Saturday 26, April 2025
कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, बैशाख 2025
पंचांग 26/04/2025 • April 26, 2025
बैशाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र | त्रयोदशी तिथि 08:28 AM तक उपरांत चतुर्दशी तिथि 04:50 AM तक उपरांत अमावस्या | नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 06:27 AM तक उपरांत रेवती 03:38 AM तक उपरांत अश्विनी | वैधृति योग 08:41 AM तक, उसके बाद विष्कुम्भ योग 04:35 AM तक, उसके बाद प्रीति योग | करण वणिज 08:28 AM तक, बाद विष्टि 06:41 PM तक, बाद शकुनि 04:50 AM तक, बाद चतुष्पद |
अप्रैल 26 शनिवार को राहु 08:59 AM से 10:37 AM तक है | 03:38 AM तक चन्द्रमा मीन उपरांत मेष राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 5:43 AM सूर्यास्त 6:47 PM चन्द्रोदय 4:23 AM चन्द्रास्त 5:20 PM अयन उत्तरायण द्रिक ऋतु ग्रीष्म
- विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
- शक सम्वत - 1947, विश्वावसु
- पूर्णिमांत - बैशाख
- अमांत - चैत्र
तिथि
- कृष्ण पक्ष त्रयोदशी
- Apr 25 11:45 AM – Apr 26 08:28 AM
- कृष्ण पक्ष चतुर्दशी [ क्षय तिथि ]
- Apr 26 08:28 AM – Apr 27 04:50 AM
- कृष्ण पक्ष अमावस्या
- Apr 27 04:50 AM – Apr 28 01:01 AM
नक्षत्र
- उत्तरभाद्रपदा - Apr 25 08:53 AM – Apr 26 06:27 AM
- रेवती - Apr 26 06:27 AM – Apr 27 03:38 AM
- अश्विनी - Apr 27 03:38 AM – Apr 28 12:38 AM

!! एडिलेड में डॉ. चिन्मय पंड्या जी के आगमन पर संसद से विशेष आमंत्रण !!

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आज का सद्चिंतन (बोर्ड)




आज का सद्वाक्य




नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन

!! आज के दिव्य दर्शन 26 April 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
अखण्ड-ज्योति से
युग ऋषि की अमृतवाणी
आप तो कर्मकाण्ड करते रहते हैं और ये विचार तक नहीं करते कि क्यों करते रहते हैं? वेदान्त का, फिलॉसफी का पहला वाला सूत्र है, क्या सूत्र है? ब्रह्म-जिज्ञासा। पहला काम ये है कि आप जानिए। ये क्या चक्कर है? गायत्री माता की मूर्ति हो, तो आप ये पूछिए कि क्या बात है साहब! हमने तो मूर्ति रख दी और दण्ड पेल रहे हैं। दण्ड पेलिये मत। पहला काम ये है कि समझो।
क्यों और क्या? पहले यहाँ से चल। भजन पीछे करना। ये क्या चक्कर है? पहले ये पूछना, फिर इसके बाद शुरू करना। ये आपकी क्या है? जिज्ञासा है। प्रत्येक कर्मकाण्ड देखने से खिलवाड़ मालूम पड़ते हैं। चावल चढ़ा दिया गणेश जी पर। काहे के लिए चढ़ा दिया गणेश जी पर। काटे के लिए चढ़ा दिया गणेश जी पर। गणेश जी चावल खाएँगे और ऐसा चावल खाएँगे, कच्चा चावल खाएँगे गणेश जी। आप भी खाइए कच्चा चावल। गणेश जी मरेंगे कि जिएँगे कच्चा चावल खाने से? कच्चा चावल खाएँगे। कच्चा चावल नहीं खा सकते गणेश जी। गणेश जी को चावल खिलाना है, तो पकाकर लाइए। पका कर लाए हैं? हाँ साहब! और चावल कितना चावल लाए हैं?
गणेश जी पर चढ़ा रहे थे—अक्षतान् समर्पयामि। दिखाइये चावल जरा। ये रहे छह दाने। छह दानों से क्या होगा? गणेश जी का पेट तो इतना बड़ा है? थैली भर चावल पकाकर लाइये। अगर आप यही मानते हैं कि चावल चढ़ाना है, तो मखौल मत कीजिए। मक्खनबाजी मत कीजिए। जो बात मुनासिब है, वो कीजिए। अगर हम आपके घर जाएँ और आप कहें—गुरु जी! लीजिए खाना खाइये। हाँ बेटे! हमने तो आज खाया भी नहीं है। ये लीजिए चावल खा लीजिए छह दाने। छह दाने चावल बेटे! कैसे खा लूँ? पकाए हैं ना? नहीं साहब! पकाने की क्या जरूरत है इसमें? थाली में रखकर ला। नहीं साहब! थाली में भी क्या करेंगे आप? क्या करेंगे?
यहीं पटक देंगे, ये छह चावल के दाने। बेटे! इसको हम क्या करें? खा लीजिए। ये तो मुश्किल है, छह चावल तो हमारी दाढ़ी में चिपके रह जाएँगे। पेट कैसे भरेगा? और गणेश जी का? गणेश जी को ‘अक्षतं समर्पयामि’, गणेश जी को अक्षत चढ़ाता ही जा रहा है। समझता नहीं कि क्या चक्कर है? समझता है कि नहीं? नहीं साहब! मुझे क्यों समझना है? अक्षत चढ़ाऊँगा। भाड़ चढ़ाएगा अक्षत। मित्रो! क्या करना पड़ेगा? आपको ये करना पड़ेगा कि क्रिया के साथ-साथ में शिक्षाएँ और प्रेरणाएँ आपको समझनी चाहिए और समझनी ही नहीं वरन् हृदयंगम भी करनी चाहिए।
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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