Magazine - Year 1978 - Version 2
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Language: HINDI
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प्राचीनता की हठ सत्य के प्रति अत्याचार
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अहंकार और व्यामोह का समन्वित रूप बनता है− दुराग्रह। इसमें आवेश और हठ दोनों ही जुड़े रहते हैं। फलतः चिन्तन तन्त्र के लिए कठिन पड़ता है कि वह सत्य और तथ्य को ठीक तरह समझ सके और उचित-अनुचित का भेद कर सके। अभ्यस्त मान्यताओं के प्रति एक प्रकार की कट्टरता जुड़ जाती है। इसे अच्छी सिद्ध करने के लिए परम्पराओं के निर्वाह की दुहाई दी जाती है। उसका समर्थन धर्मशास्त्र, आप्तवचन, देश भक्ति आदि के नाम पर किया जाता है और कई बार तो उसे ईश्वर का आदेश तक घोषित कर दिया जाता है।
अपना धर्म श्रेष्ठ दूसरे का निकृष्ट, अपनी जाति ऊँची दूसरे की नीची, अपनी मान्यता सच दूसरे की झूठ, ऐसा दुराग्रह यदि आरम्भ से ही हो तो फिर सत्य−असत्य का निर्णय हो ही नहीं सकता। न्याय और औचित्य की रक्षा के लिए आवश्यक है कि तथ्यों को ढूँढ़ने के लिए खुला मस्तिष्क रखा जाय और अपने पराये का, नये पुराने का, भेदभाव न रखकर विवेक और तर्क का सहारा लेने की नीति अपनाई जाय। सत्य को प्राप्त करने का लक्ष्य इसी नीति को अपनाने से पूरा हो सकता है। पक्षपात और दुराग्रह तो सत्य को समझने से इन्कार करना है। ऐसे हठी लोग प्रायः सत्य और सत्यशोधकों को सताने तक में नहीं चूकते।
टेलिस्कोप के आविष्कारक गैलीलियो ने जब पृथ्वी को गतिशील बताने का सर्वप्रथम साहस किया तो पुरातन पंथी धर्म गुरुओं ने इसे धर्म विरुद्ध ठहराया। उसे तरह−तरह से सताया गया और जेल में बन्द करके सड़ाया गया। सबसे पहले जब पैरिस में रेलगाड़ी चली तो उस प्रचलन का पुरातन पंथियों ने घोर विरोध किया और कहा जो काम हमारे महान पूर्वज नहीं कर सके उन्हें करना अपने पूर्व पुरुषों के गौरव पर बट्टा लगाना है। रेलगाड़ी के चलाने वाले जोसफ केग्नार को उस जुर्म में जेल में डाला गया कि वह ईश्वर के नियमों के विरुद्ध काम करता है। इटली में शरीर शास्त्र की शिक्षा किसी समय अपराध थी। आपरेशन करना पाप समझा जाता था और कोई चिकित्सक छोटा−मोटा आपरेशन भी करता पाया जाता तो उसे मृत्यु दण्ड सुनाया जाता था।
कारीगर रैगर वेकन ने सर्वप्रथम दो कोनों को जोड़कर सूक्ष्मदर्शी यन्त्र बनाया था। इस आविष्कार की निन्दा की गई। उस कारीगर को इस खतरनाक काम को करने के अभियोग में दस वर्ष की कैद सुनाई गई। बेचारा जेल में ही तड़प−तड़प कर मर गया।
रसायन शास्त्र के कुछ नवीन सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने के अपराध में स्वन्ति अरहीनियस को प्राध्यापक के पद से पदच्युत करके एक छोटा अध्यापक बनाया गया और उसे सनकी ठहराकर अपमानित किया गया। विधि का विधान ही समझिये कि वही सिद्धान्त आगे चलकर विज्ञान जगत में सर्वमान्य हुए और स्वन्ति को उन्हीं पर नोबेल पुरस्कार मिला।
डॉ0 हार्ले ने जब सर्वप्रथम यह कहा कि रक्त नसों में भरा नहीं रहता वरन् चलता रहता है तो समकालीन चिकित्सकों ने उसे खुलेआम बेवकूफ कहा। ब्रूनो ने जब अन्य ग्रहों पर भी जीवन होने की सम्भावना बताई तो लोग इतने क्रुद्ध हुए कि उसे जीवित ही जला दिया।
दुराग्रह के अत्याचारों का इतिहास बहुत लम्बा और बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पिछले दिनों यह हठवादिता बहुत चलती रही है। धर्म परम्परा, देश भक्ति, ईश्वर का आदेश आदि न जाने क्या−क्या नाम इस हठवादिता को दिये जाते हैं और सत्य एवं धर्म की आत्मा का हनन होता रहा है। मानवी विवेक में निष्फलडडडड सत्यशोधक की दृष्टि को ही प्रश्रय मिलना चाहिए।
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