Magazine - Year 1941 - Version 2
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Language: HINDI
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सुख के उच्च शिखर पर
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(महात्मा जेम्स ऐलन)
अपने मस्तिष्क को दृढ़, निष्पक्ष तथा उदार भावों की खान बनाइए, अपने हृदय में पवित्रता, उदारता और योग्यता लाइए, अपनी जबान को चुप रहने तथा सत्य और पवित्र भाषण के लिये तैयार कीजिए पवित्रता और शान्ति प्राप्त करने का यही मार्ग है और अन्त में प्रेम भी इसी तरह प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार जीवन बिताने में आप दूसरों पर विश्वास जमा सकेंगे। उनको अपने अनुकूल बनाने की आवश्यकता न होगी। बिना विवाद के आप उनको ज्ञान दे सकेंगे। बिना अभिलाषा तथा चेष्टा के ही बुद्धिमान लोग आपके पास पहुँच जावेंगे और लोगों को अनुभूत करने का उद्योग किये बिना ही आप उनके हृदय को वशीभूत कर लेंगे। क्योंकि प्रेम सर्वोपरि सबल और विजयी होता है। प्रेम के विचार कार्य और भाषण कभी नष्ट नहीं होते।
जिस तरह से प्रभात की किरणों से अपने लाभ के लिए पुष्प अपनी पंखुड़ियाँ खोलता है, उसी तरह से सत्य के ओजस्वी प्रकाश को प्रवेश कराने के लिए अपनी आत्मा को बराबर खुल कर विकसित होने दीजिए। उच्च अभिलाषाओं के पंखों पर चढ़ कर ऊपर उड़िए, निर्भीक होइए और उच्च से उच्च बातों की संभावना में विश्वास कीजिए। विश्वास रखिए कि बेदाग और पवित्र जीवन संभव है और पूर्ण शुद्धता के साथ जिन्दगी व्यतीत करना भी सम्भव है।
दूसरों की भलाई में अपने को नष्ट कर दीजिए। जो कुछ आप करते हैं, उसी में अपने को भुला दीजिए। यही अपरिमित सुख की कुँजी है। स्वार्थपरता से बचने का सदैव ख्याल रखिये विश्वास के साथ अन्तःकरण से त्याग करने का दिव्य पाठ सीखिये। इस प्रकार आप सुख के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच जाएँगे और अमरत्व की चमकीली चादर ओढ़ कर पूर्ण सुख से सर्वदा धनरहित प्रकाश में अपना जीवन बिता सकेंगे।