Magazine - Year 1987 - Version 2
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Language: HINDI
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संगीत एक सूर्यकांत मणि (कहानी)
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महाप्राज्ञ शरीर छोड़ने लगे तो अपने पुत्र सौमनस को बुलाया और एक मणि देते हुए कहातात्! यह लो ‘सूर्यकांत मणि’; इसमें जीवन के संपूर्ण अभाव दूर करने की क्षमता है। यह कहकर उन्होंने पंचभौतिक शरीर का परित्याग कर दिया।
सौमनस ने कुछ दिन तो उस मणि का प्रयोग दीपक के रूप में किया, फिर अपनी प्रेमिका एक वेश्या को दे दिया। वेश्या को शृंगार-प्रसाधनों की आवश्यकता पड़ी तो उसे एक जौहरी को बेच दिया। जौहरी ने मणि की महत्ता को परखा और उससे बहुत-सा सोना बनाकर धनपति बन गया।
संगीत भी सूर्यकांत मणि के समान है, जो अपात्रों के हाथ महत्त्वहीन और पारखियों के हाथ अमूल्य निधि के रूप में सुरक्षित रहता है।