Books - जीवन साधना बनाम दिव्यता की खेती
Media: TEXT
Language: EN
Language: EN
जीवन साधना बनाम दिव्यता की खेती
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
साधना माने अपने आपको साध लेना। अपने आपको साध लेने को माने क्या। उसके माने यह है कि अपनी पात्रता को इस लायक बना देना कि कोई हमको देने के योग्य समझे और हमको दे। पात्रता यदि हमारी विकसित न हुई तो कोई हमको देगा ही नहीं। आप पढ़े नहीं हैं लिखे नहीं है एक आँख खराब है चला नहीं जाता शादी के लिये इच्छुक हैं फलानि लड़की बी०ए० पास है फलानि एम०ए० पास है। फलानि को संगीत आता है तो क्या मतलब है आपको। नई साहब उससे शादी हो जाती तो हमारा अच्छा हो जाता। नहीं उसके साथ आपकी शादी नहीं हो सकती क्योंकि आप उसके पात्र नहीं है। पात्रता इस संसार में सबसे बड़ी चीज है।
चाहे संसार में देख लें चाहे भगवान् के यहाँ देख लें नियम एक से ही लागू होते हैं। चुनाव कमीशन बैठता है तो उसमें से इंटरव्यू लेता है जो उसमें से अच्छे डिवीजन लेकर आते हैं उनको अफसर की पदवी मिल जाती है। सरकार वज़ीफ़ा केवल उनको दिया करती है जिनके कि डिवीजन अच्छे होते हैं। फर्स्ट डिवीजन पाते हैं। हम गरीब हैं तो हम क्या करें गरीब हैं तो आप रहिये गरीब अपना कमाइए खाइये। सरकार से क्या मतलब आपके अंदर योग्यता है क्षमता है तो आपको वज़ीफ़ा मिलेगा और वज़ीफ़ा के द्वारा आप ज्यादा उन्नतिशील बन सकें इसीलिये आपको सहायता दी जा रही है। यही कायदा भगवान् के यहाँ है। आप पात्र है तो आपको सब मिलेगा और आप कुपात्र हैं तो कुपात्रों के लिए तो बाप भी वसीयत कर जाते हैं कि हमारा बेटा बड़ा कुपात्र है नाती जब हो जाये तब उसको हमारी संपत्ति में हक मिले लड़का जुआ खेलता है शराब पीता है उसको हमारी जायदाद में से कोई हक न मिले।
इस संसार में पात्रता का रिवाज है तो भगवान् के यहाँ क्यों नहीं होगा। वर्षा हुआ करती है और वर्षा में पानी सिर्फ उतना ही मिलता है जितना कि हमारे यहाँ पात्र हो। आप के पास थाली है तो आप रखिये खुले में थाली भरी हुई आपको मिलेगी रात को वर्षा हो रही है। तालाब इतना बड़ा है तो तालाब भरा हुआ मिलेगा। आपके पास छोटी कटोरी है तो छोटी कटोरी भरी हुई मिलेगी। आप यो नहीं कह सकते कि आपकी पात्रता कम हो और पात्रता से यदि ज्यादा पाने की अगर आप आशा करते हैं तो आप गलती करते हैं और वह गलती आपकी ऐसी है कि आपको पश्चाताप करना पड़ेगा और दूसरों की शिकायत करनी पड़ेगी अरे साहब उन्होंने हमारी सहायता नहीं की। भगवान् जी ने भी हमारी सहायता नहीं की। राम लक्ष्मण जी ने हमारी सहायता नहीं की। हनुमान् जी ने भी हमारी सहायता नहीं की। कोई नहीं करेगा। आप पात्र हैं तो ठीक है और अगर आप पात्र नहीं है तो कोई आपकी सहायता नहीं कर सकता।
आपको मालूम है खेत में बुआई से पहले जुताई करनी पड़ती है। आपको मालूम है कपड़े की रंगाई करने से पहले धुलाई करनी पड़ती है। साधना उसका नाम है कि अपने आपको हम इस तरह का बना लें कि जिसमें हमको इस लायक समझा जाये कि हमारे लिये कोई कीमती वस्तुएँ दी भी जायें। अगर हम इस लायक है कि हमको कोई कीमती वस्तुएँ नहीं दी जा सकें तो कोई नहीं देगा। बहुत छोटा बच्चा है कहे साहब बैंक की तिजोरी की चाबी हमको दे दीजिये नहीं आप चाबी को संभाल नहीं सकते इसलिये अभी आपको चाबी नहीं देंगे। अच्छा तो हमारा ब्याह कर दीजिये। अरे भाई पाँच वर्ष के बच्चे के कहीं ब्याह होते हैं इतना बड़ा हो जायेगा कमा कर लायेगा तभी तो शादी करेंगे कि अभी कर देंगे। नहीं साहब सारे मोहल्ले में बड़े लड़कों की शादी हो गई और आपको तो करनी ही है फिर अभी क्यों नहीं कर देते। जब इसका पात्र हो जायेगा उस समय हम जरूर करेंगे शादी लेकिन अभी करेगा तो तेरे गाल पर चपत पड़ेगी अभी शादी होने का कोई ढंग नहीं है।
आपको ध्यान भगवान् के ऊपर नहीं देना चाहिये भगवान् जी सहायता करेंगे कि नहीं करेंगे जब इस लायक पात्र होते जायेंगे उस लायक आपको बराबर मिलता जायेगा। कन्या बड़ी होती जाती है बाप उसके हिसाब से उसकी पढ़ाई का बड़ी फ्राक सिलवाने का बड़े कपड़े लेने का उसकी ब्याह शादी का सब इंतजाम करता है जब तक वह उसकी पात्र नहीं होती तब तक उसकी न शादी होती है न उसको बड़ी कीमती चीज दी जाती है और न उसको सोने की अंगूठी दी जाती है कोई छीन लेगा कैसे दे दे इसलिये दूसरी भगवान् से कुछ प्राप्त करने का या भगवान् के नजदीक होने का उनके भक्त होने का सबूत है अपने आपको सही कर लेना। अपने आपको सम्भाल लेना। अपने आपकी गलतियों को देखना। अपनी गलतियों को ठीक करना।
एक थी माँ माँ का छोटा सा बच्चा था कही गयी आई तो बच्चा रोने लगा दूध पीने के लिये माँ की गोदी में जाने के लिये। उसने कहा ठहर क्यों उस कमबख्त ने टट्टी कर ली थी टट्टी में अपने कपड़े भी साल लिये थे और हाथ भी सान लिये थे उसने कहा तेरे कपड़े बदल दें तुझे स्नान करा दें और तेरे हाथ साफ कर दें तोलिये से पोंछ दें साफ हो जायेगा तो गोदी में उठा लेंगे। नहीं माँ हम तो अभी आयेंगे नहीं अभी नहीं चाहे रोओ चाहे जो भी करो जब तक तुम साफ सुथरे नहीं हो जाते तब तक गोदी में लेने का कोई योग नहीं है। बस माँ ने उसको पकड़ लिया जबरदस्ती और नहलाया नहलाने के बाद उसके कपड़े बदले उसको तोलिये सु सुखाया फिर छाती से लगाया दूध पिलाया। यह बात आपकी हर जगह लागू होती है। और भगवान् के यहाँ तो यह खास तोर से लागू होती है। संसार में भी रिवाज यही है। संसार में आपने देखा है न सरकस के जानवरों को उसके सिखाने वाले बना लेते हैं तो एक एक जानवर ढेरों पैसा कमा कर लाता है। सपेरा साँप को सिखा लेते हैं। मदारी रीछ और बंदरों को सिखा लेते हैं। सरकस वाले शेर और बाघ और हाथियों को सिखा लेते हैं। यह शेर और बाघ कैसे भयंकर और खूँखार होते हैं लेकिन सरकस वालों के लिए रोजाना ढेरों आमदनी करके लाते हैं। यही शेर और यही चीते और यही हाथी और यही कुत्ते सरकस वाली कंपनी के जो सौ आदमी काम करते हैं सभी को खुराक देते हैं कपड़ा देते हैं, रोटी देते हैं पेंशन देते हैं प्राविडेण्ट फंड देते हैं सबके लिये इंतजाम करते हैं यही जानवर क्यों ? इसलिये कि सिखा लिये गये हैं। सिखाये न गये होते तब तब यह खूँखार रहते इनको देखकर ही आदमी भाग खड़ा होता यह आदमी का नुकसान कर देते या अपना नुकसान कर लेते मारे जाते कहीं कोई आदमी चीते को देखकर के भेड़िये को देखकर जिंदा रहने देगा। या तो अपनी जान गवायेगा या उसकी जान लेगा लेकिन सिखा लेने के बाद में यह जान लेने वाले जो जानवर हैं यह भी अपने काम में आते हैं।
