News
Blogs
Gurukulam
English
हिंदी
×
My Notes
TOC
अंतर्ज्ञान
अनुक्रमणिका
पांच प्रकार की होती हैं सिद्धियां
चित में परिवर्तन से बदलते हैं घटनाक्रम
प्रकृति स्वयं पूरा करती है अपना लक्ष्य
निर्मल चित्त से संभव है अनेक देह
अनेक चित का निर्माण व नियंत्रण कर सकता है- योगी
ध्यान से होती है संपूर्ण चित्त शुद्धि
कर्मों की गति से पार है योगी
गहरे हैं कर्म के रहस्य
अनादि है वासनाएं
जाने वासना के कारण को
वासना कभी नष्ट नहीं होती
पल-पल रूप बदलती है वासनाएं
वासना से उत्पन्न होती है अनंत अनुभूतियां
चित्त परिवर्तन से बदलती है अनुभूतियां
प्रकृति से भिन्न है चित का अस्तित्व
चित में समाहित मनोविज्ञान
चित का स्वामी है ज्ञाता पुरुष
स्वप्रकाशित नहीं है चित्
एक समय में एक ही ज्ञान प्रकट होता है चित में
संभव है चित से चित का ज्ञान
चित नहीं चेतन पुरुष है हमारा स्वरूप
जीवन के सब अर्थ समाए हैं चित में
असंख्य वासनाओं का घर है चित
आत्मभावना द्वार है अध्यात्म का
विवेक ज्ञान के उदेश्य से प्राप्त होता है कैवल्य
निर्लिप्त होता है योगी का जीवन
विवेक ज्ञान से संभव है संस्कारों का विनाश
विवेक वैराग्य का शिखर है- धर्ममेघ समाधि
आवरण के हटते ही होता है असीम ज्ञान
कृतार्थ हो जाता है योगी का जीवन
कैवल्य में थम जाता है नए जीवन का क्रम
स्वयं के स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाना है- कैवल्य
क्लेश- कर्म से रहित होता है- जीवनमुक्त योगी
संस्कारों के अनुरूप घटता है कर्मफल भोग
My Note
Books
SPIRITUALITY
Meditation
EMOTIONS
AMRITVANI
PERSONAL TRANSFORMATION
SOCIAL IMPROVEMENT
SELF HELP
INDIAN CULTURE
SCIENCE AND SPIRITUALITY
GAYATRI
LIFE MANAGEMENT
PERSONALITY REFINEMENT
UPASANA SADHANA
CONSTRUCTING ERA
STRESS MANAGEMENT
HEALTH AND FITNESS
FAMILY RELATIONSHIPS
TEEN AND STUDENTS
ART OF LIVING
INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
THOUGHT REVOLUTION
TRANSFORMING ERA
PEACE AND HAPPINESS
INNER POTENTIALS
STUDENT LIFE
SCIENTIFIC SPIRITUALITY
HUMAN DIGNITY
WILL POWER MIND POWER
SCIENCE AND RELIGION
WOMEN EMPOWERMENT
Akhandjyoti
Login
Search
Books
-
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -4
Media: SCAN
Language: HINDI
अंतर्ज्ञान
2
Last
2
Last
Other Version of this book
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -2
Type: SCAN
Language: HINDI
...
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान-1
Type: TEXT
Language: HINDI
...
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -3
Type: SCAN
Language: HINDI
...
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -4
Type: SCAN
Language: HINDI
...
अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान - 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Releted Books
गायत्री सर्वतोन्मुखी समर्थता की अधिष्ठात्री
Type: TEXT
Language: HINDI
...
प्रखर प्रतिभा की जननी इच्छा शक्ति
Type: SCAN
Language: HINDI
...
प्रखर प्रतिभा की जननी इच्छा शक्ति
Type: TEXT
Language: HINDI
...
ब्रह्मवर्चस की पंचाग्नि विद्या
Type: SCAN
Language: HINDI
...
