Magazine - Year 1941 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
तम्बाकू पीना छोड़ दीजिये
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(ले. श्री डॉक्टर ज्ञानचन्द्र जी)
शरीर पर तम्बाकू का घातक प्रभाव पड़ता है। यह मेदे को सिकोड़ कर पाचन क्रिया को शिथिल कर देती है और समस्त नर्वस सिस्टम मुर्दा हो जाता है। होठ काले पड़ जाते हैं, जीभ की स्वाद-शक्ति कम हो जाती है। तम्बाकू पीने पर निम्न परिणाम होते है ः-
1. गीली भाप बनती है 2. कार्बन बनती है, कार्बन गले में तथा कलेजे की नालियों में जम जाती है। 3. अमोनिया होता है, जो अधिक काल तक पीने से जिह्वा को फाड़ डालता है, गले को खुश्क करता है, जिससे प्यास बढ़ती है और तीव्र धूम्रपान की इच्छा जागृत होती है। अमोनिया रक्त को भी दूषित करता है। 4. कारबोनिक एसिड ‘कोयले का तेजाब’ होता है, जिससे सिर दर्द, अनिद्रा और स्मरण शक्ति का हृास होता है। 5. निकोटीन प्रवाहित होती है, निकोटीन एक तीव्र विष है, इसकी एक बूँद खरगोश के मुँह में डाल दो तो वह तुरन्त मर जायेगा। डाँक्टर ब्रोडे ने बिल्ली की जीभ पर एक बूँद डाली तो वह तुरन्त मर गई। 6. और भी सूक्ष्म विष हैं; जैसे कोलिडीन, प्रसिक एसिड, कार्बनमोनोकसाइड, फुरफुरल और एक्रोलीन, क्रोलिडीन, जहरीले क्षार हैं, जिससे स्नायु दुर्बल हो जाते हैं और चक्कर आने लगते हैं। प्रसिक एसिड ज्ञान-तन्तुओं को मलीन कर देता हैं। सिर में भारीपन रखता है तथा मन में अरुचि पैदा करता है। कार्बनमोनोक्साइड दम घोट कर मार डालने वाली गैस है। इसका प्रभाव यह होता है कि साँस जल्दी चलने लगती है, हृदय की गति तेज हो जाती है, रोमाँच और ऐठन हो जाती है, आँखों की पुतलियाँ फैल जाती हैं और ठंडा पसीना, ठंडा बदन और बेहोशी होती है। फुरफुरल मस्तिष्क के ज्ञान-तन्तुओं को ढीला कर देता हैं, एक्रोलीन एक गैस है, जो मन में चिड़चिड़ाहट पैदा कर देता है।
अब प्रश्न यह है कि तम्बाकू पीना छोड़ा जा सकता है, अथवा नहीं? हमारा विश्वास है कि प्रत्येक ऐब का परित्याग सम्भव है। मन का संकल्प ही तप है जिस चीज को मन ने भुला दिया, वह छूट गई। जब तक मन दृढ़ है तब तक वह तप भी अखण्ड है। मैं प्रत्येक तम्बाकू पीने वाले से कहता हूँ कि वह इस ऐब को दृढ़ता से परित्याग करे, तम्बाकू पीना सर्वोपरि ऐब है। इसका नैतिक पाप परिवार को कष्ट पहुँचाता है। जरा उस अवस्था को सोचिये, जब एक अज्ञात नववधू एक सिगरेट पीने वाले के घर पहुँच कर अन्य अपरिचित आदतों के अतिरिक्त प्रणयकाल से भी भयभीत रहे, वह पति के मुंह से धुएं की बदबू को क्यों बरदाश्त करे, क्यों उसे धीरे-धीरे पी जाये। कोमल मिज़ाज स्त्रियाँ आरम्भ में दिमागी बू चढ़ जाने के कारण बेहोश हो गई हैं और इन्हें धीरे-धीरे अपना मिज़ाज उसे सह लेने के अनुकूल बनाना पड़ता है। वह जीवनपर्यन्त इस अभ्यास को निभाती है। पाठक इस बेबसी को तो समझिये, कैसा पैशाचिक आचार है।
स्त्री के बाद संतति उस दोष में रंगती है। अपने पिता को देख कर बेटा भी लुक छिप कर पीता है और बढ़ते-बढ़ते अपने पिता के रिकार्ड को तोड़ डालता है। आज स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों को चुरट बिना चैन नहीं, इन करोड़ों युवकों के मुंह में कालिख पोतने वाले कौन हैं? उनके सिगरेटी पिता। मैं ऐसे सब पिताओं को जलती आग में कूद कर इस महापाप का प्रायश्चित करने की सलाह देता हूँ। उन कोमल बच्चों की नई छाती को सिगरेट के धुँए से झुलसा कर उनके तेज और शुद्ध रक्त को विषैला बना कर उन्हें क्षय के गड्ढ़े में डाल दिया जाता है, उनकी कमर झुकी, आँखों पर चश्मा चढ़ा कि गड्ढे में पैर खिसका। इन्हें मृत्यु से कौन रोकेगा?
