Thursday 09, January 2025
शुक्ल पक्ष दशमी, पौष 2025
पंचांग 09/01/2025 • January 09, 2025
पौष शुक्ल पक्ष दशमी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), पौष | दशमी तिथि 12:22 PM तक उपरांत एकादशी | नक्षत्र भरणी 03:07 PM तक उपरांत कृत्तिका | साध्य योग 05:29 PM तक, उसके बाद शुभ योग | करण गर 12:23 PM तक, बाद वणिज 11:21 PM तक, बाद विष्टि |
जनवरी 09 गुरुवार को राहु 01:40 PM से 02:57 PM तक है | 08:46 PM तक चन्द्रमा मेष उपरांत वृषभ राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:18 AM सूर्यास्त 5:30 PM चन्द्रोदय 1:14 PM चन्द्रास्त 3:37 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु शिशिर
V. Ayana उत्तरायण
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - पौष
- अमांत - पौष
तिथि
- शुक्ल पक्ष दशमी - Jan 08 02:26 PM – Jan 09 12:22 PM
- शुक्ल पक्ष एकादशी - Jan 09 12:22 PM – Jan 10 10:19 AM
नक्षत्र
- भरणी - Jan 08 04:29 PM – Jan 09 03:07 PM
- कृत्तिका - Jan 09 03:07 PM – Jan 10 01:45 PM
आरती श्री सद्गुरु चरणन | Aarti Shri Guru Charnan Ki |
सृष्टि के रूप में भगवान का दर्शन | Sristi Ke Roop Mei Bhagwan Ke Darshan
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
आज का सद्वाक्य
नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 09 January 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! अखण्ड दीपक Akhand Deepak (1926 से प्रज्ज्वलित) एवं चरण पादुका गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार 09 January 2025 !!
!! परम पूज्य गुरुदेव का कक्ष 09 January 2025 गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
मैं चाहता हूँ कि आपका आप कुटुंबी होकर के जिएँ; परिवार होकर के जिएँ; ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की मान्यता से ओत-प्रोत रहें और ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ का सिद्धांत लागू करने के लिए दर्शनशास्त्रों का अध्ययन करने के साथ-साथ आप ये भी करें इस थ्योरी को प्रैक्टिस में लाएँ और जैसे कि हमारे कुटुंब के रूप में हमको भगवान ने दी है। ये क्या है कुटुंब? इसमें आप बहुत बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। आप अपने आपको लोक-व्यवहार के बारे में जानकार बना सकते हैं। बच्चों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो, बड़ों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो, बराबर वालों के साथ आपका व्यवहार कैसा हो? मिल-बाँट के खाने में कैसा आनंद आता है? इसे आप समझें और एकदूसरे के दुःख और दर्द, सुख और सुविधाएँ बँटा लेने से कितना ज्यादा आदमी सुखी और समुन्नत रह सकता है, इसका प्रत्यक्ष अनुभव करना सीखें। ये सारी बातें कुटुंब में ही संभव है।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
सदाचार-श्रेष्ठ आचरण-अच्छा चालन चलन, यह मानव जीवन का बहुमूल्य खजाना है। सृष्टि के आदि काल से ऋषि मुनियों से लेकर आधुनिक विद्वानों तक यह बात स्वीकार होती आई है कि मनुष्य का गौरव इसमें हैं कि उसका आचरण श्रेष्ठ हो। भलाई, नेकी, उदारता, सेवा, सहायता, सहानुभूति से परिपूर्ण हृदय वाला व्यक्ति सदाचारी कहा जाता है, उसके बाह्य आचरण ऐसे होते हैं, जो दूसरों को स्थूल या सूक्ष्म रीति से निरन्तर लाभ ही पहुँचाते रहते हैं। वह एक भी कार्य ऐसा नहीं करता, जिससे उसकी आत्मा को लज्जित होना पड़े, पश्चाताप करना पड़े या समाज के सामने आँखें नीची झुकानी पड़ें।
मनुष्य चाहे जितना विद्वान् चतुर धनवान, स्वरूप वान, यशस्वी तथा उच्च आसन पर आसीन हो, परन्तु यदि उसका व्यवहार उत्तम नहीं तो वह सब व्यर्थ है, धूलि के बराबर है। खजूर का पेड़ बहुत ऊँचा है, उस पर मीठे फल भी लगते हैं पर उससे दूसरों को क्या लाभ या धूप में तपा हुआ पथिक न तो उसकी छाया में शान्ति लाभ कर सकता है और न भूख से व्याकुल को उसका एक फल प्राप्त हो सकता है। जिसका आचरण श्रेष्ठ है वह किसी की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं धार्मिक उन्नति में जरा भी बाधा पहुँचाने वाला कार्य न करेगा वरन् उससे सहायता ही देगा।
आप अपने आचरणों को ऐसा रखिये, जिससे आपके माता पिता की कीर्ति में वृद्धि हो। आपको अपना मित्र कहते हुए दूसरे लोग गर्व अनुभव करें। छोटे लोग आपका उदाहरण सामने रख कर अपने आचरण को उसी साँचे में ढालने का प्रयत्न करें। स्मरण रखिए, सदाचार मानव जीवन का महान धन है। जो सदाचारी है, असल में वही सच्चा धनी है।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति अप्रैल 1943 पृष्ठ 14
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