Books - गीत संजीवनी-8
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बदल दो जमाना
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बदल दो जमाना धरा जगमगाओ।
पसीना बहा, धूल सोना बनाओ॥
घृणा को घृणा से, कठिन जीत पाना।कठिन बैर को, बैर से जीत पाना॥
कठिन है बहुत राह, इस जिन्दगी की।
बनाओ इसे तुम, सुकोमल बनाओ॥
बहुत ही सरल है, उठे को गिराना।बहुत ही सरल है, बने को मिटाना॥
सरल है नहीं, किन्तु निर्माण करना।
अगर कर सको तो इसे कर दिखाओ॥
खड़े मौन क्यों? शक्ति अपनी दिखाओ।न नाचो स्वयं, विश्व को तुम नचाओ॥
कि संसार को है, तुम्हारी जरुरत।
हटो तुम न पीछे, नहीं मुँह छिपाओ॥
बदल जायेगा युग, इशारा बहुत है।समय को तुम्हारा, सहारा बहुत है॥
कि यों बाहुओं को, समेटो नहीं तुम।
बढ़ाओ उन्हें, भार जग का उठाओ॥
चले सोचकर, यह जवानी नहीं है।कभी सोचती, आग पानी नहीं है॥
जवानी कभी, सिर झुकाती नहीं है।
इसे याद रक्खो, नहीं भूल जाओ॥
पसीना बहा, धूल सोना बनाओ॥
घृणा को घृणा से, कठिन जीत पाना।कठिन बैर को, बैर से जीत पाना॥
कठिन है बहुत राह, इस जिन्दगी की।
बनाओ इसे तुम, सुकोमल बनाओ॥
बहुत ही सरल है, उठे को गिराना।बहुत ही सरल है, बने को मिटाना॥
सरल है नहीं, किन्तु निर्माण करना।
अगर कर सको तो इसे कर दिखाओ॥
खड़े मौन क्यों? शक्ति अपनी दिखाओ।न नाचो स्वयं, विश्व को तुम नचाओ॥
कि संसार को है, तुम्हारी जरुरत।
हटो तुम न पीछे, नहीं मुँह छिपाओ॥
बदल जायेगा युग, इशारा बहुत है।समय को तुम्हारा, सहारा बहुत है॥
कि यों बाहुओं को, समेटो नहीं तुम।
बढ़ाओ उन्हें, भार जग का उठाओ॥
चले सोचकर, यह जवानी नहीं है।कभी सोचती, आग पानी नहीं है॥
जवानी कभी, सिर झुकाती नहीं है।
इसे याद रक्खो, नहीं भूल जाओ॥