Saturday 29, March 2025
कृष्ण पक्ष अमावस्या, चैत्र 2025
पंचांग 29/03/2025 • March 29, 2025
चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), फाल्गुन | अमावस्या तिथि 04:27 PM तक उपरांत प्रतिपदा | नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 07:26 PM तक उपरांत रेवती | ब्रह्म योग 10:03 PM तक, उसके बाद इन्द्र योग | करण नाग 04:27 PM तक, बाद किस्तुघन 02:39 AM तक, बाद बव |
मार्च 29 शनिवार को राहु 09:18 AM से 10:50 AM तक है | चन्द्रमा मीन राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 6:14 AM सूर्यास्त 6:29 PM चन्द्रोदय 5:56 AM चन्द्रास्त 6:36 PM अयन उत्तरायण द्रिक ऋतु वसंत
- विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - चैत्र
- अमांत - फाल्गुन
तिथि
- कृष्ण पक्ष अमावस्या
- Mar 28 07:55 PM – Mar 29 04:27 PM
- शुक्ल पक्ष प्रतिपदा
- Mar 29 04:27 PM – Mar 30 12:49 PM
नक्षत्र
- उत्तरभाद्रपदा - Mar 28 10:09 PM – Mar 29 07:26 PM
- रेवती - Mar 29 07:26 PM – Mar 30 04:35 PM

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गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन







आज का सद्चिंतन (बोर्ड)




आज का सद्वाक्य




नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
ये मशीन हमारे सामने रखी है, इसमें दो तार हैं। एक निगेटिव कहलाता है, एक पाजिटिव कहलाता है। ठंडे-गरम रहते हैं, ये दोनों मिल जाते हैं, करंट चालू हो जाता है। दोनों को अलग कर देते हैं, एक तार बेकार पड़ा हुआ है, दूसरा भी बेकार पड़ा हुआ है, काम आता नहीं। शरीर को हम अलग कर दें, मन को हम अलग कर दें, दोनों का समन्वय न करें। जो भी काम होंगे हमारे, सब बेसिरे और बेहूदे काम होंगे। इसी में से एक काम है भजन। भजन के अलावा कुछ नहीं। बिना मन का किया हुआ भजन और मन से किए हुए भजन में जमीन आसमान का फर्क है। बिना मन का भजन किया और कैसा है? जैसे कि आपका है और हमारा है। बिना मन केवल क्रिया, केवल क्रिया, केवल क्रिया, केवल जबान की नोक की लपालपी। केवल जबान की नोक की लपालपी, हाथों की अंगुलियों की हेराफेरी, चावल यहाँ रख दिया, नमस्कारम करोमि, इधर का उधर, इधर का उधर, हाथ को उधर दबा दिए, ये कर दिया, हाथों की हेराफेरी, वस्तुओं की उल्टा-उल्टी और जीभ की लपालपी हो गया।
भजन हो गया? हो गया? अनुष्ठान हो गया? हो गई साधना? हो गई नहीं, बेटे कुछ नहीं हुई। ये केवल शारीरिक क्रिया हुई है। शरीर की क्रियाओं का जो फल मिलना चाहिए, मात्र शारीरिक क्रियाओं का, उससे ज्यादा कोई फल मिल नहीं सकता। फल अगर आपको प्राप्त करना हो, चमत्कार अगर देखने का हो, सात साधना से सिद्धि पर जो बात बताई गई है, वो करना हो, तो आपको पहला काम करना पड़ेगा। आपको अपने काम में मन लगाइए। कोई भी चीज हो, और उसमें भजन भी हो, मन लगाने वाली बात आपको मन लगाने वाली बात करनी पड़ेगी। भजन के साथ मन लगाना चाहिए। मन लगाने से क्या मतलब है? मन लगाने से मतलब, बेटे, हमारा ये है कि मन भागना नहीं चाहिए और उपासना में मन लगना चाहिए।
अखण्ड-ज्योति से
भगवान से प्रार्थना कीजिये, याचना नहीं। आपकी स्थिति ऐसी नहीं कि कमजोरियों के कारण किसी का मुँह ताकना पड़े और याचना के लिए हाथ फैलाना पड़े।
प्रार्थना कीजिये कि आपका प्रसुप्त आत्मबल जाग्रत् हो चले ।। प्रकाश का दीपक जो विद्यमान है, वह टिमटिमाये नहीं वरन् रास्ता दिखाने की स्थिति में बना रहे। मेरा आत्मबल मुझे धोखा न दे। समग्रता में न्यूनता का भ्रम न होने दे।
जब परीक्षा लेने और शक्ति निखारने हेतु संकटों का झुण्ड आये, तब मेरी हिम्मत बनी रहे और जूझने का उत्साह भी। लगता रहे कि यह बुरे दिन अच्छे दिनों की पूर्व सूचना देने आये हैं।
प्रार्थना कीजिये की हम हताश न हों, लड़ने की सामर्थ्य को पत्थर पर घिसकर धार रखते रहें। योद्धा बनने की प्रार्थना करनी है, भिक्षुक बनने की याचना नहीं। जब अपना भिक्षुक मन गिड़गिड़ाये, तो उसे दुत्कार देने की प्रार्थना भी भगवान् से करते रहें।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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