Monday 13, January 2025
शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, पौष 2025
पंचांग 13/01/2025 • January 13, 2025
पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), पौष | पूर्णिमा तिथि 03:56 AM तक उपरांत प्रतिपदा | नक्षत्र आद्रा 10:38 AM तक उपरांत पुनर्वसु | वैधृति योग 04:38 AM तक, उसके बाद विष्कुम्भ योग | करण विष्टि 04:26 PM तक, बाद बव 03:56 AM तक, बाद बालव |
जनवरी 13 सोमवार को राहु 08:35 AM से 09:52 AM तक है | 04:19 AM तक चन्द्रमा मिथुन उपरांत कर्क राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:18 AM सूर्यास्त 5:33 PM चन्द्रोदय 4:56 PM चन्द्रास्त 7:41 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु शिशिर
V. Ayana उत्तरायण
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - पौष
- अमांत - पौष
तिथि
- शुक्ल पक्ष पूर्णिमा - Jan 13 05:03 AM – Jan 14 03:56 AM
- कृष्ण पक्ष प्रतिपदा - Jan 14 03:56 AM – Jan 15 03:21 AM
नक्षत्र
- आद्रा - Jan 12 11:24 AM – Jan 13 10:38 AM
- पुनर्वसु - Jan 13 10:38 AM – Jan 14 10:16 AM
लोहड़ी के इस पावन अवसर पर आपको ढेर सारी खुशियाँ और समृद्धि मिले, शुभकामनाएँ !
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गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
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!! आज के दिव्य दर्शन 13 January 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
आप अपने घर के वातावरण में समझदारी, ईमानदारी और जिम्मेदारी का माद्दा हर सदस्य के भीतर पैदा कर सकते हैं। ये खूबसूरती के लिहाज से कपड़ों के लिहाज से भी शिक्षा के लिहाज से भी आजीविका के लिहाज से भी बुद्धिमानी के लिहाज से भी। सबसे ज्यादा वजनदार चीज आप इसके लिए क्या काम करेंगे? आप एक सुव्यवस्था का शिक्षण अपने घर में ही रह करके कर सकते हैं। सुव्यवस्था मैनेजमेंट का प्रत्येक भाग घर से तालुक रखता है। एक बड़े राष्ट्र को आपके सुपुर्द किया जाए अथवा एक कारखाने को सुपुर्द किया जाए अथवा एक शहर का आपको मेयर बना दिया जाए तब,तब आप क्या करेंगे? जिन गुणों की जिस समझदारी की आवश्यकता है,उसका अभ्यास करने के लिए आपको अपने छोटे कुटुंब में उन सारे-के-सारे गुणों को और व्यवस्थाओं को सीखना चाहिए एवं सिखाना चाहिए।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
(३) कला मंच से भाव स्पन्दन-कला मंच में चित्र, मूर्तियाँ, नाटक, अभिनय, संगीत आदि आते हैं। संगीत विद्यालय हर जगह खुलें। ध्वनियाँ सीमित हो, बाजे भी सीमित हो, सरल संगीत के ऐसे पाठ्यक्रम हो, जो वर्षों में नहीं महीनों में सीखे जा सकें। प्रचण्ड प्रेरणा भरे गीतों का प्रचलन इन विद्यालयों द्वारा हो और हर्षोत्सवों पर प्रेरक गायनों की ही प्रधानता रहे। अग्नि गीतों की पुस्तिकाएँ सर्वत्र उपलब्ध रहें। संगीत सम्मेलन, संगीत गोष्ठियाँ, कीर्तन, प्रवचन, सहगान, क्रिया गान, नाटक, लोकनृत्य जैसे अगणित मंच मण्डप सर्वत्र बनें और वे लोकरंजन की आवश्यकता पूरी करें।
चित्र प्रकाशन अपने आप में एक बड़ा काम है। कैलेण्डर तथा दूसरे चित्र आजकल खूब छपते, बिकते है उनमें प्रेरक प्रसंगों को जोड़ा जा सके तो उससे जन-मानस को मोड़ने में भारी सहायता मिल सकती है। इसमें चित्रकारों से अधिक सहयोग चित्र प्रकाशकों का चाहिए। आदर्शवादी चित्र प्रकाशन की योजना हो, तो चित्रकार उस तरह की तस्वीरें और भी अधिक प्रसन्नतापूर्वक बना देंगे। यह कार्य ऐसे है जिनमें प्रतिभा, पूँजी, सूझबूझ और लगन का थोड़ा भी समन्वय हो जाय तो बिना किसी खतरे का सामना किये सहज ही आवश्यकता पूरी की जा सकती है।
यंत्रीकरण के साथ कला का समन्वय होने से ग्रामोफोन रिकार्ड, टेप रिकार्डर तथा फिल्म सिनेमा के नये प्रभावशाली माध्यम सामने आये हैं। उनका सदुपयोग होना चाहिए। चित्र प्रदर्शनियों के उपयुक्त बड़े साइज के चित्र छपने चाहिए। रिकार्ड बनाने का कार्य योजनाबद्ध रूप से आगे बढ़ना चाहिए। यों शुरुआत दस रिकार्डों से की गई थी। पर अभी उसे सभी भाषाओं के लिए, सभी प्रयोजनों के लिए उपयुक्त बनाने में बड़ी शक्ति तथा पूँजी लगानी पड़ेगी। इसी प्रकार फिल्म निर्माण का कार्य हाथ में लेना होगा। आँकड़े यह बताते हैं कि समाचार पत्र और रेडियो मिलकर जितने लोगों को सन्देश सुनाते है, उससे कहीं अधिक सन्देश अकेला सिनेमा पहुँचाता है।
समाचार पत्रों के पाठकों और रेडियो सुनने वालों की मिली संख्या से भी सिनेमा देखने वालों की संख्या अधिक है। यदि यह उद्योग विवेकवान और दूरदर्शी हाथों में हो और वे उसका उपयोग जन-मानस को परिष्कृत करने तथा नवयुग के अनुरूप वातावरण बनाने में कर गुजरें तो उसका आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ सकता है। जिनके हाथ में इन दिनों यह उद्योग है, उनका दृष्टिकोण बदला जाय तथा नये लोग नई पूँजी और नई लगन के साथ इस क्षेत्र में उतरें, तो इतना अधिक कार्य हो सकता है जिसकी कल्पना भी इस समय कठिन है।
.....क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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