ऊसर जमीन जिसमें आप बोये तो खाक भी पैदा न हो लेकिन उस पर से एक फुट मिट्टी उठा ली जाये मिट्टी उठा लेने के बाद में दूसरी जगह से अच्छी मिट्टी लाकर उपजाऊ बना ली जाये तो उसमें आप खेती कीजिये बगीचा लगाइये चाहे जो कुछ काम करिये जमीन को तो अच्छी बनाइए नहीं उसमें पैदावार नहीं हुई तो हम क्या करें पैदा वार नहीं हुई तो। जमीन को तो साफ की नहीं। जमीन को साफ किये बिना इसमें कोई चीज पैदा नहीं हो सकती। पाली है कलम लगा लगाकर के कैसे बढ़िया बगीचे लगा देता है। एक एक पेड़ के ऊपर दस दस तरह के फूल आते हैं। एक एक पेड़ के ऊपर चार चार तरह के फल आते हैं। उसकी टहनियों को काट काट कर माली यही किया करता है लोगों को तमाशा दिखाने के लिये और अपनी होशियारी दिखाने के लिये एक ही पेड़ में कई तरह की कलम लगा देता है एक ही पेड़ में कई तरह के फूल आते हैं। यह माली का किस्सा है। चलिये माली की बात याद आ गई मुझे। एक राजा ने दो माली रखे थे दोनों मालियों के सुपुर्द एक एक बगीचा किया गया। एक माली तो दिन और रात राजा के बगीचे में लगा रहा और एक साल के भीतर उसको इतना सर सब्ज बना दिया इतना फूलों और फलों से लदा हुआ बना दिया इतना खूबसूरत बना दिया नये पौधे लगा दिये देखते ही उसमें घुसने का हर एक का मन चलने लगा। एक और माली था उस माली ने राजा साहब की भक्ति दिखाने के लिये राजा साहब का फोटो मंगाया उस पर चंदन रोज चढ़ाया उनकी आरती उतारी एक सौ आठ परिक्रमा रोज की लेकिन उसकी जो जिम्मेदारी थी उस पर ध्यान नहीं दिया बगीचे को उजाड़ दिया बगीचा सूख गया। बगीचा सूख गया जिस हैसियत में दिया गया था बिलकुल वह भी नहीं रही जब सारा वक्त उसमें लगा देगा तो यह कैसे होगा।
आप माली हैं और आपको भगवान् के बगीचे के लिये सेवा करने के लिये भेजा गया है आप हमेशा ध्यान रखिये कि हम माली हैं। हमने तो रक्खा है। हमने हमेशा ध्यान रक्खा है कि हम केवल एक माली हैं और माली होने की वजह से अपना देश अपनी संस्कृति अपना समाज और अपने पड़ोसी और अपना घर अपनी गृहस्थी और अपने बीबी और अपने बच्चे जिन लोगों से हमारा ताल्लुक था उन सबके तई कर्तव्य निभाने के लिये चौबीस घंटे हमारा ध्यान बना रहा यह साधना है भगवान् की। सब भगवान् के तो हैं ही जितने भी प्राणी हैं सब भगवान् के हैं। जो कुछ भी इस संसार में है सब भगवान् का है। विराट रूप की आपको बात नहीं मालूम है।
भगवान् का विराट रूप अर्जुन कह रहा था भगवान् का हमको दर्शन करना है। तो भगवान् बार-बार कहते थे कि बाबा कहीं आँखों से दर्शन होते हैं क्या। हमें देखे ले नहीं साहब हम भगवान को देखना चाहते हैं। भगवान् को देखना चाहते हैं तो उन्होंने ज्ञान की आँखें दी और यह कहा कि यह विराट जो सारा संसार है यही भगवान् है। इसी तरह उनकी माँ कह रही थी तू तो हमारा लड़का मालूम पड़ता है और हमने तो पहले जनम में तपस्या की थी कि हमारे यहाँ पेट में भगवान् पैदा होगा तू तो भगवान् मालूम नहीं पड़ता। बच्चा मालूम पड़ता है। उन्होंने कहा हाँ माताजी मैं तो बच्चा हूँ पर भगवान् ही आपका देखने का वास्तविक मन हो तो उन्होंने मिट्टी खाने के बहाने अपना मुख खोल दिया सारा विराट ब्रह्माण्ड देखा। कौशल्या के सामने भी यही हुआ कौशल्या को भी यही शक था कि यह तो लड़का मालूम पड़ता है।
हमसे नारद जी ने कहा था तेरे भगवान् पैदा होंगे। यह कहाँ भगवान् है तो उन्होंने कहा भगवान् रामचंद्र जी ने। बचपन में हँसते हुए अपना मुँह खोलकर दिखाया उसने कहा देख में नहीं हूँ भगवान् भगवान् विराट है यह सारा विश्व। सारा विश्व ब्रह्माण्ड जो फैला हुआ है यह वास्तव में भगवान् का विराट रूप है कही आँखें हैं उसकी, कहीं कान है, कहीं क्या है, कहीं क्या है? विराट रूप की तस्वीर कभी आपने देखी होगी यह सारा संसार विराट है। इस विराट की सेवा करने के लिये इस विराट के तई त्याग और बलिदान करने के लिए इसको अच्छा, समुन्नत बनाने के लिए जो भी हम प्रयत्न करते हैं आप यह मानकर चलिये कि यह भगवान् के लिये किया जा रहा है सिर्फ भगवान् की पूजा और सेवा की जा रही है। क्या सेवा और पूजा नहीं की जानी चाहिये ? वह भी बता देंगे बाबा उसमें क्या बड़ी से बात है? वह कोई बड़ी सी बात नहीं है। माँगना हो तो हाथ जोड़कर माँगे कि झोली में माँगे कि टोपी में माँगे कि कपड़े में माँगे अरे बाबा इसमें क्या रक्खा है असली बात यह देख जिससे भगवान् प्रसन्न होते हैं। भगवान् केवल राम नाम कितनी बार ले माला कितनी बार घुला लें यह भर नहीं है आप घबराइये नहीं। आपके ऊपर यही बहुत जल्दी पड़ी हो कि चिड़िया पकड़ने के लिए बाजरे का दाना चाहिये कि मक्के का दाना चाहिये कि चावल का दाना चाहिये पूर्व की ओर मुँह करके बैठे कि पश्चिम की ओर मुँह करके बैठें यह बेकार की बाते हैं सारे जीवन को भगवान् के लिये सुपुर्द करना पड़ता है। भगवान् की भक्ति घंटे भर में नहीं होती आधा घंटे में नहीं होती चौबीसों घंटे सोते और जागते प्रत्येक समय में यह करना पड़ता है कि हम भगवान् के प्रति उसके संसार के प्रति अपने कर्तव्यों को निर्वाह रहे हैं कि नहीं हमारे अंदर गलतियों में कही हो रही है कि नहीं।
आपने सुना है आपने देखा है मिट्टी में से धातुएँ जब निकलती हैं कच्ची निकलती हैं। लोहा जब निकलता है जमीन में से खोदने के बाद बिलकुल कच्चा होता है। लेकिन आग में जब उसको तपाते हैं तपाने के बाद में उसमें जो मिट्टी घुली हुई होती है वह जलकर के खतम हो जाती है और जो केवल लोहा होता है बाहर आ जाता है। तपाना पड़ता है। तपाना याने साधना करना। जीवन की साधना करना जो हमारे जीवन में अस्तव्यस्तता है उन सारी अस्त व्यस्तताओं को जब तक आप दूर नहीं करेंगे तब तक आप साधक नहीं कहलायेंगे। साधना भगवान् की नहीं करना पड़ती भगवान् को कहाँ से इतना टाइम आया कहा से इतनी फुरसत आयी कि आपकी साधना का हिसाब लगाता फिरे और यह देखे कि भगवान् की साधना कर रहे हैं।
अपनी कीजिये अपनी साधना करनी पड़ती है लोहे की। सोने में कुछ मिला हुआ होता है। सुनार उसको आग में तपाने के बाद में उसमें से जो खराब चीजें होती है उसको निकाल देता है सोने के बढ़िया- बढ़िया जेवर बनाता है। नई साहब हम सोने को तपाने नहीं देंगे तपाने नहीं देंगे तो बाबा इसमें से सोने के जेवर नहीं बनेंगे। जेवर बनने के लिए तपाया जाता है। सोने को और इंसान को तपाया जाता है। साधक बनना पड़ता है अपनी साधना करनी पड़ती है। अपने गुण, कर्म और स्वभाव इन सबको ठीक करना पड़ता है। जब तक इन सबको ठीक नहीं करेंगे तक तक किस तरीके से काम चलेगा। तलवार को जब तक घिसा नहीं जायेगा तब तक उसमें धार नहीं आयेगी धार नहीं आयेगी तो फिर बताइये कैसे चलेगी। बिलकुल खपच्ची जैसी होगी खपच्ची किसी को मार दीजिये मार देंगे तो किसी को जरा सी लग जायेगी खून निकलने लगेगा किसी का सिर नहीं कट सकता। जब तक धार नहीं होती।
