Magazine - Year 1942 - Version 2
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Language: HINDI
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सतयुगी वीर
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(जिसका कोई नहीं न था, उसका वह हुआ)
करीब दो सौ वर्ष पुरानी बात है, ऊतरीय वर्जीनिया (अमेरिका) के जंगल में कुछ लोग बैठे हुए दोपहर का भोजन कर रहे थे। इतने में किसी स्त्री की हृदय विदारक चीत्कार सुनाई दी उसकी वाणी में बड़ा मार्मिक हाहाकार था। क्या घटना घटी? यह जानने के लिए वे लोग भोजन छोड़कर झाड़ियों को चीरते हुए आवाज की तरफ दौड़े। नदी के किनारे पहुँच कर उन्होंने देखा कि कुछ लोग एक तरुणी को पकड़े खड़े हैं और वह छूट कर नदी में कूदने का बेतहाशा प्रयत्न करती हुई चीख रही है।
इस दल ने उन लोगों से कारण पूछा तो पकड़ने वालों में से एक ने कहा इस नदी में इस का बालक गिर पड़ा है और देखिए वह बीच धार में बहा जा रहा है। यह कूद कर उसे बचाना चाहती है, पर नदी का प्रवाह इतना प्रचंड है कि कूदते ही यह भी अपने बालक की भाँति इसी में डूब कर मर जायगी।
उस हाहाकार करती हुई स्त्री की दृष्टि इन नव आगन्तुकों पर पड़ी उसने देखा कि इन में एक षोडस वर्षीय युवा साहस और उदारता की साक्षात मूर्ति की तरह खड़ा हुआ है। स्त्री ने एक ही साँस में कह डाला अहा! यह सज्जन अवश्य मेरी सहायता करेंगे। मेरा बच्चा-आह, मेरा बच्चा-अब वह जल मग्न हुआ ही चाहती है। अरे, कोई इसे नहीं बचा सकते हो क्या?”
सबके चेहरों पर उदासी छायी हुई थी। उस सन्नाटे को भंग करते हुए उस षोडस वर्षीय युवा ने अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए और सर्प की तरह प्रचंड वेग से फुफकारती हुई बहने वाली उस नदी में धड़ाम से कूद पड़ा। माता ने ठण्डी साँस लेकर कहा धन्य है प्रभो! यह मेरे बच्चे को बचा लेगा। आह! मेरे प्यारे बच्चे मैं तुम्हें इस तरह डूबते हुए कैसे देख सकती थी?
किनारे पर खड़े हुए सब लोग उस युवक की ओर बड़ी चिन्ता के साथ देख रहे थे। भँवरों की भरमार, जगह जगह नुकीली चट्टानें, सनसनाता हुआ जल प्रवाह, झागों का उफान, यह एक अनाड़ी तैराक को निगल जाने के लिए काफी थे। फिर भी उसने कुछ भी परवाह न की और तीर की तरह पानी को चीरता हुए उस बालक के पास जा पहुँचा। लड़का दो बार डूबा, पर उसने किसी प्रकार उसे पकड़ ही लिया। यह दृश्य देखा तो माता के हर्ष की सीमा न रही। वह पागल की तरह विभोर हो गई, आँखों से हर्ष के आँसू प्रवाहित हो उठे।
जिस नदी में नाव चलना असम्भव समझा जाता था, उसे पार करता हुआ सकुशल किनारे पर आ गया। कृतज्ञता से माता का कंठ रुद्ध हो गया मानो वह मूक भाषा में उसे आशीर्वाद दे रही थी- “परमेश्वर तुम्हें इसका उचित पुरस्कार देंगे।”
आप जानते हैं, यह युवक कौन था और आगे क्या हुआ? सुनिये, वह एक अनाथ, वे घर बार और पेट के लिये इधर उधर खाक छानते फिरने वाला लड़का था, और अन्त में यह अमेरिकन जनता का उद्धारक और राष्ट्रपति हुआ। इसका नाम था -”जार्ज वाशिंगटन।”