Magazine - Year 1954 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
पुकार (Kavita)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
पथ पर न गिरेगा मेरा, शव, मंजिल पर ही होगा मजार॥
आँधी आती, तूफाँ चलते क्षण भर डगमग हो जाते पग।
रातों की काली स्याही में खो जाता मेरा उजला मग॥
लेकिन विश्वास नहीं खोता इस तम में भी रवि किरणों का।
ठोकर खा हो उठता है संकल्पों का प्रहरी और सजग॥
बाधायें मेरे अधरों पर लिख जाती हैं मुस्कान नई।
झंझाके झोंके भर जाते मेरी बाँहों में एक ज्वार॥
मैं बढ़ता भारी कदमों से कंपित धरती यह और गगन।
चट्टानों की छाती पर लिखता द्वन्द्व युद्ध का आमन्त्रण॥
में प्रलय काल के मेघों सा घिर बढ़ता जाता एक ओर।
अपनी वाणी में भरे चुनौती के स्वर का भीषण गर्जन॥
मेरी बाँहों में बेचैनी अँगड़ाई लेती रह रह कर।
कितना अधीर कितना आतुर मैं आज जूझते एक बार॥
नदियों की लहरों पर मेरी उद्दाम जवानी का पानी।
झंझावातों के पंखों में मेरी ही तो गति दिवानी॥
मेरी आँखों की भाषा ही पढ़ ली है ज्वालामुखियों ने।
मेरे मन्त्रों को दुहराती इन भूचालों की नादानी॥
मेरा ही दिया पाठ दुहराते, बार-बार बादल के स्वर।
बिजली में, नभ की पाटी पर मेरे सन्देशों का उभार॥
रो रही जिन्दगी फूट-फूट, खिल-खिल करता हँस रहा मरण।
सूनी ही माँग, किया किस युग ने धरती का सिंदूर हरण॥
लेकिन फिर से वह सत्यवान छूटेगा यम की काण से।
धरती की सावित्री निष्ठा दुहरा देगी इतिहास चरण से॥
मैं चौराहे पर खड़ा मशालों की लिपि में देता पुकार ।
आओ, मेरे संग आओ, दूर करे हम युग का अंधकार॥
पथ पर न गिरेगा मेरा शव, मंजिल पर ही होगा मजार॥
*समाप्त*
(लेखक- श्री मनोहर वर्मा)
(लेखक- श्री मनोहर वर्मा)