Magazine - Year 1943 - Version 2
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Language: HINDI
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खरे बनिए! चापलूसी से दूर रहिए!
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जो बात आपको सच्ची प्रतीत होती है उसे बिना किसी हिचकिचाहट के खुली जबान से कहिए अपने अन्तःकरण को कुचल कर बनावटी बातें करना, किसी के दबाव में आकर निजी विचारों को छिपाते हुए हाँ में हाँ मिलाना आपके गौरव के विपरीत है। इस प्रकार की कमजोरियाँ प्रकट करती हैं कि यह व्यक्ति आत्मिक दृष्टि से बिलकुल ही निर्बल है, डर के मारे स्पष्ट विचार तक प्रकट करने में डरता है। ऐसे कायर व्यक्ति किसी प्रकार अपना स्वार्थ साधन तो कर सकते हैं पर किसी के हृदय पर अधिकार नहीं जमा सकते। स्मरण रखिए प्रतिष्ठा की वृद्धि सच्चाई और ईमानदारी द्वारा होती है। आप खरे विचार प्रकट करते हैं, जो बात मन में है उसे ही कह देते हैं तो भले ही कुछ देर के लिए कोई नाराज हो जावे पर क्रोध उतरने पर वह इतना तो अवश्य अनुभव करेगा कि यह व्यक्ति खरा है, अपनी आत्मा के प्रति सच्चा है। विरोधी होते हुए भी वह मन ही मन आदर करेगा।
आप किसी भी लोभ-लालच के लिए अपनी आत्म स्वतंत्रता मत बेचीए, किसी भी फायदे के बदले आत्म गौरव का गला मत कटने दीजिए। चापलूसी और कायरता से यदि कुछ लाभ होता हो तो भी उसे त्याग कर कष्ट में रहना स्वीकार कर लीजिए, क्योंकि इससे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी, आत्म गौरव को प्रोत्साहन मिलेगा। स्मरण रखिए आत्म गौरव के साथ जीने में ही जिन्दगी का सच्चा आनन्द है।