Sunday 04, May 2025
शुक्ल पक्ष सप्तमी, बैशाख 2025
पंचांग 04/05/2025 • May 04, 2025
बैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), बैशाख | सप्तमी तिथि 07:19 AM तक उपरांत अष्टमी | नक्षत्र पुष्य 12:53 PM तक उपरांत आश्लेषा | गण्ड योग 12:41 AM तक, उसके बाद वृद्धि योग | करण वणिज 07:19 AM तक, बाद विष्टि 07:21 PM तक, बाद बव |
मई 04 रविवार को राहु 05:12 PM से 06:52 PM तक है | चन्द्रमा कर्क राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 5:36 AM सूर्यास्त 6:52 PM चन्द्रोदय 11:30 AM चन्द्रास्त 1:34 AM अयन उत्तरायण द्रिक ऋतु ग्रीष्म
- विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
- शक सम्वत - 1947, विश्वावसु
- पूर्णिमांत - बैशाख
- अमांत - बैशाख
तिथि
- शुक्ल पक्ष सप्तमी
- May 03 07:52 AM – May 04 07:19 AM
- शुक्ल पक्ष अष्टमी
- May 04 07:19 AM – May 05 07:36 AM
नक्षत्र
- पुष्य - May 03 12:34 PM – May 04 12:53 PM
- आश्लेषा - May 04 12:53 PM – May 05 02:01 PM

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गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन












आज का सद्चिंतन (बोर्ड)




आज का सद्वाक्य




नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन

!! देवात्मा हिमालय मंदिर Devatma Himalaya Mandir गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार 04 May 2025 !!

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!! गायत्री माता मंदिर Gayatri Mata Mandir गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार 04 May 2025

!! परम पूज्य गुरुदेव का कक्ष 04 May 2025 गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

