरण से स्वयं को जोड़कर धन्य बनाया।
आपदा प्रबंधवाहिनी का फ्लीट तैयार- गुजरात भूकंप के बाद आपदा प्रबंध की तत्कालीन व्यवस्था जुटाकर एक आपदा प्रबंधवाहिनी बनाने की घोषणा की गई थी। अब राष्ट्र में कहीं भी प्राकृतिक विपदा आने पर दो एंबुलेंस, एक मोबाइल अस्पताल, एक जेनरेटर सहित बड़ी गाड़ी, एक टैंकर एवं एक वाहिनी कार्यकर्त्ताओं तथा टेंट आदि ले जाने वाले वाहन का एक फ्लीट तैयार हो गया है। विगत मार्च से विधिवत् गुजरात में स्थान-स्थान पर इसके कैंप भी संपन्न होते चले जा रहे है। साथ ही चार विद्यालयों को गलपादर, गाँधीधाम, मोरबी, लींबडी क्षेत्र में राज्यशासन को निर्मित कर सौंप दिया गया है।
‘युगप्रवाह पत्रिका’ अब अत्यधिक लोकप्रिय - वीडियो पत्रिका (पाक्षिक) युगप्रवाह अब सारे भारत के केबल नेटवर्क पर दिखाई जा रही है। इसका अपना एक विलक्षण प्रभाव जन-जन पर पड़ रहा है। अब तक उसके आठ अंक निकल चुके हैं। वार्षिक शुल्क 15 रुपये है, जिसमें 24 सीडी दी जाती है।”