Magazine - Year 2002 - Version 2
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Language: HINDI
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सौ प्रतिशत छूट का लाभ लें, दैवी अनुदानों के अधिकारी बनें
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एक खुशखबरी हमारे परिजनों को मिली होगी एवं न मिली हो, तो अब हम दे रहे हैं कि श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट शाँतिकुँज, हरिद्वार को दिए गए अनुदानों पर सौ प्रतिशत आयकर में छूट मिल गई है। यह छूट धारा 13 ।4 के अंतर्गत मिशन के द्वारा स्थापित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कार्यों के विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों के निमित्त मिली है। बड़े-बड़े कार्य करना हो, तो इस स्तर का प्रमाणीकरण संस्था को मिलना अनिवार्य था एवं वह भारत सरकार के एक अध्यादेश द्वारा 26 जुलाई, 22 को पारित हो गया। सभी परिजन जाते हैं कि गायत्री परिवार ने कभी भी सरकार से कोई अनुदान किसी भी कार्य के लिए नहीं लिया। परमपूज्य गुरुदेव कहा करते थे कि सरकार जनता से लेती है व किसी को जब देती है, तब जनता के हित के लिए मिली राशि में से देती है। अतः स्वैच्छिक संस्थाओं को सरकार से नहीं, सीधे जनता से लेना चाहिए।
परमपूज्य गुरुदेव के इन निर्देशों को ध्यान में रखते हुए ही हमने बड़ी विनम्रता से राज्य केंद्रीय सरकार से कोई भी अनुदान न लेने की शर्त पर विश्वविद्यालय खड़ा करने का संकल्प लिया। आगे भी कभी सरकार के समक्ष हम हाथ नहीं पसारेंगे, ऐसा हम गुरुसत्ता को सुनिश्चित आश्वासन देते हैं।
ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान की कीमती मशीनें व भवन जब खड़े किए गए, तब विज्ञान व तकनीकी विभाग से शोध एवं विकास संस्थान (आर एंड डी इंस्टीट्यूशन) की मान्यता मिलने की बात आई थी। इससे लाभ बहुत मिलता, पर नुकसान यही था कि अनुदान लेना अनिवार्य था। पूज्यवर ने कहा कि हमें जनता यह मान्यता देगी एवं उसकी मान्यता सर्वोपरि मानी जाएगी। यही दुआ व इतना बड़ा तंत्र खड़ा हो गया। अब उससे भी सौ गुनी बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। आयुर्वेद एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों (ब्।डडडडड) पर जो शोध अनुसंधान तंत्र खड़ा होना है, स्वावलंबन हेतु जो नए प्रोजेक्ट बनने हैं, उनके शिक्षण प्रशिक्षण हेतु प्रायः दो सौ करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता अगले दिनों पड़ेगी। निर्माण कार्य चालू है एंपडडडड प्रायः बीस करोड़ की राशि का निर्माण होकर विश्वविद्यालय चालू हो गया है। इंडाँलाजी (भारतीय प्राच्य विद्याओं) के पुनर्जीवन का एक पूरा तंत्र अभी और खड़ा होना हैं।
बूँद-बूँद से सरोवर भरता है, वह उक्ति तो सही है, पर उसमें समय लगता है। हमें तो यह कार्य आगामी 3 से 6 वर्ष में कर ही देना हैं, क्योंकि कार्य हाथ में ले लिया गया है। अब यदि रुकेगा, तो मूल संकल्प में अवरोध आएगा, इसीलिए इस अधिसूचना के माध्यम से परिजनों पाठकों द्वारा श्रीसंतों उद्योगपतियों- संस्कृति में रुचि रखने वाले बड़े घरानों से कहा जा रहा है कि व आयकर छूट का लाभ भी लें एवं उदारतापूर्वक दान दें। जो भगवान के खेत में बीज बोता है, वह उसकी फसल उतनी ही काटता भी है, यह प्रकृति का एक सिद्धाँत है।
परिजनों की जानकारी के लिए हम कुछ सूचनाएं दे रहे हैं, ताकि दान संग्रह में उन्हें कठिनाई न हो।
1. जहाँ तक हो सकें, दानदाता से धनराशि का ड्राफ्ट ही लें। चेक स्वीकार किए जा सकते हैं, पर भुगतान प्राप्त होने पर ही 35 ।4 का प्रमाण पत्र जारी हो सकेगा। यदि नकद देते हैं, तो प्रत्येक दान की रसीद का अलग-अलग ड्राफ्ट बनवाकर भेजें।
2. ड्राफ्ट या चेक श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट (प्रोजेक्ट) के नाम से हरिद्वार में देय हो। दानदाता की पूरी जानकारी दानदाता विवरण पत्रक पर अलग साफ साफ लिखकर भेजें।
3. क्षेत्र से दान एकत्र करने हेतु दानदाता को एक ‘प्रॉवीजीनल’ रसीद दी जा सकती है, परन्तु छूट का प्रमाण पत्र राशि केंद्र में जमा होने पर ही जारी हो सकेगा।
4. जो परिजन डीडी बनवाने, रजिस्ट्री आदि का खरच वहन करने में असमर्थ हैं, वे शाँतिकुँज में रसीद बुक व राशि जमा कर वाउचर्स देकर व्यय ले सकते हैं।
5. व्यावसायिक संस्थाओं, कंपनी, भागीदारी, फर्मों प्रोपायटर्स को भी इस छूट की पात्रता प्राप्त है। व्यावसायिक खरच का एक हिस्सा दान बन जाता है व छूट का प्रमाण पत्र भी मिल जाता है। कोई भी ट्रस्ट या समिति भी अनुदान दे सकती है।
6. वेतन से प्राप्त आय वाले परिजन धारा 8डडडडळ। की तरह सारे लाभ उससे दो गुने स्तर पर इस धारा से ले सकते हैं। दानदाता अपना पैन (च्।छडडडड) नंबर अवश्य लिखें। अनिवासी भारतीय (छत्प्डडडड) भी भारत में होने वाली आमदनी पर इस धारा का लाभ ले सकते हैं।
आशा है कि परिजन-पाठक इस समाचार को सब तक पहुँचाएँगे एवं भामाशाह की भूमिका निभाकर साँस्कृतिक नवोन्मेष के इस कार्य में योगदान का निमित्त बनने हेतु अनेकों को सहमत करेंगे, स्वयं भी अग्रगामी होंगे।