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!! शांतिकुंज दर्शन 04 May 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!(गायत्री माता का ध्यान क्यों महत्वपूर्ण है )
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
हमको ध्यान करना चाहिए, किसका ये साकार, किसका ध्यान है, किसका निराकार। साकार का ध्यान है और निराकार, निराकार तो बेटे और सविता पिता हैं, गायत्री माता हमको स्नेह देती हैं, स्नेह देती हैं। वो भाव माता का भाव, भगवान को माता का भाव हम जब मानते हैं, तो क्या देते हैं? भगवान हमको स्नेह देते हैं, हमको करुणा देते हैं, हमको दयालुता देते हैं, हमको श्रद्धा देते हैं। और सविता जब हमारे पास ये चीजें आ जाती हैं, तो सविता का दूसरा वाला ध्यान जो है, जिसको हम निराकार ध्यान कहते हैं, हमारे अंदर देता है, तो शक्ति देता है। शक्ति किसे देता है? महाराज जी, हम सविता का शुरू में ध्यान करें? नहीं, बेटे, शुरू में मत करना, पहले माता का ध्यान कर, बाद में, बाद में तू सविता का ध्यान करना। सविता क्या देता है? सविता, बेटे, सारा सामान देता है, क्या-क्या सामान देता है? पिता क्या देता है? पिता, बेटे, पढ़ाई के लिए फीस देता है, अपनी कमाई का मकान देता है, और तेरी औरत को जेवर बना के देता है, और कहीं सिफारिश में ले जाता है, कह देता है, हाँ, बेटे, बाप के पास माल है, और उसके पास अम्मा के पास माल नहीं है। क्या है? अम्मा के पास, अम्मा के पास प्यार है, दुलार है, छाती से वही लगाए रहेगी, छाती का दूध दूध वही पिलाएगी। तू तो टट्टी कर लेगा, तो धुलेगी वही प्यार, वही देगी। और बाप, बाप के पास, टट्टी कर लेगा तो, अरे ले जा, ये बच्चा बच्चा देखो, टट्टी कर देता है, ले जाओ, धो दो। हमारा कोट धो देना, नहीं तो आप बच्चे को धो दीजिए, अपने कपड़े धो लीजिए। नहीं, साहब, ये हमारा काम नहीं है, लीजिए ये, ये इनको, बच्चे को लो, ले जाओ यहाँ से। हम तो पालने से, हम तो खिलाने ले आए थे, इसने टट्टी कर मारी, ले जाओ इसको यहाँ से। और ये भी ले जाओ, कुर्ता और, उस पे माँ पे भी झल्ला रहा है, कुत्ता भी झल्ला रहा है। कौन झल्ला रहा है? बाप, बाप कौन है? सविता, हमारा पिता, एक आँख प्यार की और एक आँख सुधार की, एक प्यार की आँख माता के पास है, गायत्री माता के पास, सुधार की आँख सविता के पास है। इसलिए जिसकी हमको प्रारंभिक आवश्यकता है, गायत्री माता से मिलता है, और शक्ति सविता से मिलती है।
अखण्ड-ज्योति से
मन मस्तिष्क के बारे में भी यही बात है। उसमें हलचलें चल रही होगी, तरह-तरह के विचार उठ रहे होगे तो जल में उठती हुई हिलोरों की तरह अस्थिरता ही बनी रहेगी। स्थिर जल राशि में चन्द्र, सूर्य तारे आदि का प्रतिबिम्ब ठीक प्रकार दृष्टिगोचर होता है पर हिलते हुए पानी में कोई छवि नहीं देखी जा सकती। विचारों की हड़कम्प यदि मस्तिष्क में उठती रहें-तरह तरह की कल्पनायें घुड़दौड़ मचाती रहें तो फिर ब्रह्म सम्बन्ध की प्रगाढ़ता में निश्चित रूप से अड़चन पड़ेगी। मस्तिष्क जितना अधिक रहित-खाली होगा उतनी ही तन्मयता उत्पन्न होगी और आत्मा परमात्मा का मिलन संयोग अधिक प्रगाढ़ एवं प्रभावशाली बनता चला जाएगा
आकाश में जब बिजली कड़क रही हो या आँधी-तूफान का मौसम चल रहा हो तो हमारे रेडियो में आवाज साफ नहीं आती कंकड़ जैसे व्यवधान उठते रहते हैं और प्रोग्राम ठीक से सुनाई नहीं पड़ते। अन्तरिक्ष से भौतिक शक्तियों एवं आत्मिक चेतनाओं का सुदूर क्षेत्र से मनुष्य पर अवतरण होता रहता है। ब्राह्मी चेतना एक प्रकार का ब्रोडकास्ट केन्द्र है जहाँ से मात्र संकेत, निर्देश, सूचनाएँ ही नहीं वरन् विविध प्रकार की सामर्थ्य भी प्रेरित की जाती रहती है। सूक्ष्म जगत में यह क्रम निरन्तर चलता रहता है जहाँ सही रेडियो यन्त्र लगा है- जहाँ व्यक्ति ने अपने आपको सही अन्तः स्थिति में बना लिया है वहाँ यह सुविधा रहेगी कि ब्रह्म चेतना की विविध सूचनाओं को ग्रहण करके अपनी ज्ञान चेतना को बढ़ा सकें। इतना ही नहीं प्रेरित दिव्य शक्तियों अपने को असाधारण आत्म बल सम्पन्न बना सकें।
परन्तु यह सम्भव तभी है जब मनुष्य अपने मस्तिष्क को तनाव रहित-शान्त स्थिति में रखे। आँधी-तूफान कड़क और गड़गड़ाहट की उथल-पुथल रेडियो को ठीक से काम नहीं करने देती। मनुष्य का शरीर और मन उत्तेजित-तनाव की स्थिति में रहें तो फिर यह कठिन ही होगा कि वह ब्रह्म चेतना के साथ अपना सम्बन्ध ठीक से जोड़ सके और उस सम्मिलन की उपलब्धियों का लाभ उठा सके।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति मार्च 1973 पृष्ठ 49
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