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भावी विभीषिकायें और उनका प्रयोजन
महाकाल और उनका रौद्र रूप
त्रिपुरारी महाकाल द्वारा तीन महादैत्यों का उन्मूलन
शिव का तृतीय नेत्रोन्मीलन और काम-कौतुक की समाप्ति
दशम अवतार और इतिहास की पुनरावृत्ति
सहस्त्र शीर्षा पुरुषा
ध्वंस के देवता और सृजन की देवी
उद्धत दक्ष की मूर्खता और सती की आत्महत्या
रावण का असीम आतंक अन्तत: यों समाप्त हुआ
भगवान परशुराम द्वारा कोटि-कोटि अनाचारियों का शिरच्छेद
भागीरथों और शुनिशेपों की खोज
आज की सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता और लोक-सेवा
अपना परिवार-उच्च आत्माओं का भाण्डागार
विशेष प्रयोजन के लिये, विशिष्ट आत्माओं का विशेष अवतरण
दो में से एक का चुनाव
हम बदलें तो युग बदले
भावी देवासुर संग्राम और उसकी भूमिका
भावनात्मक परिवर्तन का एक मात्र प्रयोग साधन
देवत्व के जागरण की सौम्य साधना पद्धति
स्थूल शरीर का परिष्कार-कर्मयोग से
सूक्ष्म शरीर का उत्कर्ष-ज्ञान योग से
ज्ञान-योग से जन-मानस का परिष्कार
हम मनस्वी और आत्म-बल सम्पन्न बनें
कारण शरीर में-परमेश्वर की प्रतिष्ठापना
कसौटी के लिए तैयार रहें
शुद्ध धर्म-तंत्र का अस्त्र संधान
विभूतियों का आह्वान
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महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया
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भावी विभीषिकायें और उनका प्रयोजन
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