Magazine - Year 1971 - Version 2
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Language: HINDI
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सद्वाक्य व लघु कहानी - ईश्वर का सहारा
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यूनान के शाह का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन खराब होता गया। बचने के आसार नजर नहीं आ रहे थे। अन्त में वहाँ के सभी हकीमों ने मिलकर यह निश्चय किया यदि निर्धारित लक्षणों वाले किसी व्यक्ति का पित्ताशय प्राप्त हो सके तो शाह के जीवन को बचाया जा सकता है।
शासकीय कर्मचारी निकल पड़े और दो-तीन दिन की खोज-बीन के बाद चाहे हुये लक्षणों वाले एक बालक को पकड़ लाये। निर्धन माँ बाप का वह सीधा-साधा बालक। पिता को विपुल मात्रा में धन दे दिया गया तो उसने चूँ तक न की।
काजी से इस सम्बन्ध में परामर्श लिया गया तो उन्होंने भी कह दिया कि राजा के प्राण रक्षा हेतु यदि प्रजा के किन्हीं एक दो व्यक्तियों को अपना बलिदान भी देना पड़े तो वह अपराध की कोठी में नही आयेगा।
वह लड़का राजा के सम्मुख उपस्थित किया गया। सभी हकीम अपनी तैयारी के साथ आये ही थे। जल्लाद को तलवार से काम तमाम करने की आज्ञा दे दी गई। जल्लाद ने जैसे ही तलवार उठाई कि बालक को ऊपर आकाश की ओर देखकर हँसी आ गयी।
राजा को, मृत्यु के मुँह में जाते बालक को देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ, उन्होंने संकेत से उस जल्लाद को रुकने के लिए कहा। ‘जल्लाद ने अपना हाथ नीचे कर लिया। बालक गम्भीर हो गया उसने कहा-’आज मैंने देखा कि माता-पिता जिस सन्तान के लिए प्राण देते हैं उन्होंने उसे पैसों के लोभ में आकर बेच दिया। काजी जो धर्म और मर्यादा की रक्षा करने वाला कहा जाता है उसने राजा को खुश करने के लिए धर्म के सिद्धान्त को ही बदल दिया और राजा के जीवन को बचाने के लिए भले ही किसी के प्राण लिए जाये पर धर्म उस अपराध को अपराध और पाप की दृष्टि से मान्य करने को तैयार नहीं। प्रजा का रक्षक बादशाह ही भक्षक बना जा रहा हो उस समय ईश्वर के अलावा व्यक्ति को सहारा देने वाला और हो भी कौन सकता है?’
अतः मुझे उस परमपिता की याद करके हँसी आ गई कि यहाँ तो ऐसा अंधेर मचा हुआ है देख सबका रक्षक क्या करता है?
‘मुझे क्षमा कर बेटा! अब तू निश्चित होजा। जल्लाद की तलवार अब तुम्हारा कुछ न बिगाड़ सकेगी।’ शाह ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए कहा। यूनान के शाह ने भूल स्वीकार करली पर आज धूम्रपान के बारे में उपरोक्त तीनों तथ्य ज्यों के त्यों हैं।