Magazine - Year 1951 - Version 2
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Language: HINDI
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गायत्री अंक के पाठकों से निवेदन
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गायत्री महाविद्या के अन्वेषण में लगभग दो हजार धर्म ग्रन्थों का अनुशीलन करके तथा चौबीस-चौबीस लक्ष के चौबीस पुरश्चरण करके व्यक्तिगत रूप से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि गायत्री की उपासना निश्चित रूप से आशाजनक परिणाम उत्पन्न करती है। अनेक अन्य गायत्री उपासकों से भी हमारा परिचय एवं सम्बन्ध है, उनको माता का आश्रय लेने से जो लाभ हुए हैं। उनकी विस्तृत जानकारी होने के कारण हमारी श्रद्धा वेदमाता के प्रति और भी अधिक बढ़ी है। मनुष्य की उलझी हुई व्यक्तिगत तथा समाज की समस्याओं को सुलझाने में गायत्री का माध्यम हमें सर्वश्रेष्ठ प्रतीत होता है।
अपनी इस श्रद्धा, मान्यता और भावना के कारण हमारी प्रकट इच्छा है कि गायत्री का अधिकाधिक प्रचार हो। लोग इस महाशक्ति का परिचय प्राप्त करे, उपयोग करे और लाभ उठायें, अतएव यह गायत्री अंक प्रस्तुत किया गया है। हर साल गायत्री जयन्ती के उपलक्ष में जुलाई का अंक गायत्री अंक निकालते रहने का मिश्रण किया गया है।
इस अंक के लिए जितने अनुभव आये थे उनमें से आधे से अधिक बचे हुए रखे हैं। इतने सीमित पृष्ठों में वे छापे जा सकें। इसलिए ऐसा मिश्रण किया गया है कि अंक में छपे हुए तथा बचे हुए सभी अनुभवों को पुस्तकाकार छाप दिया जाय, जिससे पढ़ने वालों को गायत्री साधना के लिए उत्साह बढ़े।
जिन सज्जनों को गायत्री साधना से सत्परिणाम मिले हों तथा किन्हीं अन्य गायत्री साधकों के उत्साह वर्धक वृत्तान्त मालूम हों तो उन्हें लिख भेजने की कृपा करें ताकि बढ़िया कागज पर छपी रंगीन जिल्द की उन सुन्दर नई पुस्तकों उन अनुभवों को भी छापा जा सके। अभी निम्न पुस्तकें छपेगी-
(1) गायत्री साधना से आध्यात्मिक लाभ।
(2) गायत्री द्वारा सुख, समृद्धि, उन्नति और सफलता।
(3) गायत्री द्वारा अनेक कष्ट और कठिनाइयों का निवारण।
(4) महिलाओं द्वारा गायत्री साधना के सत्परिणाम।
अनुभवों के साथ फोटो भी छापे जायेंगे इसलिए आधे शरीर के साफ वाले (धुँधले नहीं) फोटो भेजने का भी प्रयत्न करना चाहिए। पुस्तकें छपना शीघ्र ही आरम्भ होगी। इसलिए अनुभव और फोटो जुलाई मास के भीतर भी आ जाने चाहिएं देर से आने वाले लेखों का पुस्तकों में समावेश न हो सकेगा।
इस अंक के पाठकों से प्रार्थना है कि वे गायत्री की उपयोगिता का परीक्षण करके देखें, थोड़ी सी साधना से भी अन्तः भूमि में आशाजनक शक्ति संचार होता हुआ अनुभव होगा। जो सज्जन स्वयं उपासना में प्रवृत्त हैं वे दूसरों को इस मार्ग में प्रवृत्त करें। गायत्री का अधिकाधिक लोगों में प्रसार करना एक ऐसा आध्यात्मिक पुण्य है जिसकी तुलना में अन्य सभी पुण्य हल्के बैठते हैं।
-श्रीराम शर्मा आचार्य
भाग 2 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक 6