Magazine - Year 1944 - Version 2
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Language: HINDI
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स्वाध्याय का महत्व
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जिसे उत्तमोत्तम पुस्तकों के पठन-पाठन का सौभाग्य प्राप्त होता हैं, उसके लिये चंचल लक्ष्मी का शुष्क विनोद किस काम का?
-नीतिकार
हरे-भरे बन में, भूखों मरने वाले पशु में, और पढ़ने के इतने साधन होते हुए भी ज्ञान-हीन रहने वाले मनुष्य में, क्या अन्तर हैं?
-जिज्ञासु
गरीबों को दरिद्रता से छुड़ाने की, दुखियों का दुःख दूर करने की, शरीर तथा मन को नीरोग बनाने की और बीमारों का दुःख भुला देने की जितनी शक्ति ग्रन्थों में होती हैं, उतनी संसार की और किसी भी चीज़ में नहीं।
-मार्सडन
अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने भले मित्रों के साथ न रहने की कमी नहीं खटकती। जितना ही मैं पुस्तकों का अध्ययन करता गया, उतना ही मुझे उनकी विशेषतायें मालूम होती गई। जिसे पुस्तकों के पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है।
-महात्मा गाँधी
मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्यों कि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी, वहाँ आप ही स्वर्ग बन जायगा।
-भगवान तिलक
पुराने कपड़े पहिन कर नई किताबें खरीदिये।
-आस्टिन फेल्प्स्