इंसान के ऊपर धार चढ़ाना साधना करना दोनों एक ही बात है। हीरा जब खदान में से निकाला जाता है तो इसी तरह का टेढ़ा सीधा पत्थर का टुकड़ा होता है लेकिन जब मशीनों के द्वारा जौहरी उसके ऊपर छः पहल काट लेता है टेड़ी सीधी कर लेता है तो हीरे की कीमत आती है। कच्चे हीरे की कीमत नहीं आती। गंदा पानी किसी की आँख में डाल दें तो आँख खराब हो जायेगी। डिस्टिल्ड वाटर हवा में उड़ाया हुआ वाटर जब साफ हो जाता है तब आँख में डाला जाता है पीने की दवाओं में मिलाया जाता है खराब पानी नहीं मिलाया जाता है। आप अपने पानी को ठीक कीजिये न। ठीक नहीं करेंगे तो फिर कैसे बात बनेगी। भगवान् को अपने घर बुलाने का मन है तो फिर सफाई नहीं करेंगे। शादी जब घर में होती है तो आपने घर की सफाई की है कि नहीं की है कि ऐसे ही गंदा डाल देते हो। मेहमान आयेंगे, रिश्तेदार आयेंगे, मिलने जुलने वाले आयेंगे बैठेंगे तो अपने मकान को तो साफ करके रक्खें। दीवाली आती है लक्ष्मी जी आती हैं घर की पुताई होती है कि नहीं होती। नई साहब पोतेंगे नहीं तो लक्ष्मी जी क्या करेंगी गंदे घर में आकर। गंदे घर में नहीं आती। भगवान् जो हैं गंदे घर में नहीं आते। आपने अपने मन आपने अपनी बुद्धि में आपने अपने स्वभाव में आपने अपने कर्म में गंदगियाँ भर रक्खी हैं तो ऐसे में भगवान् क्या करेगा कहाँ जायेगा। कैसे रहेगा भगवान् के लिये जगह तो बनाइए न साफ नहीं करेंगे। भगवान् के लिये जगह बनाइए जगह से मतलब कमरे से नहीं है मेरा। कोठरी को साफ करें, सिंहासन को साफ करें, बर्तनों को साफ करें ठीक है मरजी है वह तो करना ही चाहिये आपको। लेकिन अपने जीवन में साधना जीवन की है। उपासना जीवन भर की है। आधा घंटे की नहीं है। नई साहब हम आधा घंटा उपासना करते हैं हाँ अच्छी करते हैं कर लेते हैं तो अच्छी बात है नहीं कर लेते हैं तो अच्छी बात है। तो क्यों साहब उपासना नहीं करनी चाहिये। अरे बाबा बता देंगे उसको भी । उसका महत्त्व नहीं है कोई।
सैकड़ों संत हैं, बाबाजी हैं, ब्राह्मण हैं, पंडित हैं ये सब दे भजन, दे भजन भगवान् जी की पूँछ उखाड़ लेते हैं और यह भजन जो है न उनके कभी काम आया और न आगे काम आयेगा। सारा जीवन उससे भजन के साथ मिलाना पड़ता है आप यह नहीं समझ पाते क्या। मनुष्य का जीवन एक कमण्डल की तरीके से है आप उसमें सुराख कर देंगे तो यह डूब जायेगा। यह नाव के तरीके से है नाव डूबेगी। इसमें सूराख जहाँ कहीं भी होंगे, वासना के सूराख, तृष्णा के सूराख, अहंता के सूराख यह सूराख आप नाव में बनाकर रखेंगे और उस पर सवारी करेंगे तो यह नाव डूबेगी नहीं बताइये आप। यही है भवसागर जिसे हम कहते हैं हे भगवान् भवसागर से निकाल हमको बंधन से मुक्त कर। मुक्ति आप चाहते हैं न। तो मुक्ति किससे चाहते हैं यही है तीन इन तीन से आप छुटकारा पाना आपके हाथ में है भगवान् के हाथ में मुक्ति नहीं है। आप प्राप्त कर लीजिये मुक्ति। वासना से प्राप्त कर लीजिये मुक्ति, तृष्णा से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये, अहंता से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये। इन तीन से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये और फिर देखिये कि आप इसी जीवन में मुक्त हैं कि नहीं। यह जीवनमुक्त यह भी एक शब्द आता है। मुक्ति उसी को नहीं कहते कि यहाँ से मरने के बाद जब भगवान के यहाँ जायेंगे तो वहा आपको मुक्ति वाले कमरे में बैठा दिया जायेगा। ऐसा नहीं है जीवनमुक्ति है। जीवनमुक्त वही हैं के जिन्होंने अपने आपको भवबंधनों से मुक्त कर लिया है।और मुक्त वे हैं जिन्होंने हथकड़ी बेड़ी अपनी खोल ली है। यह हथकड़ी बेड़ी खुलने वाली हैं लोभ और मोह। लोभ की हथकड़ी। मोह की हथकड़ी। लोभ की हथकड़ी, मोह की बेड़ी लोभ आप किस बात का करते हैं आदमी को कितना चाहिये।
आदमी को जरा सा चाहिये। आदमी को भगवान् ने इस लायक बनाया है कि ढेरों के ढेरों कमा सकता है सोने के पहाड़ कमा सकता है। और उसका खर्च इतना कम कि किसी भी जानवर का नहीं। गधा आपसे ज्यादा घास खा जाता है, घोड़ा ज्यादा खा जाता है। भैंसा ज्यादा खा जाता है। बैल ज्यादा खा जाता है प्रत्येक जानवर आपकी बनिस्बत ज्यादा खाने वाला है लेकिन आपका तो दो मुट्ठी में पेट भर जाता है अंधाधुन्ध भरे तो दो की जगह चार मुट्ठी भर लीजिये। आमाशय को नाप लीजिये आपको कोई एनाटोमी की किताब मिल जायेगी देख लीजिये आमाशय की कितनी लम्बाई चौड़ाई है। उसमें भी यह लिखा हुआ है कि आधा अनाज से भरो थोड़ा हवा के लिये छोड़ो थोड़ा पानी के लिये छोड़ो। तो मुश्किल से दो मुट्ठी अनाज आता है। आदमी की खुराक कितनी है। जरा सी है और आदमी का खर्चा। खर्चा भी कम। और कुटुम्ब का कुटुम्ब पालने में हमको भारी शक्ति लगानी पड़ती है। कुटुम्ब में क्या शक्ति लगानी पड़ेगी। कुटुम्ब तो खिलौने हैं यह बच्चे है आपके इनसे खेलिये ये खेलने के लिये हैं कि आपको पालन करना पड़ता है। पालन नहीं करना पड़ता इससे आप थके हुये आते हैं चाभीदार खिलौने से जैसे बच्चे खेलते हैं आप इन बच्चों से खेलते रहिये। यह आपके लिये क्या परेशानी पैदा करते हैं हर एक को स्वावलम्बी बनाइये। आप संस्कारवान बनाइये। जो भी आपके कुटुम्ब में है यदि आप स्वावलम्बी बनाते हैं संस्कारवान बनाते हैं तो आपको जरा भी कोई दिक्कत नहीं आने वाली। हाँ दिक्कत तब आयेगी जब आप सात पीढ़ी का खाने का इंतजाम आप उनके लिये करेंगे। जो कुछ हमने कमाया है बेटे को दे जायें, नाती को दे जायें पोते को दे जायें और पड़ोसी को ? पड़ोसी को आग लगा दीजिये। क्यों पड़ोसी को क्यों नहीं देंगे, बेटे को क्यों देंगे बेटा क्या है आपका आँखों से अंधा है, गूँगा है लूला है, लंगड़ा है। क्या बात है अपाहिज है, अपंग है सब बच्चे को देंगे। नहीं बच्चे को नहीं देंगे। हमने अपनी जिंदगी भर दिया ही नहीं। हमारा बाप ढेरों की ढेरों संपत्ति छोड़कर मरा था हमने सब बाँट दी सब भगवान् को दे दी उससे हम नफे में रहे। कोई नुकसान में नहीं रहे। हथकड़ी और बेड़ी आप चाहे तो आप बड़े मजे में आप काट सकते हैं और जरा भी इससे कोई दिक्कत नहीं आयेगी। आप भूलिये मत आपको अपनी सफाई करनी पड़ेगी सफाई किये बिना भगवान् की भक्ति से आपका उद्धार नहीं हो सकता। नई साहब उद्धार हुआ है। किसका हुआ है बताइये जरा।
