Magazine - Year 1968 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
डाक दर बढ़ने की कमर तोड़ विपत्ति
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
सरकार ने अब डाक दरें बढ़ा दी हैं। पोस्ट कार्ड, अन्तर्देशीय, लिफाफा, रजिस्ट्री, बी-पी. तार सभी की दरें बढ़ी हैं। पर पत्रिकाओं पर लगने वाले डाक खर्च को तो एक दम ढाई गुना कर दिया गया है। ‘अखण्ड-ज्योति’ और ‘युग निर्माण योजना’ पर अब तक दो-दो पैसे की टिकट लगा करती थी। अब पाँच पैसे की लगा करेगी।
दोनों पत्रिकायें अब तक भी घाटे में चलती रही हैं। प्रायः दस-बारह पैसे हर ग्राहक के पीछे लागत में कमी पड़ती थी। पर अब ढाई गुना पोस्टेज बढ़ जाने में तो घाटा इतना अधिक होगा, जिसके भार से पत्रिकाओं की कमर टूट सकती है और उन्हें निकालना बन्द करने की स्थिति आ सकती है।
इस आकस्मिक विपत्ति को एक विशिष्ट संकट मान कर परिजनों को उसके निवारण में सहायता करनी चाहिए। यह सहायता धनदान के रूप में नहीं- श्रमदान के रूप में ही अपेक्षित है। एक-एक दो-दो नये ग्राहक बढ़ाने का आपका प्रयत्न परिश्रम इन पत्रिकाओं पर आई इस विपत्ति का सामयिक समाधान हो सकता है। कुछ ग्राहक बढ़ जाने से घाटे के भार में थोड़ी कमी हो सकती है और पत्रिकायें जीवन धारण किये रहने में समर्थ हो सकती हैं। आशा है हर परिजन इस दिशा में थोड़ा प्रयत्न करना-अपना कर्त्तव्य समझेगा।