Tuesday 14, January 2025
कृष्ण पक्ष प्रथमा, माघ 2025
पंचांग 14/01/2025 • January 14, 2025
माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), पौष | प्रतिपदा तिथि 03:21 AM तक उपरांत द्वितीया | नक्षत्र पुनर्वसु 10:16 AM तक उपरांत पुष्य | विष्कुम्भ योग 02:58 AM तक, उसके बाद प्रीति योग | करण बालव 03:34 PM तक, बाद कौलव 03:21 AM तक, बाद तैतिल |
जनवरी 14 मंगलवार को राहु 03:00 PM से 04:17 PM तक है | चन्द्रमा कर्क राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:18 AM सूर्यास्त 5:34 PM चन्द्रोदय 6:02 PM चन्द्रास्त 8:23 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु शिशिर
V. Ayana उत्तरायण
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - माघ
- अमांत - पौष
तिथि
- कृष्ण पक्ष प्रतिपदा - Jan 14 03:56 AM – Jan 15 03:21 AM
- कृष्ण पक्ष द्वितीया - Jan 15 03:21 AM – Jan 16 03:23 AM
नक्षत्र
- पुनर्वसु - Jan 13 10:38 AM – Jan 14 10:16 AM
- पुष्य - Jan 14 10:17 AM – Jan 15 10:28 AM
अपने आपको पहचानिये, Apne Aap Ko Pahachaniye
हमको क्या उनको हमारा ध्यान है। गुरु हैं अपने देवता श्री भगवान हैं।
भावी युग में नारी का स्थान | नारी की महानता | Nari Ki Mahanta Book: 06, EP: 07
सविता अमृत तत्व का स्रोत हैं, और मकर संक्रान्ति इसके संदोहन का पुण्य पर्व। यूँ तो सविता उपासना के प्रभाव सर्वकालिक एवं सर्वभौम है। फिर भी अन्तर्ग्रही परिस्थिति के विशेष योग इस प्रभाव को अनेक गुना बढ़ा देते हैं। काल के प्रवाह में कतिपय सुयोग ऐसे भी आते हैं, जिनमें की जाने वाली एक घण्टे की साधना का परिणाम सामान्य समय में की गई वर्षों की साधना के बराबर होती है।
इस क्रम में मकर संक्राँति को सविता के अमृत तत्व के अवगाहन एवं संदोहन पर्व की संज्ञा दी गयी। शास्त्रकारों के मत से इस पर्व की खोज छान्दोग्य उपनिषद् में वर्णित मधुविद्या के प्रवर्तक महर्षि प्रवाहण ने की थी। उन्होंने अपनी राहन साधना के अनन्तर इसी दिन पंचम अमृत को उपलब्ध करा दिया था। वेदवेत्ता मनीषियों के अनुसार शिशिर ऋतु में वातावरण में सविता के अमृत तत्व की प्रधानता रहती है। शाक, फल, वनस्पतियाँ इस अवधि के अमृत तत्व को अपने में सर्वाधिक आकर्षित करती और पुष्टिकर बनाती है।
साधना विज्ञान के मर्मज्ञों एवं दिव्य द्रष्टा ऋषियों के अनुसार शिशिर ऋतु में माद्यमास का महत्व सबसे अधिक है। इसी कारण वैदिक काल में इस महीने का उपयोग प्रायः सभी लोग आध्यात्मिक साधनाओं के लिए करते हैं। यह परम्परा रामायण काल एवं महाभारत काल तक अबाध रूप से प्रचलित रही। रामायण काल में तीर्थराज प्रयाग में महर्षि भारद्वाज के आश्रम एवं साधना आरण्यक था। उनके सान्निध्य में माघ महीने में भारतवर्ष के आध्यात्मिक जिज्ञासु साधक एकत्र होते थे। तीर्थराज प्रयाग में इस मास का कल्पवास करते थे, चांद्रायण तप के साथ मधुविद्या की साधना करते थे।
मकर संक्राँति के पुण्य पर्व पर की गई एक घण्टे की गायत्री साधना इस अमृत का द्वार खोलती हैं। उदय कालीन स्वर्णिम सविता का ध्यान करते हुए महायज्ञ गायत्री का जप उसके दिव्य भावों का चिंतन सविता के अमृत का रसानुभूति कराने वाला सिद्ध होगा, इसे सुनिश्चित मानना चाहिए। इस अवसर पर सभी माननीय पुरुषों का श्रद्धार्चन भी किया जाय जिन्होंने इस पुण्य परम्परा को जागृत और जीवंत रखा। इस पुण्य पर्व को यदि यथा रीति मनाया जाय, तो हम सब भी उसी अमृत की उपलब्धि कर सकेंगे जिसे महर्षि प्रवाहण ने प्राप्त किया था।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति- जुलाई 1984 पृष्ठ 19