साहब उनका हुआ है बहुत से पापी लोग थे और नाम जपते रहे और राम नाम जपकर सबकी मुक्ति हो गई जरा नाम बताइये दो एक का नाम बताइये। गणिका, गीध अजामिल तारे, तारे सदन कसाई। अच्छा तो इसी चक्कर में है आप कसाई की दुकान भी खोले रहेंगे बैठे ठाले जब कोई फुरसत का वक्त हो गया तो राम कह दिया कभी क्या कह दिया कभी क्या कह दिया बस सीधे मुक्ति में चले जायेंगे। नहीं ऐसा नहीं हो सकता। आपने जिन लोगों के नाम गिनाये हैं जरा उनकी जिंदगी के पन्ने तो पलटकर देखिये। आपको यह है कि बाल्मीकि इतने बड़े संत हो गये जिनके यहाँ रामचंद्र जी ने अपनी धर्मपत्नी को भेज दिया बच्चों का गार्जियन बना दिया तो आपका भी बनने का मन है क्या। तो फिर लीजिये डाकू पन बंद कीजिये आज से और आज से संत की जिंदगी जिये। डाकू था जब डाकू था लेकिन जिस दिन से राम का लेना शुरू कर दिया जिस दिन भगवान् का हो गया भगवान् का हो गया फिर उस दिन के बाद में न उसने डाका मारा न उसने चोरी की न उठाईगीरी की। सीताजी जवान थीं और उनके घर में भगवान् ने भेज दी थी। अकेले घर में रहती थी क्या मजाल है कि उन्होंने आँख उठाकर के देखा हो। बच्चों को कितना शानदार बना दिया क्यों? उन्होंने अपने आपको शानदार बना लिया और उन्होंने माला घुमाना सीखा होता और तरह के जंत्र, मंत्र और तंत्र और यंत्र बनाये होते अपनी जिंदगी को अच्छा न किया होता तो आपका ख्याल है कि बाल्मीकि का उद्धार हो गया होता। अजामिल का उद्धार हो गया होता, अंगुलिमाल का उद्धार हो गया होता। अंगुलिमाल जब तक डाकू था तक तक डाकू था और जब भगवान् बुद्ध की शरण में आया उसने डाका मारना बंद कर दिया। चोरी करना बंद कर दिया। उसने जो कुछ भी कमाया था जो कुछ भी कर सकता था बेचारा पाप के प्रायश्चित में यह किया जो कुछ भी जमा करके रक्खा था सारा भगवान् को दे दिया अब यह तो मुझे मालूम नहीं जाने किससे लिया था किसको तलाश करूँगा आप ही जिसका हो पुण्य उसी को पहुँचा देना दे दिया और अपनी जिंदगी भगवान् बुद्ध को सुपुर्द कर दी। और यह कहा कि मुझे हुकुम दीजिये। भगवान् बुद्ध ने उसको इंडोनेशिया के इलाके में भेजा था।
अंगुलिमाल सारी जिंदगी भर जब तक जिया तब तक हिन्दुस्तान से बाहर चला गया और वही अंगुलिमाल संत बनकर के और भगवान् के काम में जिंदगी निछावर कर दी। सूरदास का नाम तो सुना है आपने बिल्व मंगल थे कैसी गंदगी जिंदगी थी उनकी उनके पिताजी मरे हुये रखे थे और वह वैश्या के घर में पड़े हुये थे सुना है आपने नहीं सुना? सुना होगा लेकिन जब उन्होंने अपने चाल चलन को बदल दिया दिया, काम करने के ढंग और तरीके को बदल दिया तो वह सूरदास हो गये। फिर वह सूरदास हो गये जिन्होंने अपनी आँखें खराब कर ली थीं तो भी भगवान् जी आते थे बच्चे के रूप में उनकी लाठी पकड़कर चलते थे ऐसे सूरदास हो गये। भगवान् लाठी पकड़कर चलते थे ? हाँ लाठी पकड़कर चलते थे। सूरदास धुले हुये थे साफ थे गंदे थे तब थे। तब तक भगवान् उनके नजदीक आये होंगे नहीं। उनकी गंध को सूँघकर के दुर्गंध को सूँघकर दूर भाग गये होंगे लेकिन जब उन्होंने अपना रवैया बदल दिया तब? तब फिर भगवान् ने भी अपना रवैया बदल दिया।
सूरदास का आपने नाम सुना। तुलसीदास का नाम सुना? जब थे कामुक तो कैसे थे जब उनकी स्त्री चली गयी पिता के घर तो वहाँ जा पहुँचे वह सुना है न किस्सा आपने मैं क्या सुनाऊँगा। इसी तरह से आपने आम्रपाली का सुना है न। आम्रपाली वैश्या थी वैश्या को तो सब हिकारत की निगाह से देखते है सब उसका अपमान करते हैं। सब उसको बुरी मानते हैं सब उसको यही कहते हैं कि नरक को जायेगी। लेकिन आम्रपाली नरक को गई थी क्या? नहीं नरक को नहीं गयी थी। भगवान् बुद्ध की शरण में आयी तो उनके पास जो कुछ था पैसा था सब भगवान् को सुपुर्द कर दिया और अपने शरीर को भी सुपुर्द कर दिया।
तन और मन दोनों को ही करना पड़ता है सुपुर्द। आप ध्यान रखिये चावल नहीं सुपुर्द करना पड़ते। चावल सुपुर्द कर देंगे फूल गैंदा का चढ़ा देंगे आँक का चढ़ा देंगे। आप किसी का चढ़ा दीजिये मत चढ़ाइये। भगवान् इस सारी सृष्टि का स्वामी है उसको फूलों की जरूरत पड़ेगी तो कहीं भी चला जायेगा जहाँ फूल पैदा होते हैं वहीं सूँघ लेगा और वहीं छोड़ देगा। भगवान् की फूलों की जरूरत पूरी कर रहे हैं। भगवान् का पेट कितना बड़ा है आप जानते हैं? भगवान् का पेट बहुत बड़ा है। उसमें समुद्र समा गया है उसमें जमीन समा गई है आसमान समा गया है उसको आप नैवेद्य लगाकर के पूजा कर देंगे कैसे कर पायेंगे संभव नहीं है।
लेकिन यही करना पड़ेगा आपके पास यदि अपनापन सही है तो फिर विश्वास रखिये सारी दुनिया सही हो जायेगी। आपकी आँखें यदि सही हैं तो आपको सब कुछ सही दीखेगा । आपने यदि आँखें खराब कर ली हैं तब दुनिया में घोर अंधकार छाया हुआ है सब जगह अंधकार। आपकी आँखें तो खराब हैं न। आँखों का इलाज करा लीजिये आँखें ठीक कर लीजिये आपको अच्छा वाला दीख पड़ेगा। चश्मा पहन लीजिये पीले रंग का सारी दुनिया पीली दिखाई पड़ेगी। अपनी ओर गौर कीजिये बाहर की ओर मत कीजिये गौर। यह बुरा है यह बुरा है हाँ सब बुरे हैं आप ही अच्छे हैं।
जरा अपने आपको अच्छा बनाकर देखिये फिर देखिये कि सारे लोग अच्छे बनते हैं कि नहीं। चाहे न भी बने वह पर कम से कम आपका जितने समय तक संपर्क बनेगा और आप जितने समय तक विचार करेंगे उतने समय तक वह आपके लिये अच्छे रहेंगे। बुरा करते हैं तो करने दीजिये लेकिन आप क्यों ऐसा सोचते हैं। कान यदि आपके सही हैं तो आपको दूसरों की सलाह मशविरा सुनने का मौका मिलेगा परामर्श का मौका मिलेगा आप अच्छी बातें सुन सकेंगे गाना सुन सकेंगे संगीत सुन सकेंगे। लेकिन यदि आपने अपने कान खराब कर लिये हैं तब तो सुन लीजिये न क्या सुनेंगे। सब जगह सन्नाटा सुनाई पड़ेगा। साय साय साय सब जगह से कुछ सुनाई नहीं पड़ेगा क्योंकि आपके कान तो खराब हो गये हैं दुनिया तो जहाँ की तहाँ है। आपका दिमाग खराब हो जाये तो पागल आप होंगे आपको दुनिया पागल दिखाई पड़ेगी। यह भी पागल, वह भी पागल, यह सब दुनिया में घूम रहे हैं सब पागल आदमी घूम रहे हैं। नहीं यह तो ठीक हैं आपका ही दिमाग खराब हो गया है।
आप अपने आपको ठीक कीजिये बस मजा आ जायेगा। साधना कीजिये बचत कीजिये। अपने लिये कम से कम जितना औसत भारतीय स्तर की जरूरत है उतने में अपना गुजारा कीजिये उससे बचा हुआ वक्त बचा हुआ समय, बचा हुआ पैसा भगवान् के लिये लगा दीजिये श्रम के लिये लगा दीजिये बस साधना हो गई। साधना इससे कम में नहीं हो सकती। इससे ज्यादा की आवश्यकता नहीं है इससे कम में कोई साधना नहीं हो सकती। नहीं हम भजन करेंगे तो हम क्या करेंगे बाबा आप करते रहिये भजन। भजन करने वाले ढेरों के ढेरों बैठे हैं जो चप्पलें चुरा ले जाते हैं और दिन भर भीख माँगते हैं और एक से एक गुण्डागर्दी करते हैं हम राम का नाम लेंगे पार हो जायेंगे। हाँ जरूर हो जायेंगे पार। बेकार की बातें उन लोगों ने जिन लोगों ने आपको समझा दिया है कि राम का नाम लेने से हर आदमी का उद्धार हो जाता है वह सौ फीसदी गलत आदमी है, झूठे आदमी हैं, बेईमान आदमी हैं और आपको गलत रास्ते पर चलाना चाहते हैं। हमने तो यही रास्ता अख्तियार किया है अपने अपने आपको धोया है और साफ किया है धोकर के साफ हो गये हैं साफ होने के बाद में हमारा भगवान् हमारे घर आता है हमारे पास आता है। साधना आपको भी करनी पड़ेगी इससे कम में कोई गुजारा नहीं है बस इतना ही आपसे निवेदन करना था। जो हमने किया है वही आप भी कीजिये। हमने जो पाया है वहीं आप भी पाइये।
