Wednesday 08, January 2025
शुक्ल पक्ष नवमी, पौष 2025
पंचांग 08/01/2025 • January 08, 2025
पौष शुक्ल पक्ष नवमी, पिंगल संवत्सर विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), पौष | नवमी तिथि 02:26 PM तक उपरांत दशमी | नक्षत्र अश्विनी 04:29 PM तक उपरांत भरणी | सिद्ध योग 08:23 PM तक, उसके बाद साध्य योग | करण कौलव 02:26 PM तक, बाद तैतिल 01:24 AM तक, बाद गर |
जनवरी 08 बुधवार को राहु 12:24 PM से 01:40 PM तक है | चन्द्रमा मेष राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 7:18 AM सूर्यास्त 5:29 PM चन्द्रोदय 12:35 PM चन्द्रास्त 2:27 AM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतु शिशिर
V. Ayana उत्तरायण
- विक्रम संवत - 2081, पिंगल
- शक सम्वत - 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत - पौष
- अमांत - पौष
तिथि
- शुक्ल पक्ष नवमी - Jan 07 04:27 PM – Jan 08 02:26 PM
- शुक्ल पक्ष दशमी - Jan 08 02:26 PM – Jan 09 12:22 PM
नक्षत्र
- अश्विनी - Jan 07 05:50 PM – Jan 08 04:29 PM
- भरणी - Jan 08 04:29 PM – Jan 09 03:07 PM
भगवान की दी हुई तीन चीजें | Bhagwan Ki Di Hui Teen Chije
Ganesh Gayatri Mantra | एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि | Om Ekadantaya Vidmahe
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन
आज का सद्चिंतन (बोर्ड)
आज का सद्वाक्य
नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन
!! आज के दिव्य दर्शन 08 January 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!
!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
परिवार में रहकर के भी एक कैदी के तरीके से आप रहें; दूसरे लोगों में दिलचस्पी न लें, ये उससे भी बुरी बात है। आप रोटी तो खा लें, लेकिन अपने कुटुंबियों के बारे में ये न ख्याल करें, इनका विकास कैसे होना चाहिए और इनके बारे में क्या हमारे फर्ज और कर्त्तव्य हैं, बुरी बात है। अगर आप जब तक उनके लोगों के बीच में दिलचस्पी लेना शुरू नहीं करेंगे, तब तक आपका स्वयं का व्यक्तित्व का विकास भी संभव नहीं है। एकाकी रहिए; भले-से गुफा में चले जाइए; जंगल में रहिए; जेलखाने में चले जाइए; कालकोठरी में बंद हो जाइए; फाँसीघर में चले जाइए; जहाँ भी रहिए। अथवा कुटुंब में आप इस तरीके से रहिए, जिससे आपने खाना खा लिया और कपड़ा पहन लिया; चारपाई पर सो गए; सबेरे उठ करके बाहर चले गए; जिसमें घर में कौन रहते हैं, कौन नहीं रहते हैं? किसको किस चीज की जरूरत है? किसको किस चीज की आवश्यकता है? किसकी भावसंवेदनाओं को ऊँचा उठाने में आपकी क्या जिम्मेदारी है? अगर आप इसको नहीं ख्याल करते तो आपका घर रहना, न रहना बराबर है।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
पूर्वकालीन ऋषि मुनियों ने भी उच्च स्तरीय अध्यात्म में सहसा छलाँग नहीं लगाई। उन्होंने भी अभ्यास द्वारा पहले अपने बाह्य जीवन को ही परिष्कृत किया और तब क्रम क्रम से उस आत्मिक जीवन में उच्च साधना के लिये पहुँचे थे। इस नियम का-कि पहले बाह्य जीवन में व्यावहारिक अध्यात्म का समावेश करके उसे सुख शान्तिमय बनाया जाय।
इस प्रसंग में जो भी पुण्य परमार्थ अथवा पूजा उपासना अपेक्षित हो उसे करते रहा जाये। लौकिक जीवन को सुविकसित एवं सुसंस्कृत बना लेने के बाद ही आत्मिक अथवा अलौकिक जीवन में प्रवेश किया जाय-उल्लंघन करने वाले कभी सफलता के अधिकारी नहीं बन सकते। लौकिक जीवन की निकृष्टता आत्मिक जीवन के मार्ग में पर्वत के समान अवरोध सिद्ध होती है।
अध्यात्म मानव जीवन के चरमोत्कर्ष की आधार शिला है, मानवता का मेरुदण्ड है। इसके अभाव में असुखकर अशान्ति एवं असन्तोष की ज्वालाएँ मनुष्य को घेरे रहती है। मनुष्य जाति की अगणित समस्याओं को हल करने और सफल जीवन जीने के लिये अध्यात्म से बढ़कर कोई उपाय नहीं है। पूर्वकाल में, जीवन में सुख समृद्धियों के बहुतायत के कारण जिस युग को सतयुग के नाम से याद किया जाता है, उसमें और कोई विशेषता नहीं थी-यदि विशेषता थी तो यह कि उस युग के मनुष्यों का जीवन अध्यात्म की प्रेरणा से ही अनुशासित रहता था। आज उस तत्व की उपेक्षा होने से जीवन में चारों ओर अभाव, अशान्ति और असन्तोष व्याप्त हो गया है और इन्हीं अभिशापों के कारण ही आज का युग कलियुग के कलंकित नाम से पुकारा जाता है।
अपने युग का यह कलंक आध्यात्मिक जीवन पद्धति अपनाकर जब मिटाया जा सकता है तो क्यों न मिटाया जाना चाहिये? मिटाया जाना चाहिये और अवश्य मिटाया जाना चाहिये। अपने युग को लाँछित अथवा यशस्वी बनाना उस युग के मनुष्यों पर ही निर्भर है, तब क्यों न हम सब जीवन में आध्यात्मिक पद्धति का समावेश कर अपने युग को भी उतना ही सम्मानित एवं स्मरणीय बना दें, जितना कि सतयुग के मनुष्यों ने अपने आचरण द्वारा अपने युग को बनाया था?
.... क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति जनवरी 1969 पृष्ठ 10
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