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!! आज के दिव्य दर्शन 14 January 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
समाज में ढेरों-की-ढेरों अच्छाइयाँ भी हैं और ढेरों-की-ढेरों बुराइयाँ भी हैं। अच्छाइयों को किस तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए और बुराइयों के साथ में किस तरीके से निपटा जाना चाहिए, इसके लिए आपको पग-पग पर मौके मिलते हैं। ये पूरा समाज है।समाज में कौन-कौन से गुणों को बढ़ाया जाए? ढेरों-की-ढेरों कुरीतियाँ समाज में हैं। आपको समाज में से कुरीतियाँ निकालनी हैं। आप समाज में कहाँ-कहाँ जाएँगे, जरा बताइए? किस-किस के पास जाएँगे,बताइए? कौन-कौन आपका कहना मानेगा, आप बताइए? टाइम तो फुरसत तो मिलती नहीं है। आप अपने घर में वो सारे काम कर सकते हैं, मसलन सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की बात अपने घर में से कीजिए न। आपके घर में कोई कुरीति नहीं है? आपके यहाँ ढेरों-की-ढेरों कुरीतियाँ हैं।‘नर और नारी एक समान’ वाली बात है। आप बार-बार कहते हैं न,नर और नारी को समानता का दर्जा मिलना चाहिए। इसका प्रयोग आप अपने घर में नहीं कर सकते? आपचाहें तो कर सकते हैं।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
मकर संक्रांति सूर्य उपासना का विशेष पर्व है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण होना शुरू होते हैं और इसके बाद बाद से धरती के उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु की ठंडक में कमी आनी शुरू होती है. प्रायः हर साल 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए तिथि को मकर संक्रांति कहते हैं| पूरे भारतवर्ष में ये मनाया जाता है, लेकिन सब जगह मनाने का तरीका और नाम अलग अलग होता है।
इस दिन सूर्योदय से पहले नहाएं, पानी में तिल या तिल का तेल मिला कर नहाना चाहिए। 11 गायत्री मन्त्र, 11 सूर्य गायत्री मन्त्र और 5 महामृत्युंजय मन्त्र से तिल और गुड़ की आहुति यज्ञ में दें।
यदि यज्ञ की व्यवस्था न हो तो गैस जला कर उस पर तवा रख कर गर्म करें, फ़िर मन्त्र पढ़ते हुए यज्ञ की आहुति तवे पर डाल दें। यज्ञ के बाद गैस बन्द कर दें और उस यज्ञ प्रसाद को तुलसी या किसी पौधे के गमले में डाल दें।
सूर्य गायत्री मन्त्र जपते हुए सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। मकर संक्रांति के दिन पीला या श्वेत वस्त्र पहनें। आहार में पहला नाश्ता दिन में तिल और गुड़ का प्रसाद लें। घर में इस दिन खिचड़ी चावल और उड़द की दाल की बना के खाना शुभ होता है।
इस दिन यदि सम्भव हो तो सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को जल में तिल-गुड़ अर्घ्य देना चाहिए। ध्यान रखें कि अर्घ्य तांबे के लोटे में दें। पात्र को दोनों हाथों से पकड़ कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य के समय सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
सूर्य गायत्री मन्त्र- ऊं भाष्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्
गायत्री मन्त्र- ॐ भूर्भूवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्
महामृत्युंजय मन्त्र- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
विचारक्रांति अभियान शांतिकुञ्ज हरिद्वार
आप सभी को मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
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