समाप्त
चाहे संसार में देख लें चाहे भगवान् के यहाँ देख लें नियम एक से ही लागू होते हैं। चुनाव कमीशन बैठता है तो उसमें से इंटरव्यू लेता है जो उसमें से अच्छे डिवीजन लेकर आते हैं उनको अफसर की पदवी मिल जाती है। सरकार वज़ीफ़ा केवल उनको दिया करती है जिनके कि डिवीजन अच्छे होते हैं। फर्स्ट डिवीजन पाते हैं। हम गरीब हैं तो हम क्या करें गरीब हैं तो आप रहिये गरीब अपना कमाइए खाइये। सरकार से क्या मतलब आपके अंदर योग्यता है क्षमता है तो आपको वज़ीफ़ा मिलेगा और वज़ीफ़ा के द्वारा आप ज्यादा उन्नतिशील बन सकें इसीलिये आपको सहायता दी जा रही है। यही कायदा भगवान् के यहाँ है। आप पात्र है तो आपको सब मिलेगा और आप कुपात्र हैं तो कुपात्रों के लिए तो बाप भी वसीयत कर जाते हैं कि हमारा बेटा बड़ा कुपात्र है नाती जब हो जाये तब उसको हमारी संपत्ति में हक मिले लड़का जुआ खेलता है शराब पीता है उसको हमारी जायदाद में से कोई हक न मिले।
इस संसार में पात्रता का रिवाज है तो भगवान् के यहाँ क्यों नहीं होगा। वर्षा हुआ करती है और वर्षा में पानी सिर्फ उतना ही मिलता है जितना कि हमारे यहाँ पात्र हो। आप के पास थाली है तो आप रखिये खुले में थाली भरी हुई आपको मिलेगी रात को वर्षा हो रही है। तालाब इतना बड़ा है तो तालाब भरा हुआ मिलेगा। आपके पास छोटी कटोरी है तो छोटी कटोरी भरी हुई मिलेगी। आप यो नहीं कह सकते कि आपकी पात्रता कम हो और पात्रता से यदि ज्यादा पाने की अगर आप आशा करते हैं तो आप गलती करते हैं और वह गलती आपकी ऐसी है कि आपको पश्चाताप करना पड़ेगा और दूसरों की शिकायत करनी पड़ेगी अरे साहब उन्होंने हमारी सहायता नहीं की। भगवान् जी ने भी हमारी सहायता नहीं की। राम लक्ष्मण जी ने हमारी सहायता नहीं की। हनुमान् जी ने भी हमारी सहायता नहीं की। कोई नहीं करेगा। आप पात्र हैं तो ठीक है और अगर आप पात्र नहीं है तो कोई आपकी सहायता नहीं कर सकता।
आपको मालूम है खेत में बुआई से पहले जुताई करनी पड़ती है। आपको मालूम है कपड़े की रंगाई करने से पहले धुलाई करनी पड़ती है। साधना उसका नाम है कि अपने आपको हम इस तरह का बना लें कि जिसमें हमको इस लायक समझा जाये कि हमारे लिये कोई कीमती वस्तुएँ दी भी जायें। अगर हम इस लायक है कि हमको कोई कीमती वस्तुएँ नहीं दी जा सकें तो कोई नहीं देगा। बहुत छोटा बच्चा है कहे साहब बैंक की तिजोरी की चाबी हमको दे दीजिये नहीं आप चाबी को संभाल नहीं सकते इसलिये अभी आपको चाबी नहीं देंगे। अच्छा तो हमारा ब्याह कर दीजिये। अरे भाई पाँच वर्ष के बच्चे के कहीं ब्याह होते हैं इतना बड़ा हो जायेगा कमा कर लायेगा तभी तो शादी करेंगे कि अभी कर देंगे। नहीं साहब सारे मोहल्ले में बड़े लड़कों की शादी हो गई और आपको तो करनी ही है फिर अभी क्यों नहीं कर देते। जब इसका पात्र हो जायेगा उस समय हम जरूर करेंगे शादी लेकिन अभी करेगा तो तेरे गाल पर चपत पड़ेगी अभी शादी होने का कोई ढंग नहीं है।
आपको ध्यान भगवान् के ऊपर नहीं देना चाहिये भगवान् जी सहायता करेंगे कि नहीं करेंगे जब इस लायक पात्र होते जायेंगे उस लायक आपको बराबर मिलता जायेगा। कन्या बड़ी होती जाती है बाप उसके हिसाब से उसकी पढ़ाई का बड़ी फ्राक सिलवाने का बड़े कपड़े लेने का उसकी ब्याह शादी का सब इंतजाम करता है जब तक वह उसकी पात्र नहीं होती तब तक उसकी न शादी होती है न उसको बड़ी कीमती चीज दी जाती है और न उसको सोने की अंगूठी दी जाती है कोई छीन लेगा कैसे दे दे इसलिये दूसरी भगवान् से कुछ प्राप्त करने का या भगवान् के नजदीक होने का उनके भक्त होने का सबूत है अपने आपको सही कर लेना। अपने आपको सम्भाल लेना। अपने आपकी गलतियों को देखना। अपनी गलतियों को ठीक करना।
एक थी माँ माँ का छोटा सा बच्चा था कही गयी आई तो बच्चा रोने लगा दूध पीने के लिये माँ की गोदी में जाने के लिये। उसने कहा ठहर क्यों उस कमबख्त ने टट्टी कर ली थी टट्टी में अपने कपड़े भी साल लिये थे और हाथ भी सान लिये थे उसने कहा तेरे कपड़े बदल दें तुझे स्नान करा दें और तेरे हाथ साफ कर दें तोलिये से पोंछ दें साफ हो जायेगा तो गोदी में उठा लेंगे। नहीं माँ हम तो अभी आयेंगे नहीं अभी नहीं चाहे रोओ चाहे जो भी करो जब तक तुम साफ सुथरे नहीं हो जाते तब तक गोदी में लेने का कोई योग नहीं है। बस माँ ने उसको पकड़ लिया जबरदस्ती और नहलाया नहलाने के बाद उसके कपड़े बदले उसको तोलिये सु सुखाया फिर छाती से लगाया दूध पिलाया। यह बात आपकी हर जगह लागू होती है। और भगवान् के यहाँ तो यह खास तोर से लागू होती है। संसार में भी रिवाज यही है। संसार में आपने देखा है न सरकस के जानवरों को उसके सिखाने वाले बना लेते हैं तो एक एक जानवर ढेरों पैसा कमा कर लाता है। सपेरा साँप को सिखा लेते हैं। मदारी रीछ और बंदरों को सिखा लेते हैं। सरकस वाले शेर और बाघ और हाथियों को सिखा लेते हैं। यह शेर और बाघ कैसे भयंकर और खूँखार होते हैं लेकिन सरकस वालों के लिए रोजाना ढेरों आमदनी करके लाते हैं। यही शेर और यही चीते और यही हाथी और यही कुत्ते सरकस वाली कंपनी के जो सौ आदमी काम करते हैं सभी को खुराक देते हैं कपड़ा देते हैं, रोटी देते हैं पेंशन देते हैं प्राविडेण्ट फंड देते हैं सबके लिये इंतजाम करते हैं यही जानवर क्यों ? इसलिये कि सिखा लिये गये हैं। सिखाये न गये होते तब तब यह खूँखार रहते इनको देखकर ही आदमी भाग खड़ा होता यह आदमी का नुकसान कर देते या अपना नुकसान कर लेते मारे जाते कहीं कोई आदमी चीते को देखकर के भेड़िये को देखकर जिंदा रहने देगा। या तो अपनी जान गवायेगा या उसकी जान लेगा लेकिन सिखा लेने के बाद में यह जान लेने वाले जो जानवर हैं यह भी अपने काम में आते हैं।
