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Magazine - Year 1970 - Version 2

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जिसे जीना आता है, वह सच्चा कलाकार है।

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मानव-जीवन एक अमूल्य निधि है। यह बड़े सौभाग्य का सुअवसर है कि हम सृष्टि के किसी भी प्राणी को न मिल सकने योग्य सुअवसर को प्राप्त करें और मानव प्राणी कहलायें।

यह अनुपम अवसर कुत्साओं की कीचड़ और कुण्ठाओं के दलदल में पड़े रहकर नारकीय यातनायें सहते हुए मौत के दिन पूरे कर लेने के लिये नहीं है। वरन् इसलिये है कि हम परमेश्वर की इस पुष्प प्रतिकृति दुनिया के सौंदर्य का रसास्वादन करते हुए अपने को धन्य बनावें और इस तरह जियें, जिसमें पुष्प जैसे मृदुलता, चन्दन जैसी सुगन्ध और दीपक जैसी रोशनी भरी पड़ी हो।

जीवन जीना एक कला है। जिसे ठीक तरह जीना आ गया वह इस धरती का सम्मानित कलाकार है। उपलब्ध साधना-सामग्री का उत्कृष्ट उपयोग करके दिखा सकना-यही तो कौशल कसौटी है। अधिक साधना के अभाव और प्रस्तुत अवरोधी की चर्चा में जो प्रस्तुत उपलब्धियों की महत्ता कम करना चाहता है और यह कहता है कि यदि अमुक साधन मिल सके होते, तो अमुक कर्तृत्व प्रस्तुत करता-उसे आत्म-वञ्चना में निरत ही कहना चाहिए। जीवन-कला से अवगत कलाकार अपने स्वल्प साधनों से ही महान् अभिव्यंजना प्रस्तुत करते रहे हैं। जिसे जीना आ गया उसे सब कुछ आ गया और वह सच्चा शिल्पी है- यह मानना चाहिए।

-अरस्तू

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