Books - अनादि गुरुमंत्र—गायत्री
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Language: HINDI
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गायत्री महाविद्या के नौ ग्रंथ रत्न।
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आवश्यक जानकारी प्राप्त किये बिना आरंभ किया हुआ कार्य प्रायः निष्फल होता है। गायत्री महाशक्ति की अत्यन्त आवश्यक जानकारियां और साधना विधियां इतनी विस्तृत एवं विशद हैं कि उन्हें चिट्ठी पत्री की दस बीस लाइनों में किसी का समझाना या समझना असंभव है। इसलिए गायत्री विद्या का अत्यंत आवश्यक ज्ञान, विधान, साधन एवं समाधान पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कर दिया है। दो हजार आर्ष ग्रन्थों को निचोड़ स्वरूप बीस वर्षों में लिखी गई इन सुन्दर सस्ती, अनुभव पूर्ण एवं सच्चा पथ प्रदर्शन करने वाले गुरु जैसी पुस्तकों की एक एक प्रति हर गायत्री के प्रेमी के पास होना आवश्यक है।1—गायत्री महाविज्ञान (प्रथम भाग)—गायत्री विद्या की वैज्ञानिक एवं तात्विक जानकारी, गायत्री का अधिकार, शापमोचन, उत्कीलन, नित्य उपासना, ध्यान, गायत्री प्राणायाम, अनुष्ठान, पुरश्चरण, ऋद्धि सिद्धियों का मार्ग, अनेक कठिन प्रयोजनों में गायत्री के प्रयोग विधान, माता का साक्षात्कार, स्त्रियोपयोगी साधनाएं, गायत्री तप, गायत्री का अर्थ, कुंडलिनी जागरण आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों का विस्तृत वर्णन है। मू0 3।।)2—गायत्री महाविज्ञान (द्वितीय भाग)—गायत्री महात्म्य, गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री उपनिषद्, गायत्री रामायण, गायत्री पंजर, गायत्री संहिता, गायत्री तंत्र, गायत्री अभिचार, चौबीस गायत्री, गायत्री पुरश्चरण, गायत्री कवच, गायत्री स्तोत्र, गायत्री तर्पण, गायत्री लहरी, गायत्री चालीसा, गायत्री सहस्र नाम आदि का भाषा टीका समेत संकलन है। मूल्य 3।।)3—गायत्री महाविज्ञान (तृतीय भाग)—गायत्री द्वारा हानि रहित, एवं प्रत्येक ग्रहस्थ द्वारा हो सकने वाली चमत्कारी योग साधनाओं की शिक्षा देने वाली यह सर्वांग पूर्ण पुस्तक है। अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश, और आनंदमय कोश, का विस्तृत परिचय एवं उनको पार करके ब्रह्म निर्वाण प्राप्त करने वाली अत्यन्त महत्व पूर्ण, रहस्यमयी गुप्त साधनाएं इसमें बताई कई हैं। पांव प्राण, पांव उप प्राण, तीन बन्ध, नौ मुद्राएं, दस प्रकार के प्राणायाम, ध्यान, त्राटक, मैस्मरेजम की वेधक दृष्टि, सोऽहम् विद्या, अनहद नाद, तीन ग्रन्थियों, का वेधन इड़ा पिंगला सुषुम्ना के चमत्कार, स्वर योग, पंचीकरण विद्या आदि योगिक रहस्यों का अनुभव पूर्ण प्रकटीकरण किया गया है। मूल्य 3।।)