Books - गीत संजीवनी-5
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Language: EN
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देवियाँ देश की जाग जायें
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देवियाँ देश की जाग जायें अगर,
युग स्वयं ही बदलता चला जायेगा।
शक्तियाँ जागरण गीत गायें अगर,
हर हृदय ही मचलता चला जायेगा॥
मूर्ति पुरुषार्थ में है सदाचार की,पूर्ति श्रम से सहज साध्य अधिकार की।
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर,
पति स्वयं ही बदलता चला जायेगा॥
छोड़ दें नारियाँ यदि गलत रूढ़ियाँ,तोड़ दें अन्धविश्वास की बेड़ियाँ।
नारियाँ दुष्प्रथायें मिटायें अगर,
दम्भ का दम निकलता चला जायेगा॥
धर्म का वास्तविक रूप हो सामने,धर्म गिरते हुओं को लगे थामने।
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर,
ज्ञान का दीप जलता चला जायेगा ॥
यह धरा स्वर्ग सी फिर सँवरने लगे,स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे।
देवियाँ दिव्य चिन्तन जगायें अगर,
हर मनुज देव बनता चला जायेगा॥
मुक्तक-
त्राहि कर उठी सभ्यता, वो नारी कल्याणी।भारतीय संस्कृति के नयनों का, मत खोओ पानी॥
सादा जीवन उच्च विचारों, की महिमा को जानो।
आदर की तुम पात्र हो बहिनों,अपने को पहचानो॥
युग स्वयं ही बदलता चला जायेगा।
शक्तियाँ जागरण गीत गायें अगर,
हर हृदय ही मचलता चला जायेगा॥
मूर्ति पुरुषार्थ में है सदाचार की,पूर्ति श्रम से सहज साध्य अधिकार की।
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर,
पति स्वयं ही बदलता चला जायेगा॥
छोड़ दें नारियाँ यदि गलत रूढ़ियाँ,तोड़ दें अन्धविश्वास की बेड़ियाँ।
नारियाँ दुष्प्रथायें मिटायें अगर,
दम्भ का दम निकलता चला जायेगा॥
धर्म का वास्तविक रूप हो सामने,धर्म गिरते हुओं को लगे थामने।
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर,
ज्ञान का दीप जलता चला जायेगा ॥
यह धरा स्वर्ग सी फिर सँवरने लगे,स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे।
देवियाँ दिव्य चिन्तन जगायें अगर,
हर मनुज देव बनता चला जायेगा॥
मुक्तक-
त्राहि कर उठी सभ्यता, वो नारी कल्याणी।भारतीय संस्कृति के नयनों का, मत खोओ पानी॥
सादा जीवन उच्च विचारों, की महिमा को जानो।
आदर की तुम पात्र हो बहिनों,अपने को पहचानो॥