Tuesday 10, December 2024
शुक्ल पक्ष दशमी, मार्गशीर्ष 2024
पंचांग 10/12/2024 • December 10, 2024
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), मार्गशीर्ष | दशमी तिथि 03:43 AM तक उपरांत एकादशी | नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 01:30 PM तक उपरांत रेवती | व्यातीपात योग 10:02 PM तक, उसके बाद वरीयान योग | करण तैतिल 04:54 PM तक, बाद गर 03:43 AM तक, बाद वणिज |
दिसम्बर 10 मंगलवार को राहु 02:41 PM से 03:57 PM तक है | चन्द्रमा मीन राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:06 AM सूर्यास्त 5:13 PM चन्द्रोदय 1:27 PM चन्द्रास्त 2:22 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु हेमंत
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - मार्गशीर्ष
- अमांत - मार्गशीर्ष
तिथि
- शुक्ल पक्ष दशमी - Dec 10 06:02 AM – Dec 11 03:43 AM
- शुक्ल पक्ष एकादशी - Dec 11 03:43 AM – Dec 12 01:09 AM
नक्षत्र
- उत्तरभाद्रपदा - Dec 09 02:56 PM – Dec 10 01:30 PM
- रेवती - Dec 10 01:30 PM – Dec 11 11:48 AM
महर्षि जमदग्नि के पास एक कामधेनु थी जिसको कीर्ति ने लेना चाहा तथा महर्षि जी का वध कर दिया। इस बात पर से जमदग्नि के पुत्र परशुराम जी ने महावली कीर्ति वीर्य की सेना का संहार किया एवं क्षत्रियों के नाश पर तुल गये। इस उपयुक्त वर्णन से सिद्ध होता है कि गौ के कारण आर्य महर्षियों और ब्राह्मणों को घोर युद्ध करना पड़ा था। यह वार्ता गोरक्षा के महत्व को भली भाँति प्रकट करती है।
रामचन्द्रजी के गुरु श्री वशिष्ठ जी के पास एक कामधेनु गौ थी, राजर्षि विश्वामित्र द्वारा महर्षिजी की कामधेनु को बल पूर्वक हड़पने का प्रयत्न किया गया परन्तु महर्षि के क्रोध से एक भयंकर सेना ने उद्भव होकर विश्वामित्र राजा की सेना को परास्त किया। इसमें सिद्ध है कि गौ को छीनने पर घोर युद्ध होता था।
महाराज दलीप के कोई सन्तान न थी । राजा तथा रानी गुरु वशिष्ठ की आशा से गायों को वन में चराते थे। एक बार हिंसक सिंह ने गाय पर आक्रमण किया। सिंह भूखा था तथा माँसाहार से ही उसकी क्षुधा शान्त होती है अतएव राजा ने स्वयं सामने होकर उनके माँस को खाकर सिंह से भूख शान्त का निवेदन किया। हिंसक पशु भी पसीजा तथा गौ भक्ति को देखकर पीछे पैर लौट गया। इससे सिद्ध है कि भारतीय सम्राट गौ रक्षा हेतु अपने प्राण तक समर्पण करने को तैयार रहते थे।
भारतवर्ष में गुरु नानक, गोविन्द सिंह, बन्दा वैरागी, शिवाजी, राणाप्रताप विशेष रूप से गौ भक्त हुये हैं। सम्राट अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के समय में भी गोघात करने वाला प्राणी दण्ड का भागी होता था।
वेदों में गौ के लिये 171 जगह “श्रधन्यों” शब्द आया है जिसका अर्थ = न मारने योग्य है। चारों वेदों में सैकड़ों मन्त्र गौओं की महिमा के आये हैं यथाः= पशुन् पाहि, गाय महिसीः अजाँ मा हिन्सीः अर्वि माहिन्सीः इमंमाहिन्सी र्द्धपाँद पशु, मा हिग्सीरेक सफं पशु। अर्थात् पशुओं की रक्षा करो। गाय, बकरी भेड़ को न मारो, मनुष्य और द्वपिद पक्षिओं को मत मारो। एक खुर वाले घोड़े गधे को न मारो पुनः अथर्ववेद- 9/6/9 में लिखा है कि एतइदवाउ स्वादपि य दघि गंवक्षीरं व माँस व । तदेव नाश्नीयात॥ अर्थात् गाय का दूध, दधि ओर घी खाने योग्य है। माँस नहीं। ऋग्वेद 8/4/18 में हैं कि जो राक्षस, मनुष्य का घोड़े का और गाय का माँस खाता हो तथा दूध की चोरी करता हो उसके सिर को कुचल देना चाहिए। ऋग्वेद 8/101/15 “के मन्त्र माता रुद्राणाँ । दुहिता वसूना” में गो को मारने की मनाही की गई है। अथर्ववेद 101/29 में= अमा गो हत्या वे मीसा कृत्ये मा नो गामश्वं पुरुष वर्धाः अर्थात् हे क्रूर स्त्री तू गौ, घोड़े पुरुष की हत्या न कर । यजुर्वेद ग॰ 30 मन्त्र 18 में है कि अन्तदाय गौ घात गौ घाती का प्राणदण्ड दो।
