Books - गायत्री के चौदह रत्न
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Language: HINDI
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भूमिका
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गायत्री के 24 अक्षरों में धर्म, नीति, जीवन कला एवं लोक व्यवहार की बड़ी ही महत्वपूर्ण शिक्षा भरी हुई है। इस शिक्षा को भली प्रकार हृदयंगम कर लेने से वह उद्देश्य पूरा हो सकता है, जो वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति आदि पढ़ने से होता है। धर्म ग्रन्थों का उद्देश्य—मनुष्य के विचार, उद्देश्य, भाव लक्ष एवं दृष्टि-कोण को शुद्ध करना है। जिससे उसकी शारीरिक और मानसिक क्रियाएं सतोगुणी एवं धर्म संगत होने लगें।
यही प्रक्रिया गायत्री के अक्षरों में छिपी हुई महान शिक्षाओं को अपनाने से हो सकती है। इसलिए गायत्री को वेद-शास्त्रों का निचोड़, तत्व कहा गया है। जैसे गिलोय का थोड़ा सा सत्व खाने से, बहुत बड़ा गिलोय चखने का फल मिल जाता है वैसे ही गायत्री का मर्म अर्थ समझने से धर्म, ग्रन्थों का विशद अध्ययन करने का लाभ मिल सकता है। इस प्रथम भाग में ‘‘वरेण्यं’’ तक के पदों की विवेचना की जा रही है। दूसरे भाग में शेष पदों की व्याख्या की गई है। आशा है कि यह व्याख्या गायत्री प्रेमियों को उपयोगी सिद्ध होगी।
—श्रीराम शर्मा आचार्य
यही प्रक्रिया गायत्री के अक्षरों में छिपी हुई महान शिक्षाओं को अपनाने से हो सकती है। इसलिए गायत्री को वेद-शास्त्रों का निचोड़, तत्व कहा गया है। जैसे गिलोय का थोड़ा सा सत्व खाने से, बहुत बड़ा गिलोय चखने का फल मिल जाता है वैसे ही गायत्री का मर्म अर्थ समझने से धर्म, ग्रन्थों का विशद अध्ययन करने का लाभ मिल सकता है। इस प्रथम भाग में ‘‘वरेण्यं’’ तक के पदों की विवेचना की जा रही है। दूसरे भाग में शेष पदों की व्याख्या की गई है। आशा है कि यह व्याख्या गायत्री प्रेमियों को उपयोगी सिद्ध होगी।
—श्रीराम शर्मा आचार्य