Books - गीत संजीवनी-11
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
सजे दीपक के थाल
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
सजे दीपक के थाल, नया उल्लास समाया है।
नवयुग के अभिनन्दन का,यह अवसर आया है॥
गाँव- गाँव में नगर- नगर में, वन्दनवार बँधे।मंगल कलश सजे हैं देखो,जगमग दीप जले
नवयुग के अभिनन्दन की ही, यह तैयारी है।
युग- युग से हो रही प्रतीक्षा, जिसकी भारी है॥
चिर आशा ने, पलक- पाँवड़ा, आज बिछाया है।
वह नवयुग जो सद्भावों को, लेकर आएगा।वह नवयुग जो सदाचार की, गीता गायेगा॥
श्रम, सहयोग, स्नेह, समता सब, उसके संग होंगे।
त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, अद्भुत रंग होंगे॥
करुणा भरे हृदय का वैभव, उसने पाया है।
उच्च आस्था, विश्वासों का, होगा बल उसमें।सादा जीवन- उच्च विचारों, का संम्बल उसमें॥
नवयुग का अभिनन्दन करने, हम आगे आयें।
एक दीप अपना भी संग में, स्वागत को लायें॥
यह न कहे इतिहास कि कुछ भी, नहीं चढ़ाया है ।।
मुक्तक-
नयायुग आ रहा है, दीप स्वागत के जलायें हम।नवयुग के अनुरूप, स्वयं को भी बनायें हम॥
नया युग स्नेह, समता का, हमें सन्देश देता है।
नये निर्माण को कन्धे से कन्धे, को मिलायें हम॥
नवयुग के अभिनन्दन का,यह अवसर आया है॥
गाँव- गाँव में नगर- नगर में, वन्दनवार बँधे।मंगल कलश सजे हैं देखो,जगमग दीप जले
नवयुग के अभिनन्दन की ही, यह तैयारी है।
युग- युग से हो रही प्रतीक्षा, जिसकी भारी है॥
चिर आशा ने, पलक- पाँवड़ा, आज बिछाया है।
वह नवयुग जो सद्भावों को, लेकर आएगा।वह नवयुग जो सदाचार की, गीता गायेगा॥
श्रम, सहयोग, स्नेह, समता सब, उसके संग होंगे।
त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, अद्भुत रंग होंगे॥
करुणा भरे हृदय का वैभव, उसने पाया है।
उच्च आस्था, विश्वासों का, होगा बल उसमें।सादा जीवन- उच्च विचारों, का संम्बल उसमें॥
नवयुग का अभिनन्दन करने, हम आगे आयें।
एक दीप अपना भी संग में, स्वागत को लायें॥
यह न कहे इतिहास कि कुछ भी, नहीं चढ़ाया है ।।
मुक्तक-
नयायुग आ रहा है, दीप स्वागत के जलायें हम।नवयुग के अनुरूप, स्वयं को भी बनायें हम॥
नया युग स्नेह, समता का, हमें सन्देश देता है।
नये निर्माण को कन्धे से कन्धे, को मिलायें हम॥