भगवान रामचन्द्र जी के अवतार के कारणों पर प्रकाश डालते हुए रामायण में गोस्वामी तुलसीदास जी कहा है-विप्र धेनु, सुर सन्त हित लीन्ह मनुज अवतार।
देश हित देशोन्नति, देशवृद्धि तथा देश को उच्च बनाने के हेतु गो रक्षा को महत्व देना अत्यावश्यक है। गौ हमारे देश की सम्पत्ति है इसी के द्वारा हमें अन्न तथा दूध की प्राप्ति होती है। भारत माता को स्वाधीन करा लेने के उपरान्त जनता का ध्यान अब गोमाता के प्राण बचाने के लिए भी जाना आवश्यक है। इस धार्मिक देश के स्वतंत्र होने पर भी गौ वध होना एक कलंक की बात है।
अखण्ड ज्योति 1950 अप्रैल पृष्ठ 26
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
मृतवाणी:- श्रद्धा और विश्वास : श्रद्धा और अंधश्रद्धा में अंतर: भाग 3 |
परम श्रद्धेया शैल जीजी के अवतरण दिवस एवं गीता जयंती पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ
मातृ तुल्य, स्नेह स्वरूपा, करुणा की अवतार हो |
Aniti Ka Pratirodh Jaruri |
सुझाव देने से पूर्व सोचो, Sujhav Dene Se Purva Socho
Aap Udar Aur Sevabhavi Bane
अमृतवाणी:- हर दिन नया जन्म हर दिन नई मौत | Har Din Naya Janam Aur Mout
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
आज का सद्वाक्य
नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 10 December 2024 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
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परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
हम अपना व्यक्तित्व बढ़ाएं बस यह सबसे बड़ा करने के लिए काम है समाज की सेवा करेंगे हां ठीक है वो भी आपको करनी चाहिए पर मैं यह कहता हूं कि समाज की सेवा से भी पहले ज्यादा महत्वपूर्ण इस बात को आप यह समझे कि हमको अपनी क्वालिटी बढ़ानी है कोयले और हीरे में रासायन दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं है कोयला कोयले का ही प्रतिष्ठित रूप हीरा है खनिज में से जो धातुएं निकलती हैं कच्ची होती हैं लेकिन जब पका करके ठीक कर ली जाती है और साफ-सुथरी बना ली जाती हैं तो उन्ही धातुओं का नाम स्वर्ण शुद्ध स्वण हो जाता है हम अपने आप की सफाई करें अपने आपको धोएं अपने आप को प्रतिष्ठित करें इतना कर सकना अगर हमारे लिए संभव हो जाए तो समझना चाहिए आपका इस्तेमाल पूरा हो गया है तो हम क्या करें नहीं क्या यह करें कि आप अच्छे बने समाज सेवा हां समाज सेवा भी करना पर समाज से सेवा करने से पहले यह आवश्यक है कि हम समाज सेवा के लायक हथियार तो अपने अपने आपको बना ले ज्यादा अच्छा है हम अपने आप में सफाई कर ले समाज सेवा भी करें पर अपने आप की सफाई को भूल ना जाए |
अखण्ड-ज्योति से
सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें-- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण-- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा-- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।
जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो…जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो , तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।
किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही। तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।
तो जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें उसे।
एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो बिना किसी कारण के।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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