Books - गीत संजीवनी-6
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Language: HINDI
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ओ बहिनों माताओं आओ
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ओ बहिनों माताओं आओ
ओ बहिनों माताओं आओ- आओ कलश धरो।
अपना सुख सौभाग्य जगाने, आओ भ्रमण करो॥
-आओ मिलकर कलश धरो॥
मुख में विष्णु, कंठ में शंकर, तल में ब्रह्मा शक्ति भरे।
सप्तद्वीपमय वसुन्धरा सब, सिन्धु वेद भी वास करे॥
जीवन धन्य बनाने आओ, आओ कलश धरो।
दुर्गा शक्ति जगाने आओ, आओ कलश धरो॥
सतियों का अक्षत सुहाग हो, माताओं की गोद भरे।
घर- वर श्रेष्ठ मिले कन्या को, जो भी सिर पर कलश धरे॥
सब मिल भाग्य जगाओ अपना, आओ कलश धरो।
अपना सुख सौभाग्य जगाने, आओ कलश धरो॥
शान्ति विश्व में फैलायें सब, मानव का उद्धार करें।
नगर- नगर में,डगर- डगर में, प्रज्ञा का संचार करें॥
नवयुग का आमंत्रण देने, आओ कलश धरो।
माँ सीता, सावित्री आओ, जन उत्साह भरो॥
नारी शक्ति महान जगत की, यह सबको दिखलाना है।
लिए संदेशा नये सृजन का, द्वार- द्वार पर जाना है॥
युग धारा से जुड़ो देवियों, नवयुग सृजन करो।
अपनी सोई शक्ति जगाओ, युग निर्माण करो॥
मुक्तक-
बुला रहें हैं कलश देवता, मातृशक्तियों आगे आओ।
धारण करके इन्हें शीश पर, अपना सुख सौभाग्य बढ़ाओ॥
ओ बहिनों माताओं आओ- आओ कलश धरो।
अपना सुख सौभाग्य जगाने, आओ भ्रमण करो॥
-आओ मिलकर कलश धरो॥
मुख में विष्णु, कंठ में शंकर, तल में ब्रह्मा शक्ति भरे।
सप्तद्वीपमय वसुन्धरा सब, सिन्धु वेद भी वास करे॥
जीवन धन्य बनाने आओ, आओ कलश धरो।
दुर्गा शक्ति जगाने आओ, आओ कलश धरो॥
सतियों का अक्षत सुहाग हो, माताओं की गोद भरे।
घर- वर श्रेष्ठ मिले कन्या को, जो भी सिर पर कलश धरे॥
सब मिल भाग्य जगाओ अपना, आओ कलश धरो।
अपना सुख सौभाग्य जगाने, आओ कलश धरो॥
शान्ति विश्व में फैलायें सब, मानव का उद्धार करें।
नगर- नगर में,डगर- डगर में, प्रज्ञा का संचार करें॥
नवयुग का आमंत्रण देने, आओ कलश धरो।
माँ सीता, सावित्री आओ, जन उत्साह भरो॥
नारी शक्ति महान जगत की, यह सबको दिखलाना है।
लिए संदेशा नये सृजन का, द्वार- द्वार पर जाना है॥
युग धारा से जुड़ो देवियों, नवयुग सृजन करो।
अपनी सोई शक्ति जगाओ, युग निर्माण करो॥
मुक्तक-
बुला रहें हैं कलश देवता, मातृशक्तियों आगे आओ।
धारण करके इन्हें शीश पर, अपना सुख सौभाग्य बढ़ाओ॥