ऊसर जमीन जिसमें आप बोये तो खाक भी पैदा न हो लेकिन उस पर से एक फुट मिट्टी उठा ली जाये मिट्टी उठा लेने के बाद में दूसरी जगह से अच्छी मिट्टी लाकर उपजाऊ बना ली जाये तो उसमें आप खेती कीजिये बगीचा लगाइये चाहे जो कुछ काम करिये जमीन को तो अच्छी बनाइए नहीं उसमें पैदावार नहीं हुई तो हम क्या करें पैदा वार नहीं हुई तो। जमीन को तो साफ की नहीं। जमीन को साफ किये बिना इसमें कोई चीज पैदा नहीं हो सकती। पाली है कलम लगा लगाकर के कैसे बढ़िया बगीचे लगा देता है। एक एक पेड़ के ऊपर दस दस तरह के फूल आते हैं। एक एक पेड़ के ऊपर चार चार तरह के फल आते हैं। उसकी टहनियों को काट काट कर माली यही किया करता है लोगों को तमाशा दिखाने के लिये और अपनी होशियारी दिखाने के लिये एक ही पेड़ में कई तरह की कलम लगा देता है एक ही पेड़ में कई तरह के फूल आते हैं। यह माली का किस्सा है। चलिये माली की बात याद आ गई मुझे। एक राजा ने दो माली रखे थे दोनों मालियों के सुपुर्द एक एक बगीचा किया गया। एक माली तो दिन और रात राजा के बगीचे में लगा रहा और एक साल के भीतर उसको इतना सर सब्ज बना दिया इतना फूलों और फलों से लदा हुआ बना दिया इतना खूबसूरत बना दिया नये पौधे लगा दिये देखते ही उसमें घुसने का हर एक का मन चलने लगा। एक और माली था उस माली ने राजा साहब की भक्ति दिखाने के लिये राजा साहब का फोटो मंगाया उस पर चंदन रोज चढ़ाया उनकी आरती उतारी एक सौ आठ परिक्रमा रोज की लेकिन उसकी जो जिम्मेदारी थी उस पर ध्यान नहीं दिया बगीचे को उजाड़ दिया बगीचा सूख गया। बगीचा सूख गया जिस हैसियत में दिया गया था बिलकुल वह भी नहीं रही जब सारा वक्त उसमें लगा देगा तो यह कैसे होगा।
आप माली हैं और आपको भगवान् के बगीचे के लिये सेवा करने के लिये भेजा गया है आप हमेशा ध्यान रखिये कि हम माली हैं। हमने तो रक्खा है। हमने हमेशा ध्यान रक्खा है कि हम केवल एक माली हैं और माली होने की वजह से अपना देश अपनी संस्कृति अपना समाज और अपने पड़ोसी और अपना घर अपनी गृहस्थी और अपने बीबी और अपने बच्चे जिन लोगों से हमारा ताल्लुक था उन सबके तई कर्तव्य निभाने के लिये चौबीस घंटे हमारा ध्यान बना रहा यह साधना है भगवान् की। सब भगवान् के तो हैं ही जितने भी प्राणी हैं सब भगवान् के हैं। जो कुछ भी इस संसार में है सब भगवान् का है। विराट रूप की आपको बात नहीं मालूम है।
भगवान् का विराट रूप अर्जुन कह रहा था भगवान् का हमको दर्शन करना है। तो भगवान् बार-बार कहते थे कि बाबा कहीं आँखों से दर्शन होते हैं क्या। हमें देखे ले नहीं साहब हम भगवान को देखना चाहते हैं। भगवान् को देखना चाहते हैं तो उन्होंने ज्ञान की आँखें दी और यह कहा कि यह विराट जो सारा संसार है यही भगवान् है। इसी तरह उनकी माँ कह रही थी तू तो हमारा लड़का मालूम पड़ता है और हमने तो पहले जनम में तपस्या की थी कि हमारे यहाँ पेट में भगवान् पैदा होगा तू तो भगवान् मालूम नहीं पड़ता। बच्चा मालूम पड़ता है। उन्होंने कहा हाँ माताजी मैं तो बच्चा हूँ पर भगवान् ही आपका देखने का वास्तविक मन हो तो उन्होंने मिट्टी खाने के बहाने अपना मुख खोल दिया सारा विराट ब्रह्माण्ड देखा। कौशल्या के सामने भी यही हुआ कौशल्या को भी यही शक था कि यह तो लड़का मालूम पड़ता है।
हमसे नारद जी ने कहा था तेरे भगवान् पैदा होंगे। यह कहाँ भगवान् है तो उन्होंने कहा भगवान् रामचंद्र जी ने। बचपन में हँसते हुए अपना मुँह खोलकर दिखाया उसने कहा देख में नहीं हूँ भगवान् भगवान् विराट है यह सारा विश्व। सारा विश्व ब्रह्माण्ड जो फैला हुआ है यह वास्तव में भगवान् का विराट रूप है कही आँखें हैं उसकी, कहीं कान है, कहीं क्या है, कहीं क्या है? विराट रूप की तस्वीर कभी आपने देखी होगी यह सारा संसार विराट है। इस विराट की सेवा करने के लिये इस विराट के तई त्याग और बलिदान करने के लिए इसको अच्छा, समुन्नत बनाने के लिए जो भी हम प्रयत्न करते हैं आप यह मानकर चलिये कि यह भगवान् के लिये किया जा रहा है सिर्फ भगवान् की पूजा और सेवा की जा रही है। क्या सेवा और पूजा नहीं की जानी चाहिये ? वह भी बता देंगे बाबा उसमें क्या बड़ी से बात है? वह कोई बड़ी सी बात नहीं है। माँगना हो तो हाथ जोड़कर माँगे कि झोली में माँगे कि टोपी में माँगे कि कपड़े में माँगे अरे बाबा इसमें क्या रक्खा है असली बात यह देख जिससे भगवान् प्रसन्न होते हैं। भगवान् केवल राम नाम कितनी बार ले माला कितनी बार घुला लें यह भर नहीं है आप घबराइये नहीं। आपके ऊपर यही बहुत जल्दी पड़ी हो कि चिड़िया पकड़ने के लिए बाजरे का दाना चाहिये कि मक्के का दाना चाहिये कि चावल का दाना चाहिये पूर्व की ओर मुँह करके बैठे कि पश्चिम की ओर मुँह करके बैठें यह बेकार की बाते हैं सारे जीवन को भगवान् के लिये सुपुर्द करना पड़ता है। भगवान् की भक्ति घंटे भर में नहीं होती आधा घंटे में नहीं होती चौबीसों घंटे सोते और जागते प्रत्येक समय में यह करना पड़ता है कि हम भगवान् के प्रति उसके संसार के प्रति अपने कर्तव्यों को निर्वाह रहे हैं कि नहीं हमारे अंदर गलतियों में कही हो रही है कि नहीं।
आपने सुना है आपने देखा है मिट्टी में से धातुएँ जब निकलती हैं कच्ची निकलती हैं। लोहा जब निकलता है जमीन में से खोदने के बाद बिलकुल कच्चा होता है। लेकिन आग में जब उसको तपाते हैं तपाने के बाद में उसमें जो मिट्टी घुली हुई होती है वह जलकर के खतम हो जाती है और जो केवल लोहा होता है बाहर आ जाता है। तपाना पड़ता है। तपाना याने साधना करना। जीवन की साधना करना जो हमारे जीवन में अस्तव्यस्तता है उन सारी अस्त व्यस्तताओं को जब तक आप दूर नहीं करेंगे तब तक आप साधक नहीं कहलायेंगे। साधना भगवान् की नहीं करना पड़ती भगवान् को कहाँ से इतना टाइम आया कहा से इतनी फुरसत आयी कि आपकी साधना का हिसाब लगाता फिरे और यह देखे कि भगवान् की साधना कर रहे हैं।
अपनी कीजिये अपनी साधना करनी पड़ती है लोहे की। सोने में कुछ मिला हुआ होता है। सुनार उसको आग में तपाने के बाद में उसमें से जो खराब चीजें होती है उसको निकाल देता है सोने के बढ़िया- बढ़िया जेवर बनाता है। नई साहब हम सोने को तपाने नहीं देंगे तपाने नहीं देंगे तो बाबा इसमें से सोने के जेवर नहीं बनेंगे। जेवर बनने के लिए तपाया जाता है। सोने को और इंसान को तपाया जाता है। साधक बनना पड़ता है अपनी साधना करनी पड़ती है। अपने गुण, कर्म और स्वभाव इन सबको ठीक करना पड़ता है। जब तक इन सबको ठीक नहीं करेंगे तक तक किस तरीके से काम चलेगा। तलवार को जब तक घिसा नहीं जायेगा तब तक उसमें धार नहीं आयेगी धार नहीं आयेगी तो फिर बताइये कैसे चलेगी। बिलकुल खपच्ची जैसी होगी खपच्ची किसी को मार दीजिये मार देंगे तो किसी को जरा सी लग जायेगी खून निकलने लगेगा किसी का सिर नहीं कट सकता। जब तक धार नहीं होती।
