आत्मचिंतन के क्षण...

दम के समान कोई धर्म नहीं सुना गया है। दम क्या है? क्षमा, संयम, कर्म करने में उद्यत रहना, कोमल स्वभाव...

April 27, 2024, 11:33 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

सुख- दुःख हर तरह की परिस्थिति में सन्तुष्ट रहने को सन्तोष कहते हैं। कुसंस्कारों के परिशोधन एवं सुसंस...

April 27, 2024, 11:28 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

दु:ख और क्लेशों की आग में जलने से बचने की जिन्हें इच्छा है उन्हें पहला काम यह करना चाहिए कि अपनी आका...

April 27, 2024, 11:25 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

किसी बात से तुम उत्साहहीन न होओ; जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर...

April 27, 2024, 11:15 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

तुम्हीं हमारे इहकाल हो और तुम्हीं परकाल हो, तुम्हीं परित्राण हो और तुम्हीं स्वर्गधाम हो, शास्त्रविधि...

April 27, 2024, 11:11 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

सेवक कभी अपने मन में ऐसा भाव नहीं लाता कि वह सेवक है। वह अपने स्वामी अथवा सेव्य का आभार मानता है कि ...

April 26, 2024, 12:51 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

जहाँ मन और आत्मा का एकीकरण होता है, जहाँ जीव का इच्छा रुचि एवं कार्य प्रणाली विश्वात्मा की इच्छा रुच...

April 26, 2024, 12:47 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

कठिनाइयाँ एक ऐसी खराद की तरह है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराश कर चमका दिया करती है। कठिनाइयों से ...

April 25, 2024, 5:40 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

बुद्धि जीवन यापन के लिए साधन एकत्रित कर सकती है,गुत्थियों को सुलझा सकती है, किन्तु जीवन की उच्चतम भू...

April 25, 2024, 5:36 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

संसार में बहुत से प्राणी हैं। बड़े विचित्र विचित्र प्राणी हैं, मछलियां, चमगादड़, गिरगिट इत्यादि। इनम...

April 25, 2024, 5:32 p.m.

पवित्र तीर्थ क्षेत्रों में गाय...

हमालय की गोद सुन्दरबनी, जम्मू और माँ नर्मदा के उद्गम अमरकंटक, म.प्र. में चल रहे हैं शिविर सुन्दरबनी,...

April 27, 2024, 10:49 a.m.

24 कुण्डीय यज्ञ में हुए अनेक स...

देहदान, नेत्रदान, अंगदान के संकल्प भी हुए लखनऊ। उत्तर प्रदेश दिनांक 17 एवं 18 फरवरी की तिथियों में द...

April 27, 2024, 10:41 a.m.

150 गाँवों की सघन प्रव्रज्या क...

108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में मिलीं शानदार उपलब्धिया चारमाठा, मुंगेली। छत्तीसगढ़ 18 दिनों में लगभग ...

April 27, 2024, 10:32 a.m.

बड़ी संख्या में लोगों ने छोड़ा न...

गिरिडीह। झारखण्ड जमुआ प्रखण्ड के दुम्मा बराोटांड में आयोजित 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में भाग लेते ...

April 27, 2024, 10:27 a.m.

दवंगत देवात्मा को भावभरी श्रद्...

रतलाम। मध्य प्रदेश परम पूज्य गुरूदेव एवं परम वंदनीया माताजी के प्रति अनन्य भाव से समर्पित प्रो. रूद्...

April 27, 2024, 10:25 a.m.

छत्तीसगढ़ में आयोजित हुईं उपजोन...

जन्मशताब्दी-2026 के जनजागरण अभियान एवं कार्यक्रमों पर हुई चर्चा  धमतरी। छत्तीसगढ़ गायत्री शक्तिपीठ धम...

April 27, 2024, 10:12 a.m.

राष्ट्र जागरण गायत्री महायज्ञो...

अनेक उपलब्धियाँ : 2000 लोगों ने नशा छोड़ने के संकल्प लिए आसनसोल, पश्चिम बर्धमान। पश्चिम बंगाल  गायत्र...

April 27, 2024, 10 a.m.

परीक्षा के लिए बच्चों का मार्ग...

झारा, महासमुन्द। छत्तीसगढ़ गायत्री परिवार के युवा प्रकोष्ठ ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झारा मे...

April 26, 2024, 12:30 p.m.

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा ...

जोबट, अलीराजपुर। म.प्रदेश अलीराजपुर जिले के 18219 छात्र-छात्राओं ने विगत वर्ष आयोजित भारतीय संस्कृति...

April 26, 2024, 12:25 p.m.

मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ का अनुय...

महाविद्यालय के साथ एम.ओ.यू.  मुम्बई। महाराष्ट्र मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के अनुयाज के अंतर्गत भारती विद...

April 26, 2024, 11:46 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज