देव संस्कृति विश्वविद्यालय में ग्रामीण स्वावलम्बन कार्यशाला
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देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 4 एवं 5 मई की तिथियों में ग्रामीण स्वावलम्बन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। विषय विशेषज्ञ पद्मश्री श्रीभारतभूषण त्यागी जी, श्री अमित त्यागी जी, श्री अजय सैनी जी ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। इसमें विभिन्न राज्यों से आए 250 से अधिक विषय विशेषज्ञ, शिक्षक,ग्रामीण परिजन और शोधार्थियों ने ग्रामीण स्वावलम्बन के क्षेत्र यथा जैविक कृषि, वर्मी कम्पोस्ट, मधुमक्खी पालन और देशी गौवंश संरक्षण जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर अपने अनुभव और विचार साझा किये।
कार्यशाला का शुभारंभ देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन एवं ग्राम प्रबंधन विभाग प्रमुख डॉ. टेक चंद्र शर्मा जी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने विश्वविद्यालय के लक्ष्य और योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि शान्तिकुञ्ज और देव संस्कृति विश्वविद्यालय परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी के जन्म एवं अखण्ड दीप के शताब्दी वर्ष-2026 की कार्ययोजना के अंतर्गत ग्रामीण स्वावलम्बन को प्रोत्साहित कर रहा है। हर खाली हाथ को काम मिले, यही हमारे प्रयास हैं।
इस कार्यशाला में पद्मश्री भारतभूषण त्यागी ने ‘जैविक कृषि :अवसर एवं सीमाएँ’ विषय पर विस्तृत जानकारी दी। वर्मी कंपोस्ट एवं जैविक उत्पाद विषय पर श्री अमित त्यागी ने, मधुमक्खी पालन पर श्री अजय सैनी ने, गौवंश संवर्धन के लिए डॉ. अरूण कुमार सिंह ने महत्त्वपूर्ण मागदर्शन किया। विभागाध्यक्ष डॉ टीसी शर्मा, डॉ. सी.एम. शुक्ला, श्री सूर्यनाथ यादव, श्री चंदन श्रीवास, श्रीमती कविता भगत आदि ने भी संबोधित किया।
प्रशिक्षण केन्द्र खोलेंगे
कार्यशाला का समापन कुलपति श्री शरद पारधी जी की उपस्थिति में सम्पन्न सत्र के साथ हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत का संपूर्ण विकास गाँवों के विकास पर निर्भर है। गाँवों में विकास की धारा बहेगी, तो युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्वावलंबन एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाने की योजना है। इन केन्द्रों में मधुमक्खी पालन, गौपालन, फल संरक्षण के संबंध में ग्रामीणों एवं युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा।