Books - ध्वंस और सृजन की सुस्पष्ट सम्भावना
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
दिव्य दृष्टाओं के भविष्य कथन
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
ज्योतिर्विज्ञान अन्तर्ग्रही हलचलों और प्रतिक्रियाओं की सूक्ष्म जानकारी पर आधारित है। इसलिए उसकी गणना भौतिक विज्ञान में की जाती है प्रतिक्रियाओं का अनुमान लगाते हुए जो भविष्य कथन किया जाता है उसका आधार भी यही है।अतीन्द्रिय क्षमता का क्षेत्र इससे भिन्न है। उसमें ग्रह-गणित की आवश्यकता पड़ती है। अन्तर्दृष्टि एक दिव्य सामर्थ्य है, जिसके सहारे परोक्ष के अनेक रहस्यमय परतों पर पड़े हुए पर्दे को हटाया जा सकता है और वह जाना जा सकता है जो सामान्यतया सम्भव नहीं होता।क्रिया की प्रतिक्रिया, कार्य का प्रतिफल सिद्धान्त भी तभी भावी सम्भावनाओं का अनुमान लगा सकता है जब घटनाक्रम सामने हो। किन्तु अदृश्य दर्शन की दिव्य दृष्टि अन्तरिक्ष की हांडी में पक रही खिचड़ी की गन्ध लेकर यह बता सकती है कि उसमें क्या उबल रहा है और पककर किस रूप में क्या आने वाला है।प्रयत्न करने पर यह शक्ति योग साधना द्वारा कोई भी साधक अपने में विकसित कर सकता है। साधना से सिद्धि का सिद्धान्त सर्वमान्य है। किन्तु कई बार ऐसा भी होता है कि पूर्व संचित संस्कारों के कारण यह दिव्य क्षमता अनायास ही जग पड़ती है। बिना साधना के ‘सिद्ध पुरुष’ स्तर के मनुष्य भी जब तब पाए जाते हैं और उनमें शाप-वरदान जैसी सामर्थ्यें तो नहीं होतीं, पर अदृश्य दर्शन की दृष्टि से उनकी विशेषता आश्चर्यजनक देखी गई है।पिछले दिनों संसार में ऐसे अदृश्यदर्शी पाए जाते हैं, जिन्हें योगी ऋषि तो नहीं कह सकते हैं, पर भविष्य दर्शन की दृष्टि से उनकी विशिष्टता सर्वमान्य रही है। उन्हें यह शक्ति कैसे मिली इसका उत्तर ‘अनायास’ के अतिरिक्त और कोई दिया नहीं जा सकता। इतने पर भी यह कसौटी पर सही पाया गया कि उनके कथन अधिकांश में सच निकले। यों जब तब उनमें गलतियां भी निकली हैं।अगली पंक्तियों में जिन अदृश्य शक्तियों के भविष्य कथनों की चर्चा की गई है वे सभी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के हैं। यह ख्याति उन्हें किसी विज्ञापनबाजी से नहीं वरन् कथनों में सचाई मिलने के आधार ही मिली है।युगसन्धि के मध्य क्या कुछ घटित होने वाला है। इस सन्दर्भ में इन प्रख्यात दिव्यदर्शियों के अभिमत पर दृष्टिपात करने से ही इन निष्कर्षों पर पहुंचना पड़ता है। (1) अगले बीस वर्ष मनुष्य जाति के सामने असाधारण कठिनाइयों से भरे होने की सम्भावना है। (2) वह समय दूर नहीं जब उज्ज्वल भविष्य की परिस्थितियां प्रत्यक्ष होंगी। लोग वर्तमान रीति-नीति बदल देंगे। व्यक्तिगत दृष्टिकोण एवं समाज व्यवस्था का नया निर्धारण करेंगे। (3) युग परिवर्तन के इन बीस वर्षों में भारत की भूमिका महान होगी। उसे अन्यत्र की अपेक्षा कम विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही उसकी अध्यात्म भूमिका विनाश को हलका करके और विकास को निकट लाने के लिए प्रबल प्रयास करेगी तथा सफल भी होगी।अदृश्य दर्शियों ने विभिन्न प्रसंगों के अन्यान्य विचार भी व्यक्त किए हैं। उनकी भविष्यवाणियों एवं दिव्य शक्तियों पर प्रकाश डालने वाली कितनी ही पुस्तकें छपी हैं। उनमें से उतना ही संकलन किया गया है, जिसे सार कहा जा सकता और जो युगसन्धि में होने वाली परिवर्तन प्रक्रिया से सम्बन्धित है। चुने हुए भविष्यदर्शियों में से जिन सात के कथन संकलन किए गए हैं, वे यह हैं—(1) जीन डिक्सन (2) जूलवर्न (3) प्रो. हरार (4) पीटर हरकौस (5) नोस्ट्राडेमस (6) जान सेवेज (7) एण्डरसन।1 — जीन डिक्सनजीन डिक्सन का नाम आज विश्वविख्यात है। यह अमरीकी महिला अपनी अचूक भविष्यवाणियों के लिए जानी जाती है। जीन जब 9 साल की बच्ची थी, तब एक दिन उसकी मां ने यों ही, बात-बात में बच्चों से पूछा कि तुम्हारे पिता तुम लोगों के लिए क्या लायेंगे? जीन ने दो पल रुककर जवाब दिया वे एक सुन्दर सा सफेद कुत्ता मेरे लिए लायेंगे। उस समय पिता सवा हजार मील दूर थे। दूसरे सभी बच्चे जीन की बात पर हंसने लगे।पर उस समय पूरा घर आश्चर्य से भर उठा, जब पिता घर लौटकर आए तो सचमुच एक सफेद कुत्ता साथ लाए।जीन डिक्सन की यह अन्तर्दृष्टि क्षमता बढ़ती ही रही और वे जैसे-जैसे बड़ी होती गयीं, वैसे ही वैसे प्रसिद्ध भी होती गयीं।सर्वप्रथम उनकी चर्चा बड़े पैमाने पर तब चल पड़ी जब उनने खुद सन् 1944 में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति के देहावसान की तिथि उनके दफ्तर जाकर दी। दूसरे महायुद्ध के दिन थे—रूजवेल्ट धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थे। इसलिए जब विनम्र स्वरों में जीन ने यह बताया कि मैं एक साधारण गृहस्थ नारी हूं। पर ईश्वर ने मुझे जो अन्तर्दृष्टि दी है, वह देश के किसी काम आए यही चाहकर मैं कभी-कभी उसमें कौंधी हुई बातें बताती रहती हूं।’’ तो रूजवेल्ट ने बड़ी उत्सुकता से और आत्मीयता से उन्हें अपनी बात कहने का आग्रह किया। जीन डिक्सन ने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा कि ‘‘मैंने आपसे ही सम्बन्धित एक घटना देखी है...।’’ जीन को रुकते देख राष्ट्रपति रूजवेल्ट भांप गए और बोले—‘‘आप संकोच क्यों कर रही हैं। सम्भव है, आपने मेरी मृत्यु से सम्बन्धित घटना देखी हो। तो आप अवश्य बताने की कृपा करें। ताकि मैं अपने शेष कर्तव्य को भली भांति निभा सकूं।’’जीन डिक्सन ने बहुत हिचकिचाते हुए बताया—‘‘आगामी वर्ष के मध्य में आपकी मृत्यु अवश्यम्भावी है।’’जीन डिक्सन का आभास पूर्णतः सही था। 1945 के मध्य में रूजवेल्ट का अन्त हो गया और साथ ही, जीन डिक्शन को राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि के क्रम का भी आरम्भ हो गया।कुछ समय बाद उपराष्ट्रपति ट्रूमैन ने एक क्लब के समारोह में श्रीमती जीन डिक्सन से यों ही पूछा—‘‘क्या आप मेरे भविष्य के बारे में कुछ बता सकती हैं?’’ जीन डिक्सन बोलीं—‘‘आप शीघ्र ही राष्ट्रपति बनने वाले हैं।’’ थोड़े ही समय बाद ट्रूमैन सचमुच राष्ट्रपति बन गये। इस घटना के बाद जब स्वयं ट्रूमैन ने जीन डिक्सन की शक्ति की चर्चा की तो सारा अमरीका उन्हें जानने लगा।भारत के विभाजन की भविष्यवाणी भी श्रीमती जीन डिक्सन ने काफी समय पहले कर दी थी।30 जनवरी 1948 को जीन डिक्सन कुछ लोगों से बात कर रही थीं। बीच में सहसा वे रुकीं और बोलीं—‘‘अब बात आगे नहीं हो सकेगी। मुझे लग रहा है कि गांधीजी की अभी-अभी हत्या कर दी गई है। हमें कुछ समय शांत रहना चाहिए।’’ वस्तुतः ठीक उसी समय गांधीजी पर हत्यारे ने गोली चलाई थी। कुछ घण्टों में यह खबर रेडियो पर सारे संसार में सुनाई जाने लगी।एक अप्रत्याशित भविष्यवाणी जीन ने चर्चिल के बारे में की। कुछ प्रसिद्ध पत्रकारों ने उनसे चर्चिल के बारे में भविष्यवाणी का आग्रह किया। जीन ने तत्काल कहा—‘‘युद्ध के बाद वे प्रधानमन्त्री नहीं रहेंगे। हां, एक अन्तराल के बाद वे फिर प्रधानमन्त्री बनेंगे।’’ उन दिनों चर्चिल लोकप्रियता के शिखर पर थे। युद्ध का संचालन भी उन्होंने अति उत्तम रीति से किया था। अतः उनके हटाए जाने की सम्भावना नहीं थी, पर युद्ध से कुछ समय बाद सचमुच ही चर्चिल को पद त्याग करना पड़ा। दूसरे व्यक्ति प्रधानमन्त्री बने। उनके बाद श्री चर्चिल फिर प्रधानमन्त्री बने।रूस में स्टालिन के बाद मालेन्कोव के प्रधानमन्त्री बनने और दो वर्ष के बाद ही उनका स्थान किसी मोटे-तगड़े सैन्याधिकारी द्वारा लिए जाने की भविष्यवाणी भी जीन डिक्सन ने की थी जो अक्षरशः सही निकली।अब तक हजारों दुर्घटनाओं को उन्होंने टाला है, खोए हुओं का अता-पता बताया है, हत्या और आत्महत्या का रहस्य अनावृत किया है तथा अन्य तरह से मदद की है। उनके घर में जो अतिथेय-कक्ष है, वहां न केवल उच्च अधिकारी, राजनेता, व्यवसायी आए दिन बैठे देखे जाते हैं, अपितु साधारण किसान और श्रमिक भी वहां पाए जाते हैं तथा श्रीमती डिक्सन सभी को यथोचित समय देती हैं।जान केनेडी की राष्ट्रपति के रूप में जीत तथा चार साल के भीतर ही उनकी हत्या की भविष्यवाणी श्रीमती जीन डिक्सन ने सन् 1956 में ही कर दी थी। सन् 60 के चुनाव में सचमुच केनेडी जीते। बाद में एक सम्वाददाता ने फिर पूछा कि केनेडी के बारे में आपकी दूसरी भविष्यवाणी का क्या होगा? जीन डिक्सन ने कहा—मुझे स्पष्ट दीखा है कि नवम्बर 63 के तीसरे हफ्ते में राष्ट्रपति केनेडी की हत्या कर दी जाएगी। हत्यारे के नाम का पहला अक्षर ‘ओ’ तथा अन्तिम अक्षर ‘डी’ होगा। 17 नवम्बर को श्रीमती डिक्सन ने स्वयं व्हाइट हाउस को फोन किया और सुरक्षा अधिकारी को बताया कि राष्ट्रपति की इसी सप्ताह हत्या हो सकती है। पर अफसरों ने इसे असम्भव कहकर हंसकर टाल दिया। श्रीमती डिक्सन ने अपनी एक मित्र से दुःखी स्वर में कहा कि ये अधिकारी पागल हो गए हैं, मेरी बात नहीं मान रहे। लगता है कि होनी होकर रहेगी। आखिर 1963 में ही 22 नवम्बर को केनेडी की हत्या ओसवाल्ड ने कर दी और जीन डिक्सन तथा उनकी भविष्यवाणी की गूंज सारे संसार में फैल गई।श्रीमती डिक्सन ने ख्रुश्चेव के पतन, नेहरू के निधन तथा शास्त्रीजी के नेहरू का उत्तराधिकारी चुने जाने की भविष्यवाणी भी बहुत पहले कर दी थी। चीन द्वारा रूसी क्षेत्र में आक्रमण की उनकी भविष्यवाणी भी सही निकली। उन्हीं श्रीमती जीन डिक्सन की आगामी दिनों से सम्बन्धित ये भविष्यवाणियां जो पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं, विशेष महत्वपूर्ण हैं—भारत में 1975 के बाद तीव्र घटनाचक्र गतिशील होगा और वह भौतिक, आध्यात्मिक तथा राजनैतिक दृष्टि से तीव्रता से प्रगति करेगा। 1976 से 81 के बीच विश्व में कुछ बड़े नेताओं की हत्या के षडयन्त्र बनेंगे और इस दौरान अनेक राष्ट्राध्यक्षों को जान से हाथ धोना पड़ेगा। 1981 से 84 तक का समय विश्व के लिए अत्यन्त तनातनी का रहेगा और इस अवधि में युद्ध की सम्भावना बढ़ जायगी। चीन का इसमें प्रमुख हाथ रहेगा। अगले युद्ध में चीन शस्त्र-युद्ध की अपेक्षा कीटाणु-युद्ध में विश्वास रखेगा तथा इससे असंख्य प्राणियों की मृत्यु हो जाएगी। चीन के विरुद्ध रूस-अमरीका एक होकर लड़ेंगे। 1980 तक चन्द्रमा के अलावा अन्य किसी ग्रह पर भी मनुष्य अपने कदम रख सकेगा। अन्तरिक्ष यात्राओं में प्रगति बराबर जारी रहेगी। पश्चिम में ईश्वर तथा धर्म पर आस्था बढ़ेगी। लोग अति भौतिक जीवन से विरक्ति का अनुभव करेंगे तथा धार्मिक, आध्यात्मिक जीवन जीने की दिशा में प्रयासरत होंगे।भारत में ग्रामीण-परिवार में जन्मा-पला व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों से सारे संसार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा। वह गांधीजी की तरह विश्व का मार्गदर्शन करेगा।2 — जूल वर्नजूलवर्न एक विश्वविख्यात लेखक तो हैं ही, भविष्य-दूत भी हैं। जापान द्वारा मन्चूरिया पर तथा इटली द्वारा अल्वानिया पर अधिकार कर लेने की भविष्यवाणी सन् 1931 में ही उन्होंने कर दी थी। उस समय इसे किसी ने सही नहीं माना था। दूसरे महायुद्ध में जब ये बात सर्वथा सत्य सिद्ध हुईं, तो जूलवर्न की धाक जम गई।चीन द्वारा अणुबम बनाने, भारत पाकिस्तान में संग्राम छिड़ने, बंगला देश बनने, इजराइल द्वारा अरबों पर विजय पाने आदि की भविष्यवाणी जूलवर्न ने काफी पहले कर दी थी। एक गम्भीर लेखक होने के नाते वे भविष्य कथन के पूर्व काफी सोच-विचार कर लेते थे। उनकी कुछ भविष्यवाणियां निम्नानुसार हैं—1981 तक पाकिस्तान एक छोटे से टापू जैसा रह जाएगा। इसका कुछ भाग अफगानिस्तान ले लेगा। कुछ में स्वतन्त्र बलूचिस्तान बन जाएगा। शेष अंग नगण्य रह जाएगा। 1985 तक भारत चीन द्वारा अपहृत भूमि वापस ले सकेगा। इसी समय तक तिब्बत भी स्वतन्त्र हो जाएगा। 1985 तक सम्पन्न देशों को हर्वल, प्लूटो आदि ग्रहों की भी विस्तृत जानकारी मिल जाएगी और मनुष्य शुक्र तथा मंगल ग्रहों तक पहुंच जायेंगे। 1982 तक अणुशक्ति से भी कई गुनी समर्थ शक्ति का पता चल जाएगा।1980 से 1990 तक भीषण प्राकृतिक विप्लव, अतिवृष्टि, समुद्री तूफान, अनावृष्टि, भूकम्प, भूस्खलन आदि सामने आयेंगे। सामुद्रिक उद्वेलन से एक नया टापू उभर कर आएगा इस टापू पर एक शक्तिशाली जाति का आधिपत्य होगा और इससे अथाह सम्पत्ति प्राप्त होगी। भारत अत्यधिक शक्तिशाली बनकर उभरेगा। विश्व में उसका सम्मान बढ़ता चला जाएगा। भारत से एक ऐसा व्यक्तित्व उभरेगा, जो सारे संसार को शान्ति का पाठ पढ़ाएगा। विश्वयुद्ध सन् 1980 से 1988 के बीच होगा। विश्वयुद्ध प्रारम्भ कराने में चीन का दम्भ प्रमुख कारण बनेगा। सारी पृथ्वी, विशेषकर शहरी क्षेत्र सन् 1990 तक भयंकर पर्यावरण-प्रदूषण से ग्रस्त हो जायेंगे। नई-नई बीमारियां फैलेंगी, जो डॉक्टरों को भी समझ में नहीं आयेंगी। धीरे-धीरे लोगों में यान्त्रिक सभ्यता के प्रति घृणा उभरेगी और बढ़ेगी। यूरोपीय जातियों का झुकाव भारतवर्ष की ओर बढ़ेगा तथा वे आध्यात्मिक जीवन में विशेष रुचि लेंगे।3—प्रो. हरारभविष्य वक्ताओं में प्रो. हरार अनन्यतम हैं। इस धार्मिक इजरायली नागरिक को योरोप-अफ्रीका में देवदूत की संज्ञा प्राप्त है। अरब के प्रधान शाह मुहम्मद की यात्राओं की तैयारियां पूरी हो जाने पर भी तीन-तीन बार वे यात्रा न कर सकेंगे, ऐसी भविष्यवाणियां उनके समय में प्रो. हरार ने कीं। हर बार शाह ने अपनी ओर से हर सम्भव कोशिश की कि वे यात्रा करें ही। पर पहली बार घोड़े से गिर पड़ने पर शाह के पैरों में खराबी आ जाने के कारण, दूसरी बार मौसम की खराबी के कारण विमान न उड़ पाने के कारण और तीसरी बार पड़ोसी देश द्वारा सहसा हमला कर देने के कारण शाह मुहम्मद को यात्राएं रोकनी पड़ीं। इस प्रकार हर बार प्रो. हार की भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई। इससे प्रभावित होकर शाह मुहम्मद ने प्रो. हरार को व्यक्तिगत रूप से बुलवाया और उन्हें अपना मुख्य मांगलिक सलाहकार बना लिया।सबसे बड़ी बात यह है कि प्रो. हरार तिथिवार भविष्यवाणियां करते हैं। भारत-पाक युद्ध की तारीख लगभग 2 वर्ष पूर्व ठीक-ठीक बता दी थी। बंगलादेश के अभ्युदय की जब उन्होंने भविष्यवाणी की थी, उस समय कोई इसकी कल्पना तक नहीं कर पाता था।प्रो. हरार ने भविष्य के बारे में जो कथन प्रकाशित किए हैं, उनमें से कुछ ये हैं :—1980 तक लंका, रूस, फ्रांस, भारतवर्ष आदि में अप्रत्याशित रूप से सरकारें बदलेंगी। 1981 में साइबेरिया या मंगोलिया के प्रश्न को लेकर रूस-चीन में भयंकर भिड़न्त होगी। इस युद्ध में अमरीका रूस की मदद करेगा। 1983 तक तिब्बत पूर्ण रूपेण स्वतन्त्र हो जाएगा। 1980 में सारे संसार में तनातनी बढ़ेगी और 1982 से पहले विश्वयुद्ध शुरू हो जाएगा। इस युद्ध के दौरान भारत एक अग्रणी नेता के रूप में उभरेगा। इजरायल और भारत परस्पर घनिष्ठ मित्र होंगे। सन् 1980 से 2000 तक का समय भारतवर्ष के लिए अत्यन्त श्रेष्ठ तथा उन्नतिदायक है। 1985 तक भारतवर्ष अनेक वैज्ञानिक शस्त्रों का निर्माण करेगा और एक प्रचण्ड शक्ति बनकर उभरेगा। भारत में एक ऐसा व्यक्ति पैदा हो गया है, जो कि भविष्य में सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा।प्रो. हरार के अनुसार सन् 2000 तक राजनैतिक परिवर्तन होंगे। ब्रिटेन, श्रीलंका, रूस और भारतवर्ष में अप्रत्याशित रूप से सरकार बदलेंगी। इजरायल और अरब के समानान्तर अक्षांश पर होने के कारण भारतवर्ष की स्थिति ठीक वैसी ही होगी। मित्र जैसे दिखाई देने वाले पड़ोसी देश या तो आक्रमण करेंगे या आक्रमण के समय मौन रहेंगे। अधिकांश प्रतिपक्ष का समर्थन करेंगे। इसके बाद दुनिया का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथ में होगा, जिनकी उनसे पहले तक लोगों ने कल्पना भी न की होगी। यह लोग वीर होने के साथ-साथ धर्मनिष्ठ भी होंगे।’’