इंसान के ऊपर धार चढ़ाना साधना करना दोनों एक ही बात है। हीरा जब खदान में से निकाला जाता है तो इसी तरह का टेढ़ा सीधा पत्थर का टुकड़ा होता है लेकिन जब मशीनों के द्वारा जौहरी उसके ऊपर छः पहल काट लेता है टेड़ी सीधी कर लेता है तो हीरे की कीमत आती है। कच्चे हीरे की कीमत नहीं आती। गंदा पानी किसी की आँख में डाल दें तो आँख खराब हो जायेगी। डिस्टिल्ड वाटर हवा में उड़ाया हुआ वाटर जब साफ हो जाता है तब आँख में डाला जाता है पीने की दवाओं में मिलाया जाता है खराब पानी नहीं मिलाया जाता है। आप अपने पानी को ठीक कीजिये न। ठीक नहीं करेंगे तो फिर कैसे बात बनेगी। भगवान् को अपने घर बुलाने का मन है तो फिर सफाई नहीं करेंगे। शादी जब घर में होती है तो आपने घर की सफाई की है कि नहीं की है कि ऐसे ही गंदा डाल देते हो। मेहमान आयेंगे, रिश्तेदार आयेंगे, मिलने जुलने वाले आयेंगे बैठेंगे तो अपने मकान को तो साफ करके रक्खें। दीवाली आती है लक्ष्मी जी आती हैं घर की पुताई होती है कि नहीं होती। नई साहब पोतेंगे नहीं तो लक्ष्मी जी क्या करेंगी गंदे घर में आकर। गंदे घर में नहीं आती। भगवान् जो हैं गंदे घर में नहीं आते। आपने अपने मन आपने अपनी बुद्धि में आपने अपने स्वभाव में आपने अपने कर्म में गंदगियाँ भर रक्खी हैं तो ऐसे में भगवान् क्या करेगा कहाँ जायेगा। कैसे रहेगा भगवान् के लिये जगह तो बनाइए न साफ नहीं करेंगे। भगवान् के लिये जगह बनाइए जगह से मतलब कमरे से नहीं है मेरा। कोठरी को साफ करें, सिंहासन को साफ करें, बर्तनों को साफ करें ठीक है मरजी है वह तो करना ही चाहिये आपको। लेकिन अपने जीवन में साधना जीवन की है। उपासना जीवन भर की है। आधा घंटे की नहीं है। नई साहब हम आधा घंटा उपासना करते हैं हाँ अच्छी करते हैं कर लेते हैं तो अच्छी बात है नहीं कर लेते हैं तो अच्छी बात है। तो क्यों साहब उपासना नहीं करनी चाहिये। अरे बाबा बता देंगे उसको भी । उसका महत्त्व नहीं है कोई।
सैकड़ों संत हैं, बाबाजी हैं, ब्राह्मण हैं, पंडित हैं ये सब दे भजन, दे भजन भगवान् जी की पूँछ उखाड़ लेते हैं और यह भजन जो है न उनके कभी काम आया और न आगे काम आयेगा। सारा जीवन उससे भजन के साथ मिलाना पड़ता है आप यह नहीं समझ पाते क्या। मनुष्य का जीवन एक कमण्डल की तरीके से है आप उसमें सुराख कर देंगे तो यह डूब जायेगा। यह नाव के तरीके से है नाव डूबेगी। इसमें सूराख जहाँ कहीं भी होंगे, वासना के सूराख, तृष्णा के सूराख, अहंता के सूराख यह सूराख आप नाव में बनाकर रखेंगे और उस पर सवारी करेंगे तो यह नाव डूबेगी नहीं बताइये आप। यही है भवसागर जिसे हम कहते हैं हे भगवान् भवसागर से निकाल हमको बंधन से मुक्त कर। मुक्ति आप चाहते हैं न। तो मुक्ति किससे चाहते हैं यही है तीन इन तीन से आप छुटकारा पाना आपके हाथ में है भगवान् के हाथ में मुक्ति नहीं है। आप प्राप्त कर लीजिये मुक्ति। वासना से प्राप्त कर लीजिये मुक्ति, तृष्णा से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये, अहंता से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये। इन तीन से मुक्ति प्राप्त कर लीजिये और फिर देखिये कि आप इसी जीवन में मुक्त हैं कि नहीं। यह जीवनमुक्त यह भी एक शब्द आता है। मुक्ति उसी को नहीं कहते कि यहाँ से मरने के बाद जब भगवान के यहाँ जायेंगे तो वहा आपको मुक्ति वाले कमरे में बैठा दिया जायेगा। ऐसा नहीं है जीवनमुक्ति है। जीवनमुक्त वही हैं के जिन्होंने अपने आपको भवबंधनों से मुक्त कर लिया है।और मुक्त वे हैं जिन्होंने हथकड़ी बेड़ी अपनी खोल ली है। यह हथकड़ी बेड़ी खुलने वाली हैं लोभ और मोह। लोभ की हथकड़ी। मोह की हथकड़ी। लोभ की हथकड़ी, मोह की बेड़ी लोभ आप किस बात का करते हैं आदमी को कितना चाहिये।
आदमी को जरा सा चाहिये। आदमी को भगवान् ने इस लायक बनाया है कि ढेरों के ढेरों कमा सकता है सोने के पहाड़ कमा सकता है। और उसका खर्च इतना कम कि किसी भी जानवर का नहीं। गधा आपसे ज्यादा घास खा जाता है, घोड़ा ज्यादा खा जाता है। भैंसा ज्यादा खा जाता है। बैल ज्यादा खा जाता है प्रत्येक जानवर आपकी बनिस्बत ज्यादा खाने वाला है लेकिन आपका तो दो मुट्ठी में पेट भर जाता है अंधाधुन्ध भरे तो दो की जगह चार मुट्ठी भर लीजिये। आमाशय को नाप लीजिये आपको कोई एनाटोमी की किताब मिल जायेगी देख लीजिये आमाशय की कितनी लम्बाई चौड़ाई है। उसमें भी यह लिखा हुआ है कि आधा अनाज से भरो थोड़ा हवा के लिये छोड़ो थोड़ा पानी के लिये छोड़ो। तो मुश्किल से दो मुट्ठी अनाज आता है। आदमी की खुराक कितनी है। जरा सी है और आदमी का खर्चा। खर्चा भी कम। और कुटुम्ब का कुटुम्ब पालने में हमको भारी शक्ति लगानी पड़ती है। कुटुम्ब में क्या शक्ति लगानी पड़ेगी। कुटुम्ब तो खिलौने हैं यह बच्चे है आपके इनसे खेलिये ये खेलने के लिये हैं कि आपको पालन करना पड़ता है। पालन नहीं करना पड़ता इससे आप थके हुये आते हैं चाभीदार खिलौने से जैसे बच्चे खेलते हैं आप इन बच्चों से खेलते रहिये। यह आपके लिये क्या परेशानी पैदा करते हैं हर एक को स्वावलम्बी बनाइये। आप संस्कारवान बनाइये। जो भी आपके कुटुम्ब में है यदि आप स्वावलम्बी बनाते हैं संस्कारवान बनाते हैं तो आपको जरा भी कोई दिक्कत नहीं आने वाली। हाँ दिक्कत तब आयेगी जब आप सात पीढ़ी का खाने का इंतजाम आप उनके लिये करेंगे। जो कुछ हमने कमाया है बेटे को दे जायें, नाती को दे जायें पोते को दे जायें और पड़ोसी को ? पड़ोसी को आग लगा दीजिये। क्यों पड़ोसी को क्यों नहीं देंगे, बेटे को क्यों देंगे बेटा क्या है आपका आँखों से अंधा है, गूँगा है लूला है, लंगड़ा है। क्या बात है अपाहिज है, अपंग है सब बच्चे को देंगे। नहीं बच्चे को नहीं देंगे। हमने अपनी जिंदगी भर दिया ही नहीं। हमारा बाप ढेरों की ढेरों संपत्ति छोड़कर मरा था हमने सब बाँट दी सब भगवान् को दे दी उससे हम नफे में रहे। कोई नुकसान में नहीं रहे। हथकड़ी और बेड़ी आप चाहे तो आप बड़े मजे में आप काट सकते हैं और जरा भी इससे कोई दिक्कत नहीं आयेगी। आप भूलिये मत आपको अपनी सफाई करनी पड़ेगी सफाई किये बिना भगवान् की भक्ति से आपका उद्धार नहीं हो सकता। नई साहब उद्धार हुआ है। किसका हुआ है बताइये जरा।