ब्रह्मवर्चस साधना की ध्यान धारणा
Type: SCAN
Language: HINDI
...
બ્રહ્મવિદ્યાનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...
ब्रह्मविद्या का रहस्योद्घाटन
Type: SCAN
Language: EN
...
प्रत्यक्ष से भी अति समर्थ परोक्ष
Type: SCAN
Language: HINDI
...
પોતાનો દીપક સ્વયં બનો
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...
अपने दीपक आप बनो तुम
Type: SCAN
Language: HINDI
...
अपने दीपक आप बनो तुम
Type: TEXT
Language: HINDI
...
ज्ञानखन्ड भाग-4
Type: SCAN
Language: EN
...
ज्ञानखन्ड भाग-2
Type: SCAN
Language: EN
...
ज्ञानखन्ड भाग-3
Type: SCAN
Language: EN
...
दृश्य जगत के अदृश्य संचालन सूत्र
Type: SCAN
Language: HINDI
...
दृश्य जगत के अदृश्य संचालन सूत्र
Type: TEXT
Language: HINDI
...
The Summum Bonum of Human Life
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...
गायत्री का हर अक्षर शक्ति स्रोत
Type: SCAN
Language: HINDI
...
गायत्री का हर अक्षर शक्ति स्रोत
Type: TEXT
Language: HINDI
...
गायत्री की उच्चस्तरीय पाँच साधनाएँ
Type: SCAN
Language: HINDI
...
गायत्री की उच्चस्तरीय पाँच साधनाएँ
Type: TEXT
Language: HINDI
...
गायत्री सर्वतोन्मुखी समर्थता की अधिष्ठात्री
Type: TEXT
Language: HINDI
...
ધર્મ શું ? અધર્મ શું ?
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...
प्रज्ञा परिजनों में नव जीवन संचार
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Articles of Books
अंतर्ज्ञान
अनुक्रमणिका
पांच प्रकार की होती हैं सिद्धियां
चित में परिवर्तन से बदलते हैं घटनाक्रम
प्रकृति स्वयं पूरा करती है अपना लक्ष्य
निर्मल चित्त से संभव है अनेक देह
अनेक चित का निर्माण व नियंत्रण कर सकता है- योगी
ध्यान से होती है संपूर्ण चित्त शुद्धि
कर्मों की गति से पार है योगी
गहरे हैं कर्म के रहस्य
अनादि है वासनाएं
जाने वासना के कारण को
वासना कभी नष्ट नहीं होती
पल-पल रूप बदलती है वासनाएं
वासना से उत्पन्न होती है अनंत अनुभूतियां
चित्त परिवर्तन से बदलती है अनुभूतियां
प्रकृति से भिन्न है चित का अस्तित्व
चित में समाहित मनोविज्ञान
चित का स्वामी है ज्ञाता पुरुष
स्वप्रकाशित नहीं है चित्
एक समय में एक ही ज्ञान प्रकट होता है चित में
संभव है चित से चित का ज्ञान
चित नहीं चेतन पुरुष है हमारा स्वरूप
जीवन के सब अर्थ समाए हैं चित में
असंख्य वासनाओं का घर है चित
आत्मभावना द्वार है अध्यात्म का
विवेक ज्ञान के उदेश्य से प्राप्त होता है कैवल्य
निर्लिप्त होता है योगी का जीवन
विवेक ज्ञान से संभव है संस्कारों का विनाश
विवेक वैराग्य का शिखर है- धर्ममेघ समाधि
आवरण के हटते ही होता है असीम ज्ञान
कृतार्थ हो जाता है योगी का जीवन
कैवल्य में थम जाता है नए जीवन का क्रम
स्वयं के स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाना है- कैवल्य
क्लेश- कर्म से रहित होता है- जीवनमुक्त योगी
संस्कारों के अनुरूप घटता है कर्मफल भोग