4 — पीटर हरकौसहालैण्ड वासी पीटर हरकोस को बीसवीं शताब्दी का महानतम भविष्य वक्ता कहा जाता है। क्योंकि उसकी सभी भविष्यवाणियां समय पर सही सिद्ध होती रही हैं। उसकी दूसरी विशेषता यह है कि वह किसी भी समय किसी व्यक्ति के बारे में भविष्य कथन करने में सक्षम हैं। विश्व भर के चिकित्सक, वैज्ञानिक यथा मस्तिष्क विशेषज्ञ अब तक पीटर हरकौस पर परीक्षण प्रयोग कर चुके हैं—यह जानने के लिए कि वह कौन-सी विलक्षणता है, जिसने इस व्यक्ति को इस रूप में समर्थ बना रखा है।हरकौस अपने सामने आए किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसके सम्पूर्ण अतीत और अनागत को जान लेता है। इतना ही नहीं, यदि किसी भी व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या इस्तेमाल की हुई किसी वस्तु को उसके हाथ में दे दिया जाय, तब भी वह तत्काल उस व्यक्ति के भूत भविष्यत् को स्पष्टता से बता सकता है।अमरीका तथा यूरोप के हजारों-लाखों व्यक्ति अब तक हरकौस से सम्पर्क कर लाभान्वित हो चुके हैं और हो रहे है।इन्हीं महानतम अन्तर्दृष्टा पीटर हरकौस ने विश्व के भविष्य से सम्बन्धित ये भविष्यवाणियां की हैं, जो ध्यान देने योग्य हैं :—1980 के बाद और 1985 से पहले तीसरा विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी है। इस विश्वयुद्ध के समय तक जापान और भारत एक विशेष शक्ति बनकर उभरेंगे। इस युद्ध में चीन के विरुद्ध अमरीका और रूस दोनों साथ-साथ लड़ेंगे। महायुद्ध 1999 तक समाप्त हो जाएगा। युद्ध तथा गृहयुद्ध के कारण चीन की जनसंख्या 1987 तक एक चौथाई के आसपास रह जाएगी और पाकिस्तान समाप्त प्रायः हो जाएगा। भारत का उदय वृहत्तर भारत के रूप में होगा। वहां से आध्यात्मिकता की एक प्रचण्ड लहर उठेगी। यह लहर सम्पूर्ण विश्व पर अपना प्रभाव डालेगी। लोग भारत से उठने वाली इस आध्यात्मिक धारा से अभिभूत होकर उसी दिशा में बढ़ेंगे और तब सुखी, सम्पन्न, एकात्म, विश्व-समाज का उदय तथा विकास होगा। प्रत्येक मनुष्य में देवत्व का उदय होगा और धरती पर स्वर्ग बन उठेगा।5 — नौस्ट्राडेमसयूरोप के विश्वविख्यात भविष्य-वक्ता दृष्टा नोस्ट्राडेमस ने फ्रांस में हुई भयंकर हिंसक क्रांति की भविष्यवाणी पहले ही करदी थी 1503 में फ्रांस में ही जन्मे नोस्ट्राडेमस को ख्याति उस समय मिली जब फ्रांस के विषय में की गई इनकी भविष्यवाणी बताए गए समय एवं स्वरूप के अनुसार अक्षरशः सही सही उतरी। घटनाओं के पूर्वाभास शक्ति सम्पन्न होने का प्रमाण उस समय मिला तथा और भी पुष्ट हुआ जब नोस्ट्रोडेमस रास्ते से जाते हुए एक ईसाई साधु के चरणों में झुक पड़ा। साथ के मित्र के पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह साधु पांच वर्ष बाद पोप बनेगा। यह समय सन् 1580 का था। नोस्ट्राडेमस द्वारा बताए गए समय 1885 को साधु सर्व सम्मति से फ्रांस का पोप नियुक्त किया गया। इससे नोस्ट्राडेमस की ख्याति और भी बढ़ गई। फ्रांस में वे अतीन्द्रिय क्षमता सम्पन्न व्यक्ति के रूप में माने जाने लगे।नोस्ट्राडेमस की 4000 भविष्यवाणियों का संकलन चार पुस्तकों में प्रकाशित है। कविता की शैली होने के कारण इनका नाम दिया गया है ‘शतियां’। प्रत्येक शतियां में 100 भविष्यवाणियां हैं। पन्द्रहवीं सदी से लेकर अबतक की अधिकांश बातें अपने समयानुसार सही उतरी हैं। नेपोलियन के विषय में नोस्ट्राडेमस ने लिखा है—‘‘कि इटली के निकट सामान्य परिवार में जन्मा एक बालक विश्व का सबसे बड़ा तानाशाह सम्राट बनेगा। अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए वह अमानवीय प्रयत्न करेगा।’’ इसी क्रम में आगे वर्णन है कि उसके कुकृत्यों के कारण उसी के साथ विश्वासघात करेंगे। पराजित होंगे, पर उसे निर्वासित कर एक द्वीप में बन्दी के रूप में रखा जाएगा। यह स्थान उसके जीवन का उत्तरार्ध होना चाहिए। सभी जानते हैं कि नेपोलियन अपने ही मित्रों के विश्वासघात के कारण पकड़ा गया तथा सेन्ट हेलेना द्वीप में बन्दी रहा। वहीं उसकी मृत्यु हो गई।