साहब उनका हुआ है बहुत से पापी लोग थे और नाम जपते रहे और राम नाम जपकर सबकी मुक्ति हो गई जरा नाम बताइये दो एक का नाम बताइये। गणिका, गीध अजामिल तारे, तारे सदन कसाई। अच्छा तो इसी चक्कर में है आप कसाई की दुकान भी खोले रहेंगे बैठे ठाले जब कोई फुरसत का वक्त हो गया तो राम कह दिया कभी क्या कह दिया कभी क्या कह दिया बस सीधे मुक्ति में चले जायेंगे। नहीं ऐसा नहीं हो सकता। आपने जिन लोगों के नाम गिनाये हैं जरा उनकी जिंदगी के पन्ने तो पलटकर देखिये। आपको यह है कि बाल्मीकि इतने बड़े संत हो गये जिनके यहाँ रामचंद्र जी ने अपनी धर्मपत्नी को भेज दिया बच्चों का गार्जियन बना दिया तो आपका भी बनने का मन है क्या। तो फिर लीजिये डाकू पन बंद कीजिये आज से और आज से संत की जिंदगी जिये। डाकू था जब डाकू था लेकिन जिस दिन से राम का लेना शुरू कर दिया जिस दिन भगवान् का हो गया भगवान् का हो गया फिर उस दिन के बाद में न उसने डाका मारा न उसने चोरी की न उठाईगीरी की। सीताजी जवान थीं और उनके घर में भगवान् ने भेज दी थी। अकेले घर में रहती थी क्या मजाल है कि उन्होंने आँख उठाकर के देखा हो। बच्चों को कितना शानदार बना दिया क्यों? उन्होंने अपने आपको शानदार बना लिया और उन्होंने माला घुमाना सीखा होता और तरह के जंत्र, मंत्र और तंत्र और यंत्र बनाये होते अपनी जिंदगी को अच्छा न किया होता तो आपका ख्याल है कि बाल्मीकि का उद्धार हो गया होता। अजामिल का उद्धार हो गया होता, अंगुलिमाल का उद्धार हो गया होता। अंगुलिमाल जब तक डाकू था तक तक डाकू था और जब भगवान् बुद्ध की शरण में आया उसने डाका मारना बंद कर दिया। चोरी करना बंद कर दिया। उसने जो कुछ भी कमाया था जो कुछ भी कर सकता था बेचारा पाप के प्रायश्चित में यह किया जो कुछ भी जमा करके रक्खा था सारा भगवान् को दे दिया अब यह तो मुझे मालूम नहीं जाने किससे लिया था किसको तलाश करूँगा आप ही जिसका हो पुण्य उसी को पहुँचा देना दे दिया और अपनी जिंदगी भगवान् बुद्ध को सुपुर्द कर दी। और यह कहा कि मुझे हुकुम दीजिये। भगवान् बुद्ध ने उसको इंडोनेशिया के इलाके में भेजा था।
अंगुलिमाल सारी जिंदगी भर जब तक जिया तब तक हिन्दुस्तान से बाहर चला गया और वही अंगुलिमाल संत बनकर के और भगवान् के काम में जिंदगी निछावर कर दी। सूरदास का नाम तो सुना है आपने बिल्व मंगल थे कैसी गंदगी जिंदगी थी उनकी उनके पिताजी मरे हुये रखे थे और वह वैश्या के घर में पड़े हुये थे सुना है आपने नहीं सुना? सुना होगा लेकिन जब उन्होंने अपने चाल चलन को बदल दिया दिया, काम करने के ढंग और तरीके को बदल दिया तो वह सूरदास हो गये। फिर वह सूरदास हो गये जिन्होंने अपनी आँखें खराब कर ली थीं तो भी भगवान् जी आते थे बच्चे के रूप में उनकी लाठी पकड़कर चलते थे ऐसे सूरदास हो गये। भगवान् लाठी पकड़कर चलते थे ? हाँ लाठी पकड़कर चलते थे। सूरदास धुले हुये थे साफ थे गंदे थे तब थे। तब तक भगवान् उनके नजदीक आये होंगे नहीं। उनकी गंध को सूँघकर के दुर्गंध को सूँघकर दूर भाग गये होंगे लेकिन जब उन्होंने अपना रवैया बदल दिया तब? तब फिर भगवान् ने भी अपना रवैया बदल दिया।
सूरदास का आपने नाम सुना। तुलसीदास का नाम सुना? जब थे कामुक तो कैसे थे जब उनकी स्त्री चली गयी पिता के घर तो वहाँ जा पहुँचे वह सुना है न किस्सा आपने मैं क्या सुनाऊँगा। इसी तरह से आपने आम्रपाली का सुना है न। आम्रपाली वैश्या थी वैश्या को तो सब हिकारत की निगाह से देखते है सब उसका अपमान करते हैं। सब उसको बुरी मानते हैं सब उसको यही कहते हैं कि नरक को जायेगी। लेकिन आम्रपाली नरक को गई थी क्या? नहीं नरक को नहीं गयी थी। भगवान् बुद्ध की शरण में आयी तो उनके पास जो कुछ था पैसा था सब भगवान् को सुपुर्द कर दिया और अपने शरीर को भी सुपुर्द कर दिया।
तन और मन दोनों को ही करना पड़ता है सुपुर्द। आप ध्यान रखिये चावल नहीं सुपुर्द करना पड़ते। चावल सुपुर्द कर देंगे फूल गैंदा का चढ़ा देंगे आँक का चढ़ा देंगे। आप किसी का चढ़ा दीजिये मत चढ़ाइये। भगवान् इस सारी सृष्टि का स्वामी है उसको फूलों की जरूरत पड़ेगी तो कहीं भी चला जायेगा जहाँ फूल पैदा होते हैं वहीं सूँघ लेगा और वहीं छोड़ देगा। भगवान् की फूलों की जरूरत पूरी कर रहे हैं। भगवान् का पेट कितना बड़ा है आप जानते हैं? भगवान् का पेट बहुत बड़ा है। उसमें समुद्र समा गया है उसमें जमीन समा गई है आसमान समा गया है उसको आप नैवेद्य लगाकर के पूजा कर देंगे कैसे कर पायेंगे संभव नहीं है।
लेकिन यही करना पड़ेगा आपके पास यदि अपनापन सही है तो फिर विश्वास रखिये सारी दुनिया सही हो जायेगी। आपकी आँखें यदि सही हैं तो आपको सब कुछ सही दीखेगा । आपने यदि आँखें खराब कर ली हैं तब दुनिया में घोर अंधकार छाया हुआ है सब जगह अंधकार। आपकी आँखें तो खराब हैं न। आँखों का इलाज करा लीजिये आँखें ठीक कर लीजिये आपको अच्छा वाला दीख पड़ेगा। चश्मा पहन लीजिये पीले रंग का सारी दुनिया पीली दिखाई पड़ेगी। अपनी ओर गौर कीजिये बाहर की ओर मत कीजिये गौर। यह बुरा है यह बुरा है हाँ सब बुरे हैं आप ही अच्छे हैं।
जरा अपने आपको अच्छा बनाकर देखिये फिर देखिये कि सारे लोग अच्छे बनते हैं कि नहीं। चाहे न भी बने वह पर कम से कम आपका जितने समय तक संपर्क बनेगा और आप जितने समय तक विचार करेंगे उतने समय तक वह आपके लिये अच्छे रहेंगे। बुरा करते हैं तो करने दीजिये लेकिन आप क्यों ऐसा सोचते हैं। कान यदि आपके सही हैं तो आपको दूसरों की सलाह मशविरा सुनने का मौका मिलेगा परामर्श का मौका मिलेगा आप अच्छी बातें सुन सकेंगे गाना सुन सकेंगे संगीत सुन सकेंगे। लेकिन यदि आपने अपने कान खराब कर लिये हैं तब तो सुन लीजिये न क्या सुनेंगे। सब जगह सन्नाटा सुनाई पड़ेगा। साय साय साय सब जगह से कुछ सुनाई नहीं पड़ेगा क्योंकि आपके कान तो खराब हो गये हैं दुनिया तो जहाँ की तहाँ है। आपका दिमाग खराब हो जाये तो पागल आप होंगे आपको दुनिया पागल दिखाई पड़ेगी। यह भी पागल, वह भी पागल, यह सब दुनिया में घूम रहे हैं सब पागल आदमी घूम रहे हैं। नहीं यह तो ठीक हैं आपका ही दिमाग खराब हो गया है।
आप अपने आपको ठीक कीजिये बस मजा आ जायेगा। साधना कीजिये बचत कीजिये। अपने लिये कम से कम जितना औसत भारतीय स्तर की जरूरत है उतने में अपना गुजारा कीजिये उससे बचा हुआ वक्त बचा हुआ समय, बचा हुआ पैसा भगवान् के लिये लगा दीजिये श्रम के लिये लगा दीजिये बस साधना हो गई। साधना इससे कम में नहीं हो सकती। इससे ज्यादा की आवश्यकता नहीं है इससे कम में कोई साधना नहीं हो सकती। नहीं हम भजन करेंगे तो हम क्या करेंगे बाबा आप करते रहिये भजन। भजन करने वाले ढेरों के ढेरों बैठे हैं जो चप्पलें चुरा ले जाते हैं और दिन भर भीख माँगते हैं और एक से एक गुण्डागर्दी करते हैं हम राम का नाम लेंगे पार हो जायेंगे। हाँ जरूर हो जायेंगे पार। बेकार की बातें उन लोगों ने जिन लोगों ने आपको समझा दिया है कि राम का नाम लेने से हर आदमी का उद्धार हो जाता है वह सौ फीसदी गलत आदमी है, झूठे आदमी हैं, बेईमान आदमी हैं और आपको गलत रास्ते पर चलाना चाहते हैं। हमने तो यही रास्ता अख्तियार किया है अपने अपने आपको धोया है और साफ किया है धोकर के साफ हो गये हैं साफ होने के बाद में हमारा भगवान् हमारे घर आता है हमारे पास आता है। साधना आपको भी करनी पड़ेगी इससे कम में कोई गुजारा नहीं है बस इतना ही आपसे निवेदन करना था। जो हमने किया है वही आप भी कीजिये। हमने जो पाया है वहीं आप भी पाइये।
समाप्त