सिगरेट का तीसरा शाप परिवार का फूँकना है। घरों में आग लग जाना और मृत्यु हो जाना प्रकट सत्य है। दिल्ली के एक सुप्रसिद्ध करोड़पति परिवार में एक ऐसी ही करुणा मृत्यु हुई थी, इसे हम कभी नहीं भूल सकते। सरदी के दिन सेठ साहब रेशमी बिस्तर पर पड़े सिगरेट पी रहे थे। पीते-पीते झपकी लग गई और सिगरेट वाला हाथ छाती पर आ गिरा। सिगरेट जल रही थी, उसने कुरते को पार कर सीने को जला दिया। चमड़ी पर गर्मी पहुँची ही थी कि उनकी आँख खुल गई। उन्होंने उस स्थल को मसल महल में दौड़-धूप मचाई, डॉक्टर साहब पहुँचते पहुँचते उनका हार्ट फेल होने लगा था। इन्जेक्शन देने पर भी चिराग बुझ गया। सेठ साहब हम अब तक अफसोस करते है।
मैं प्राकृतिक चिकित्सक हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि बड़े से बड़ा पियक्कड़ भी प्रकृति के आसरे इसे छोड़ सकता है। ध्यान रखिये कि इसका संकल्प सबसे पहला मुख्य उपाय है, “चाहे जो कुछ हो पर मैं तो इसे पीऊंगा ही नहीं” संकल्प डटे रह कर 8-10 दिन में स्वतः ही मन शाँत जाता है और हुड़क मिट जाती है। फिर भी हम कुछ उपाय देते हैंः-
1. सिगरेट एक दम छोड़कर उसे देखने से अनिच्छा कर लेनी चाहिये। 2.मन को सदैव दृढ़ बनाये रखना चाहिये। 3. जब कभी मन न माने, तबियत मचल ही रही हो, तो पारिवारिक जनों में बैठ कर एकान्तता नष्ट कर देनी चाहिये। याद रखो, अकेले रहोगे तो व्रत टूट जायेगा, जी मिचलाये, तबियत डूबी रहे, नींद नहीं आये, पेट में कष्ट हो तो “अश्वगंधारिष्ट” का सेवन करो। जब कभी आवश्यकता प्रतीत हो, एक मात्रा अश्वगंधारिष्ट को पीलो। अश्वगंधारिष्ट सिगरेट, मद्य-माँस आदि महा दोषों के छुड़वाने की दिव्य औषधि है। यह उनके शरीर को पूरा करती है तथा ज्ञान तन्तुओं को धीरे-धीरे मलिनता से रहित करती है। ‘अश्वगंधारिष्ट’ जितना पुराना होगा, उतने ही पुराने पियक्कड़ो को लाभ होगा। शराब पीने का अभ्यास भी इससे छूट जायेगा। शराब की जगह दिन में 2-3 बार पीना इसे आरम्भ कर दो, तबियत शराब से स्वयं घृणा करने लगेगी। 4. मुंह में बार-बार पानी भरे तो भुनी सौंफ और छोटी इलायची चबानी चाहिये। 5. हिचकी और सर दर्द हो तो बिंदाल के डोड़े के पानी से नहा लेना चाहिये। (बिंदाल के 3-4 डोडे पानी में भिगोदें 4 घटें बाद मलकर पानी छान लेना चाहिये। इस पानी की 2-3 बूँदे नाक में टपकाने से छीकें आकर बलगम तथा अन्य दोष निकल पड़ेंगे, यह नुस्खा सप्ताह में एक बार ही लेना चाहियें) 6. मल अवरुद्ध होने पर सोते समय 3-4 दिन तक गुड़ की शक्कर मिला हुआ दूध पीना चाहिये। 7-मन सदैव प्रसन्न रखना चाहिये। 8-सदैव स्वच्छ रहो, पौष्टिक भोजन करो। --यथासम्भव अपने को लोगों में घिरा रहने दो, जो तुम्हारे शुभचिंतक हों। 9-अपनी विजय पर गर्व करो। ध्यान रखिये कि समस्त उपद्रव व इच्छाएं दस दिन तक ही रहेंगी। ग्यारहवें दिन तबियत हल्की और खुश होगी। एक पाप का बोझ हटता सा प्रतीत होगा।
तम्बाकू पीने का समय भी कितना व्यर्थ जाता है, यह भी सोचिये, 2 घंटे नित्य इसमें खर्च हों, 60 दिन 1 वर्ष में खर्च हुए। मिस्टर मिक्स समस्त दुनिया का हिसाब लगा कर बतलाते हैं कि प्रति वर्ष करीब एक अरब रुपयों का तम्बाकू सेवन किया जाता है। वैज्ञानिक आधार पर यह बात मानी गई है कि पीने और खाने दोनों क्रियाओं से प्यास लगती है। मुँह और गला खुश्क हो जाता है। पानी पीने से भी प्यास कम नहीं होती, डॉक्टर हम्प्रे ने कहा था कि यह न तो पोषक तत्व है, न पाचक है, न मानसिक और न शारीरिक शक्ति को बढ़ाने वाला है। यह तो हमारा प्रबल शत्रु है, जो नसों को काट डालता है, पेट को नष्ट करता है, प्यास को बढ़ाता है, जिस भूमि में तम्बाकू की खेती होती है, वह शक्तिहीन हो जाती है, जो व्यक्ति सिगरेट पीता है, वह 60 फीट तक तम्बाकू की गन्ध फैलाता है। (जीवन सखा)