स्पेन में सन् 1936-37 में हुए आन्तरिक गृह युद्ध के विषय में नोस्ट्राडेमस ने भविष्यवाणी की थी। ‘‘फ्रैको नामक व्यक्ति स्पेन में जन-समूह एकत्रित करेगा। आन्तरिक क्रान्ति होगी। इस गृह युद्ध के फलस्वरूप फ्रैकों को निष्कासित किया जाएगा। उसे खाड़ी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।’’ इतिहास वेत्ता जानते हैं कि चार शती पूर्व की गई नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणी किस प्रकार सही घटित हुई। फ्रैकों अपनी ही जन्मभूमि स्पेन में प्रवेश नहीं कर पाया।हिटलर का एक निरंकुश शासक के रूप में उदय होने का उल्लेख भी शतियां में है। राइन के निकट आस्ट्रिया के पर्वतों में सामान्य परिवार में एक व्यक्ति जन्म लेगा, जो पौलेण्ड और हंगरी की रक्षा तो करेगा पर हिंसक क्रान्ति का आश्रय लेने से उसका भविष्य भी अनिश्चित होगा।’’ हिटलर का अभ्युदय ओर पराभव का इतिहास प्रसिद्ध है। जो नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणी के अनुसार सही सिद्ध हुआ। द्वितीय महायुद्ध के विषय में नोस्ट्राडेमस ने कहा था—‘‘आग्नेयास्त्रों एवं महाविनाशक बमों के प्रहार से बन्दरगाह के निकट दो नगर युद्ध के अभिशाप सिद्ध होंगे। हिरोशिमा, नागासाकी पर अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बमों से हुई क्षति ऐतिहासिक घटना के रूप में जानी जाती है।बीसवीं शती में सही घटित हुई नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणियों में प्रमुख है—‘‘इंग्लैण्ड के राजा एडवर्ड अष्टम का सिंहासनारूढ़ होना।’’ एडवर्ड अष्टम ने श्रीमती सिम्प्सन से विवाह करने की इच्छा प्रकट करना एक नैतिक अपराध माना। बाध्य होकर एडवर्ड को इंग्लैण्ड छोड़ना पड़ा। अन्य प्रमुख भविष्य वाणियों में, पाकिस्तान का आन्तरिक गृह युद्ध के फलस्वरूप दो भागों में विभक्त होना, अन्य मुस्लिम राष्ट्रों में आन्तरिक विग्रह पैदा होना जैसी बातें प्रत्यक्ष देखी जा रही हैं। पाकिस्तान, ईरान, बंगलादेश में पनपता हुआ आंतरिक संघर्ष इन राष्ट्रों के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ है।बीसवीं शती में सही घटित हुई नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणियों में प्रमुख है—‘‘इंग्लैण्ड के राजा एडवर्ड अष्टम का सिंहासन त्याग तथा उसके स्थान पर एक अप्रत्याशित व्यक्ति का सिंहासनारूढ़ होना।’’ एडवर्ड अष्टम ने श्रीमती सिम्प्सन से विवाह करने की इच्छा प्रकट करना एक नैतिक अपराध माना। बाध्य होकर एडवर्ड को इंग्लैण्ड छोड़ना पड़ा। अन्य प्रमुख भविष्यवाणियों में, पाकिस्तान का आन्तरिक गृह युद्ध के फलस्वरूप दो भागों में विभक्त होना, अन्य मुस्लिम राष्ट्रों में आन्तरिक विग्रह पैदा होना जैसी बातें प्रत्यक्ष देखी जा रही हैं। पाकिस्तान, ईरान, बंगलादेश में पनपता हुआ आंतरिक संघर्ष इन राष्ट्रों के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ है।बीसवीं सदी की विभीषिकाओं में जिस चमत्कारी शोध का उल्लेख नोस्ट्राडेमस करते हैं, उसका उल्लेख एक जर्मनी से प्रकाशित बहुचर्चित पुस्तक में मिलता है। पुस्तक का नाम है—‘‘दी फ्यूचर आफ ह्यूमिनिटी।’’ इसमें नोस्ट्राडेमस की कुछ भविष्यवाणियों का उल्लेख किया गया है। जीवन के अन्तिम दिनों कुछ व्यक्ति नोस्ट्राडेमस से मिलने गए। उन्होंने कहा—‘‘भविष्य की कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख कीजिए जो महत्वपूर्ण हों। पहले तो सहमत नहीं हुए, पर अधिक आग्रह करने पर उन्होंने कहा—‘‘कि बीसवीं सदी में जब विकसित बुद्धि स्वयं मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध होगी। भौतिक प्रयास प्रकृति सन्तुलन एवं मानवी कृत्य को श्रेष्ठ मार्ग की ओर मोड़ पाने में असमर्थ होंगे। इन परिस्थितियों में एक प्रचण्ड शक्ति का प्रादुर्भाव होगा।’’ उसका जन्म तो बीसवीं सदी के आरम्भ में ही हो जाना चाहिए। पर प्रखर स्वरूप तो इसी सती के अन्तिम बीस वर्षों में प्रकट होना चाहिए। एशिया सम्भवत: भारत के उत्तराखण्ड में मानव-जाति के भविष्य के उज्ज्वल निर्धारण के कार्यक्रमों में एवं क्रियान्वयन में निरत होना चाहिए। उसके अन्य मानवतावादी कार्यक्रमों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा चेतना की सत्ता को वैज्ञानिक प्रयोगशाला में सिद्ध करना। इस बौद्धिक एवं विचारात्मक प्रयास के समय विश्व के मूर्धन्य विचारक एवं वैज्ञानिक भी नतमस्तक होंगे। समस्त भौतिक शक्तियां उसकी आध्यात्मिक शक्ति के समक्ष अल्प होंगी।’’ नोस्ट्राडेमस ने रोमांचित होकर कहा कि ‘‘मुझे तो नवयुग के आगमन के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। एशिया के उतराखण्ड से संस्कृति की एक धारा प्रचंड वेग से आ रही है जो समस्त मानव जाति को नव-जीवन देगी।’’ दुनिया को भावी महाविनाश से बचा सकने में यह शक्ति समर्थ होगी।बीसवीं सदी की जिन विभीषिकाओं का उल्लेख नोस्ट्राडेमस ने पौने पांच सौ वर्ष पूर्व किया है उनको घटित होते प्रत्यक्ष देखा जा रहा है।6—जान सैवेजफ्लोरिडा (अमेरिका) की प्रसिद्ध अन्तर्दृष्टि सम्पन्न महिला जान सैवेज ने अब तक जितनी भी भविष्यवाणियां की हैं, उनमें से 99 प्रतिशत सही सिद्ध हुई हैं। श्रीमती जान सैवेज ने एक भारतीय योगी से दीक्षा ग्रहण की है और योगाभ्यास द्वारा अपनी अन्तर्दृष्टि का विकास किया है। उन्होंने अगले दिनों की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में लिखा है ‘‘1981 को शताब्दी विश्व इतिहास में व्यापक उथल-पुथल और भयंकर परिवर्तनों के लिये लम्बे समय तक याद की जाती रहेगी। यह क्रम 1980 से प्रारम्भ होगा जब अमेरिका की नहर पनामा तथा जापान के अधिकांश समुद्री भाग प्रबल भूकम्प के कारण पृथ्वी की गोद में समा जायेंगे। आज रूस और अरब मित्र राष्ट्रों की तरह दिखाई देते हैं किन्तु धीरे धीरे उनमें खाई पढ़ेगी, उग्र विवाद होंगे। (उस समय तक तो विवाद की स्थिति नहीं थी, किन्तु इस समय तक निश्चित ही दोनों देशों के बीच सन्देहजनक परिस्थितियां जन्म ले चुकी हैं) और युद्ध हो जायगा। 1985 के लगभग अन्तर्राष्ट्रीय विवादों के अत्यधिक उग्र होने की सम्भावना है और एक बार विश्वयुद्ध के बादल घुमड़ जायेंगे।7—एण्डरसन1910 में अमेरिका के अवोवा नगर में जन्मे एण्डरसन की 97 प्रतिशत भविष्यवाणियां सत्य सिद्ध होती रही हैं। एक-एक, दो-दो वर्ष आगे की हुई उनकी भविष्यवाणियों को लोगों ने सैकड़ों बार सत्य होते देखा है। एण्डरसन को मुख्य ख्याति उनके अतुलित शारीरिक पराक्रम और व्यायाम सम्बन्धी अद्भुत प्रदर्शनों के कारण मिली, परन्तु उनकी भविष्यवाणियों ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का प्रसिद्ध व्यक्ति बनाया। उनकी सत्य सिद्ध होने वाली भविष्यवाणियों के कारण न केवल अमेरिका के वरन् दूसरे देशों के व्यापारी, उद्योगपति, फिल्म कलाकार, नेता आदि भी उनसे भविष्य सम्बन्धी प्रश्न पूछकर काम करते थे।भविष्य दर्शन या अज्ञात दर्शन की यह क्षमता उनमें बचपन से ही उत्पन्न होने लगी थी। जब आठ वर्ष के थे तो एक दिन वह अपने घर की बैठक में खेल रहे थे। उन दिनों पहला विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो चुका था। एण्डरसन का भाई नेल्सन कनाडा की सेना में कप्तान हो गया था। उसकी फोटो बैठक में लगी हुई थी। अचानक एण्डरसन को न जाने क्या सूझा कि वह खेलते-खेलते अपनी मां के पास गया और मां का हाथ पकड़कर बैठक में ले गया और बोला, ‘‘मां! देखो! भैया के चेहरे पर बन्दूक की गोली लगी है और वह जमीन पर गिरकर मर चुके हैं।’’मां ने डांटा, ‘‘चल मूर्ख! ऐसी बुरी बात नहीं कहते।’’ पर एण्डरसन फिर भी वही बात दोहराता रहा। मां ने डांट फटकार कर किसी तरह चुप कराया, किन्तु इस घटना के दो-तीन दिन बाद ही कनाडा से तार आया कि 1 नवम्बर 1978 को गोली लगने से नेल्सन की मृत्यु हो गई। यह समाचार पढ़ते ही परिवार शोक-सागर में डूब गया और आश्चर्य भी कि एण्डरसन को इस घटना का पूर्वाभास किस तरह हो गया था।’’