Magazine - Year 1943 - Version 2
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Language: HINDI
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सत युग आने वाला है!
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(भारतीय योगी)
सब लोग सुनते हैं कि कलियुग के स्थान पर सतयुग आ रहा है, अथवा भगवान प्रकट होकर पापियों का नाश करने वाले हैं, तो उनको बड़ा आश्चर्य होता है।
इसका कारण यह है कि उन्होंने कभी कलियुग और सतयुग के भेद पर गौर नहीं किया और उनकी बुद्धि भगवान की लीला को समझने में असमर्थ है।
कलियुग का अर्थ है झूठा दगाबाजी, स्वार्थ साधन, अन्याय अत्याचार जिस जमाने में इन बातों की अधिकता हो वही कलियुग है। इसके विपरीत जब लोग सच्चाई की राह पर चलने लगे भारत में प्रेम रखे एक दूसरे की सहायता करना अपना धर्म समझे तो उस जमाने को सतयुग कहा जाता है।
इस समय संसार में हर तरह के पाप कर्मों की हद हो गई है जिनके किस्से हम सब अपनी आँखों से देख और कानों से सुनते रहते हैं। इन्हीं पापों के फल से संसार में यह लड़ाई की आग भड़की है, जिससे बड़े-बड़े देश और नगर नष्ट हो रहे हैं और सब लोग बेहद तकलीफ पर रहे हैं। भविष्य के जानने वालों का कहना है कि यह लड़ाई बीच में रुक-रुक कर बहुत समय तक चलेगी। जब दुनिया के ज्यादातर पापी, अन्यायी, अत्याचारी खत्म हो जाएंगे या तकलीफ सह कर उनकी बुद्धि सुधार जाएगी तब लोग पाप-कर्मों को त्याग कर सत्य, न्याय परोपकार के रास्ते पर चलने लगेंगे। इससे उनके कष्ट दूर हो जायेंगे और वे सच्चा सुख पा सकेंगे।
भविष्यवाणियों के अनुसार इस नये युग की नींव अगस्त सन् 1943 से पड़ने वाली है। पर इस समय इस परिवर्तन का अनुभव ज्ञानी तथा भक्तजनों को ही हो सकता है। मोटी शुद्धि वाले या प्रत्यक्षवादी तो इस समय का और भी बुरा-घोर कलियुग समझेंगे, क्योंकि अगस्त के महीने में सतयुग का पहला कदम उठते ही कलियुग अपनी पूरी ताक से उसका मुकाबला करने लगेगा, इससे युद्ध की भयंकरता और भी बढ़ जायगी तथा सब लोग कष्ट और आपत्तियों से व्याकुल होकर त्राहि-त्राहि करने लगेंगे। पर जो भगवान की लीला को समझते हैं, वे इस दशा को देखकर प्रसन्न होंगे, क्योंकि कलियुग का यह विकट रूप बुझते हुए दीपक के अन्तिम प्रकाश के समान होगा। इसलिए वे सतयुग की विजय के लिए तन-मन-धन से सहायता करेंगे। ऐसे ही लोग इस भयंकर समय को पार करके सतयुग के आने वाले राज्य में सुख पा सकेंगे।
आपका भी कर्तव्य है कि कलियुगी कर्मों को छोड़कर सतयुग के अनुयायी बनिये, जिससे इस महान् संकट से रक्षा हो सके।