Magazine - Year 2002 - Version 2
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Language: HINDI
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केंद्र के समाचार−विश्वव्यापी हलचलें
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संगठनात्मक दौरों से सघन मंथन
विगत मई माह से ही आरंभ हुए छह जोन्स के संगठनात्मक दौरों से पश्चिमोत्तर, पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत एवं राजस्थान−गुजरात क्षेत्र में कार्यकर्त्ताओं में एक नया उत्साह जागा है एवं उन्हें कार्ययोजना मिली है, कार्य करने का सही मार्गदर्शन मिला है। पूरे गुजरात का एक दौरा तो फरवरी−मार्च में जोनों की घोषणा के पूर्व हो चुका था, पर राजस्थान के पुष्कर क्षेत्र तथा पूर्वोत्तर के झारखंड सहित पश्चिम बंगाल का दौरा भी मई−जून माह में हुआ। साथ ही पूरे हरियाणा−पंजाब हिमालय, पं. उत्तर प्रदेश, दिल्ली व जम्मू क्षेत्र का दौरा भी सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। दक्षिण भारत में छत्तीसगढ़ उड़ीसा, महाराष्ट्र का एक बड़ा व्यापक दौरा हो चुका है। दूसरे चरण में चारों प्राँतों का दौरा अगस्त माह में संपन्न हुआ। अब प्रत्येक जोन के चार−चार केंद्रीय व छह−छह क्षेत्रीय प्रभारी गणों की नियुक्ति एवं सभी की वर्कशॉप संपन्न हो रही है। ऐसा लक्ष्य है कि इस वर्ष दिसंबर तक पूरे पूर्वांचल का, अरुणाचल तक एवं नेपाल−तराई से लेकर कन्याकुमारी तक का मंथन हो जाए एवं हम यह आकलन कर सकें कि हमारी शक्ति वस्तुतः कितनी है।
चंडीगढ़ एक्सपो एक दिशानिर्देश स्थापित कर गया
24,25,26 मई को चंडीगढ़ में संपन्न कार्यकर्त्ता महासम्मेलन तथा विराट साइंटिफिक स्प्रिचुअल्टी एक्सपो (वैज्ञानिक अध्यात्मवाद प्रदर्शनी व वर्कशॉप) हमारे महानगरों के लिए एक दिव्यदर्शक कीर्तिमान स्थापित कर गया। 26 मई को मौसम बिगड़ने से कार्यक्रम अवश्य प्रभावित हुआ किंतु दो दिन तक चंडीगढ़ ही नहीं आप−पास के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के नगरों से आए स्कूल−कॉलेज के छात्रों, शिक्षक−शिक्षिकाओं ने सप्तसूत्री आँदोलन का जो दृश्य देखा उससे वे विशेष छाप लेकर गए। यहाँ वर्कशॉप व सेमीनार भी संपन्न हुई तथा तीव्र गर्मी के बावजूद प्रबुद्ध वर्ग के भागीदारी की। अब ऐसी वर्कशॉप की माँग बड़ौदा, अहमदाबाद, मुँबई, भोपाल व लखनऊ जैसे महानगरों से भी आ रही है।
मारीशस, यू. के. व साउथ अफ्रीका में केंद्रीय प्रतिनिधि
मारीशस गए शाँतिकुँज दल के कार्यक्रमों ने पूरे राष्ट्र को गायत्रीमय बना दिया । प्रभाव इतना व्यापक हुआ कि वहाँ के भारत में उच्चायुक्त श्री दानी सिव शाँतिकुँज आए व यहाँ के कार्यक्रमों में भाग लेकर संस्था प्रमुख को अगले वर्ष गायत्री पर ही एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मारीशस आमंत्रित किया। बेल्जियम में मारीशस के हाई कमिश्नर श्री सत्यवान गणेशी भी जुलाई के अंतिम सप्ताह में शाँतिकुँज सपत्नीक आए व उन्होंने यहाँ वैदिक पद्धति से विवाह दिवस मनाया। इंग्लैंड में गए डा. दत्ता व शाँतिभाई पटेल के दल ने पूरे यूरोप के दस देशों में एवं इंग्लैंड में स्थान−स्थान पर गायत्री महाशक्ति के विस्तार का अभियान सक्रिय कर दिया है। युवाशक्ति की भागीदारी अधिकाधिक हो रही है, यह प्रसन्नता का विषय है। डरबन, केपटाउन व जोहान्सबर्ग में कार्यक्रम करने एक दल अगस्त के प्रथम सप्ताह में रवाना हो गया। पूरे दक्षिणी व मध्य अफ्रीका का एक महासम्मेलन सितंबर के द्वितीय सप्ताह में आयोजित किया गया है।
गायत्री जयंती व गुरुपूर्णिमा पर्व सोल्लास संपन्न
इस वर्ष के ये दोनों ही पर्व ऐतिहासिक रहे हैं। दोनों में ही बीस हजार से अधिक परिजनों की उपस्थिति एवं विश्वविद्यालय शोध संस्थान व शाँतिकुँज आश्रम का पूरा परिसर खचाखच भरा होने के बावजूद किसी को तनिक भी असुविधा न हुई। सभी ने उल्लासपूर्वक इन पर्वों में भागीदारी की । अपनी अभियान साधना की पूर्णाहुति भी की एवं आगामी वर्ष की साधना के लिए नए संकल्प लिए। दोनों ही पर्व मिशन के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गए हैं।
विश्वविद्यालय का विलक्षण समारोह
गुरुपर्व से एक दिन पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में प्रवेश लिए हुए छात्र−छात्राओं व शिक्षकों का एक अद्भुत दीक्षारंभ समारोह संपन्न हुआ। तैत्तिरीय उपनिषद् के अनुसार वर्णित प्रतिज्ञाएँ छात्रों ने भी लीं एवं शिक्षकों ने भी लीं। पूर्णतः पुरातन गुरुकुल पद्धति पर आधारित इस आयोजन में विद्वान वक्ताओं के वक्तव्य भी हुए। उत्तरीयधारी गुरुजन व छात्र−छात्राएँ एक विलक्षण छटा दर्शा रहे थे। योग व मनोविज्ञान में 25 जुलाई से सत्र आरंभ हो गया है। अब इस क्रम को सभी विश्वविद्यालय में दुहराया जा सके ,इसका प्रयास जारी है,ताकि दीक्षाँत ही नहीं, दीक्षारंभ भी सभी स्थानों पर आयोजित होने लगें।
बैंगलोर में योग महाविद्यापीठम् का शुभारंभ
स्वामी विवेकानंद केंद्र बैंगलोर के प्रशाँति कुटीरम् स्थित 110 एकड़ में फैले क्षेत्र में डीम्ड यूनीवर्सिटी के रूप में विवेकानंद महाविद्यापीठम् का विधिवत शुभारंभ श्री वेकैयानायडू, श्री मुरली मनोहर जोशी, डॉ. नागेन्द्र बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं देवसंस्कृति विद्यालय के कुलाधिपति की उपस्थिति में 14, 15, 16 जून को संपन्न हुआ। केंद्र के अनुरोध पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने बैंगलोर के इस योग विश्वविद्यालय के अध्यक्ष (चान्सलर) का भी पद स्वीकार कर लिया है। दोनों विश्वविद्यालय के परस्पर आदान−प्रदान का क्रम भी विधिवत बैठ गया है।