जब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था तो एण्डरसन ने घोषणा की कि ‘‘इस युद्ध में रूस और अमेरिका एक साथ मिलकर लड़ेंगे पर आगे दोनों में शत्रुता हो जायेगी। एण्डरसन ने जिस समय यह भविष्यवाणी की उस समय अमेरिका और रूस एक दूसरे के अभिन्न मित्र थे और मित्र राष्ट्र दोनों के संयुक्त शत्रु। इसलिये तब किसी ने भी एण्डरसन की इस बात पर विश्वास नहीं किया लेकिन उस समय सभी लोग विस्मित रह गए जब मित्र राष्ट्रों की सेनाओं से रूस और अमेरिका दोनों साथ-साथ मिलकर लड़े।राष्ट्रपति रूजवेल्ट के दिवंगत हो जाने तथा एक अमरीकी सेनापति के राष्ट्रपति बनने की उनकी भविष्य वाणियां भी सही सिद्ध हुयीं। रूजवेल्ट की शीघ्र ही मृत्यु होने की भविष्यवाणी उन्होंने इस प्रकार आकस्मिक की थी कि तब वे पूर्ण तरह से स्वस्थ थे। उन पर विश्वास करने वालों ने सहज ही पूछा, ‘क्या उनकी हत्या की जायगी?’ तो एण्डरसन ने कहा नहीं वे स्वास्थ्य खराब होने के कारण दिवंगत होंगे। कुछ दिनों बाद रूजवेल्ट सचमुच बीमार पड़े और साधारण सी बीमारी के झटके से ही चल बसे।’’ एक सेनापति के अमरीका का राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी भी उस समय सही सिद्ध हुई जब जनरल आइजनहावर जो मित्र देशों की सेना में अमेरिका के सेनापति थे बाद में राष्ट्रपति बने। इसी प्रकार उन्होंने भारत के स्वतन्त्र होने की भी भविष्यवाणी की जो सही निकली।युवावस्था बीतते-बीतते तक देश विदेश में उनकी बहुत ख्याति फैल गई। मई सन् 1945 में एक दिन वे अपने आप अमेरिकी समाचार पत्र ‘वाकर काउण्टी मैसेंजर’ के सम्पादक के पास गये और बोले—8 अगस्त को एक ऐसी घटना घटेगी, जिसमें जापान के साथ चल रहे युद्ध की स्थिति एकदम बदल जायगी और 18 अगस्त तक युद्ध विराम की घोषणा भी कर दी जायेगी। सम्पादक ने यह घटना नोट कर ली पर तब उन्हें सहसा विश्वास नहीं हुआ। किन्तु इसके पहले एण्डरसन की कई भविष्यवाणियां सही सिद्ध हो चुकी थीं सो उन्होंने इसकी भी परीक्षा करने के लिए अपने पास रख लिया 8 अगस्त ही वह क्रूर दिन था, जब हिरोशिमा पर बम गिराया गया और उसके फलस्वरूप एक लाख से भी अधिक व्यक्ति मारे गये। इस वज्रपात से जापान बुरी तरह लड़खड़ा गया। उसने आत्म समर्पण कर दिया और उसी के साथ 18 अगस्त को युद्ध विराम की घोषणा भी कर दी गयी।इसके बाद उन्होंने नीग्रोनेता मार्टिन लूथर किंग, राबर्ट कैनेडी की हत्या की भविष्यवाणी की जो शत प्रतिशत, समय और घटनाओं के साथ सही निकली। मार्टिन लूथर किंग की हत्या के लिए तो उन्होंने वारेन स्मिथ नामक एक प्रेस रिपोर्टर को 2 अप्रैल को ही लिख कर एक पत्र दे दिया था। उस पत्र में यद्यपि उसने नाम नहीं लिखा पर नीग्रोनेता का स्पष्ट अर्थ मार्टिन लूथर किंग से ही था। इसी प्रकार उन्होंने जब दुबारा फिर कहा कि एक और नीग्रोनेता की हत्या होगी, तब तो लोगों ने उसे बिल्कुल ही निराधार बताया किन्तु 22 जुलाई 1969 को जब स्व. मार्टिन लूथर किंग के भाई रेवरेड विलियम किंग का शव एक तालाब में तैरता पाया गया, तब लोगों को सच्चाई का पता चला।एण्डरसन का कथन है कि ‘‘आगामी समय संसार के लिए महा विनाशकारी सिद्ध होगा। एशिया का सबसे अधिक जन संख्या वाला देश (चीन) उत्पात शुरू करेगा और उसका सामना करने के लिए अमरीका तथा रूस को एक होना पड़ेगा। अरब राष्ट्रों सहित, मुस्लिम बहुल राज्यों में आपसी क्रान्तियां और भीषण रक्तपात होंगे। युद्ध और हिंसा का यह ताण्डव सन् 1980 के बाद निरन्तर बढ़ता ही जायगा इस बीच सभी देशों के राजनैतिक प्रधानों का अस्तित्व खतरे में रहेगा और उनका प्रभुत्व घटता हुआ चला जायगा।’’विनाश के साथ एण्डरसन ने ऐसे उज्ज्वल भविष्य का संकेत दिया है, जिसमें सब लोग सुख शान्ति से रहेंगे। वर्तमान भेद-भाव समाप्त होंगे और सब लोग एक परिवार की तरह एक शासन तन्त्र एवं एक समाज व्यवस्था के अन्तर्गत निवह करेंगे।