Friday 27, December 2024
कृष्ण पक्ष द्वादशी, पौष 2024
पंचांग 27/12/2024 • December 27, 2024
पौष कृष्ण पक्ष द्वादशी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), मार्गशीर्ष | द्वादशी तिथि 02:26 AM तक उपरांत त्रयोदशी | नक्षत्र विशाखा 08:28 PM तक उपरांत अनुराधा | धृति योग 10:37 PM तक, उसके बाद शूल योग | करण कौलव 01:40 PM तक, बाद तैतिल 02:27 AM तक, बाद गर |
दिसम्बर 27 शुक्रवार को राहु 11:02 AM से 12:18 PM तक है | 01:57 PM तक चन्द्रमा तुला उपरांत वृश्चिक राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:16 AM सूर्यास्त 5:20 PM चन्द्रोदय 3:47 AM चन्द्रास्त 2:19 PM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु शिशिर
V. Ayana उत्तरायण
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - पौष
- अमांत - मार्गशीर्ष
तिथि
- कृष्ण पक्ष द्वादशी - Dec 27 12:44 AM – Dec 28 02:26 AM
- कृष्ण पक्ष त्रयोदशी - Dec 28 02:26 AM – Dec 29 03:32 AM
नक्षत्र
- विशाखा - Dec 26 06:09 PM – Dec 27 08:28 PM
- अनुराधा - Dec 27 08:28 PM – Dec 28 10:13 PM
दर्शन करने के नाम पर समय की बर्बादी | Drashan Karne Ke Nam Par Barbadi
गुरूभक्ति ही साधना, वही है सिद्धि | Guru Bhakti Hi Sadhana, Vahi Hai Siddhi | Guru Gita
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
आज का सद्वाक्य
नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 27 December 2024 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
साहित्य तो हमारा है आप तो माइक का काम कर दीजिए लाउडस्पीकर का काम कर दीजिए लाउडस्पीकर ना होता माइक ना होता टेलीविजन का यह मशीन जो आपके सामने रखी हुई है यह ना होती तो आप सुन लेते हमारी बात नहीं हम गुरु जी से ही सुनना चाहते हैं तो जहन्नुम में जाइए गुरुजी से सुनना चाहते हैं नहीं साहब हम गुरुजी से मिलेंगे हमें दर्शन करा दीजिए दर्शन करके क्या करेंगे आप गुरुजी का क्या करेंगे दर्शन करके गुरुजी का हम कौन हैं राजेश खन्ना हैं दर्शन करेंगे आप हमारा अशोक कुमार है क्या करेंगे दर्शन हमारा कहना तो मानते नहीं है सुनते तो है नहीं दर्शन करेंगे दर्शन करेंगे दर्शन करेंगे क्या दर्शन करेंगे लोगों को हमारे विचार विचारों का दर्शन कराइए हमारी इच्छाओं का दर्शन कराइए हमारे जीवन के मंथन से जो निकला हुआ मक्खन है उस का दर्शन कराइए समुद्र मंथन के बाद जो 14 रत्न कीमती निकले थे हमने अपने जीवन का मंथन करने के बाद में जो रत्न निकाले हैं उसका नाम है साहित्य |
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
शरीर को जीवित और सुसंचालित रखने के लिए दो कार्य आवश्यक हैं एक भोजन, दूसरा भय त्याग। इनमें से एक की भी उपेक्षा नहीं हो सकती। भोजन न किया जाय तो पोषण के लिए नितान्त आवश्यक रस रक्त की नई उत्पत्ति न होना और पुराने संचित रक्त की पूँजी समाप्त होते ही काया दुर्बल होकर मृत्यु के मुख में चली जायगी। इसी प्रकार मल त्याग न करने पर नित्य उत्पन्न होते रहने वाले विष जमा होते और बढ़ते चले जायेंगे और उनका विस्फोट अनेक उपद्रवों के रूप में प्रकट होकर कष्टकारक मृत्यु का आधार बनेगा।
पञ्च भौतिक शरीर की तरह सूक्ष्म शरीर की दिव्य−चेतना की भी कुछ आवश्यकताएँ हैं। उसे भी भूख लगती है। उस पर भी मैल चढ़ते हैं और सफाई की आवश्यकता पड़ती है, इन दोनों प्रयोजनों को पूरी करने वाली प्रक्रिया साधन कही जाती है। उससे सत्प्रवृत्तियों को जगाकर वह सब उगाया, पकाया जा सकता है जिससे आत्मा की भूख बुझती है और जीवन भूमि में हरी−भरी फसल लहलहाती है। साधना से उन मलीनताओं का—मनोविकारों का निष्कासन होता है जो प्रगति के हर क्षेत्र में चट्टान बनकर अड़े रहते हैं और पग−पग पर व्यवधान उत्पन्न करते हैं।
साबुन और पानी से कपड़ा धोया जाता है और धूप में सुखा देने पर वह भकाभक दीखने लगता है। उसे पहनने वाला स्वयं गौरवान्वित होता है और देखने वालों को उस सुरुचि पर प्रसन्नता होती है। साधन में प्रयुक्त होने वाली आत्म−शोधन और आत्म−निर्माण की उभय−पक्षीय प्रक्रिया अन्तःक्षेत्र में धँसे−फँसे कुसंस्कारों को उखाड़ कर उनकी जगह आम्र वृक्ष लगती है। कँटीली झाड़ियों से पिण्ड छुड़ाने और स्वादिष्ट फल सम्पदा से लाभान्वित होने का दुहरा लाभ मिलता है।
संसार में जितने भी चमत्कारी देवता जाने माने गये हैं, उन सबसे बढ़कर आत्म देव है। उसकी साधना प्रत्यक्ष है। नकद धर्म की तरह उसकी उपासना कभी भी—किसी की भी—निष्फल नहीं जाती। यदि उद्देश्य समझते हुए सही दृष्टिकोण अपनाया जा सके और विधिवत् साधना की जा सके तो जीवन साधना को अमृत, पारस और कल्प−वृक्ष की कामधेनु की सार्थक उपमा दी जा सकती है।
.... क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति जनवरी 1976 पृष्ठ 14
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