• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • निर्माण के हम गीत गाएँ
    • निर्माण के हम गीत गाएँ (kavita)
    • अध्यात्मवाद और हमारी सामाजिक दुर्बलता
    • आत्म-ज्ञान द्वारा सच्चे सुख की प्राप्ति
    • स्वार्थ-भाव को मिटाने का व्यवहारिक उपाय
    • गृहस्थ में रहकर ही मुक्ति प्राप्त कीजिये
    • संसार की वर्तमान परिस्थिति और वेदान्त
    • क्या हम फिर जन्म न लेंगे?
    • भावनायोग द्वारा दिव्य दृष्टि
    • मन की अपार सामर्थ्य
    • Quotation
    • ध्यान और प्रार्थना से आत्म विकास
    • ईश्वर प्राप्ति के दस वेदोक्त साधन
    • क्या सन् 1962 में विश्वयुद्ध की आग भड़केगी
    • गुरु के द्वारा आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति
    • Quotation
    • भारतीय योग की अलौकिक सिद्धियाँ
    • देश-विदेश के योगियों के अद्भुत चमत्कार
    • मन्त्र शक्ति का अद्भुत चमत्कार
    • मानसिक बल और उसका विकास
    • Quotation
    • उज्ज्वल भविष्य का शुभ चिन्ह
    • Quotation
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • निर्माण के हम गीत गाएँ
    • निर्माण के हम गीत गाएँ (kavita)
    • अध्यात्मवाद और हमारी सामाजिक दुर्बलता
    • आत्म-ज्ञान द्वारा सच्चे सुख की प्राप्ति
    • स्वार्थ-भाव को मिटाने का व्यवहारिक उपाय
    • गृहस्थ में रहकर ही मुक्ति प्राप्त कीजिये
    • संसार की वर्तमान परिस्थिति और वेदान्त
    • क्या हम फिर जन्म न लेंगे?
    • भावनायोग द्वारा दिव्य दृष्टि
    • मन की अपार सामर्थ्य
    • Quotation
    • ध्यान और प्रार्थना से आत्म विकास
    • ईश्वर प्राप्ति के दस वेदोक्त साधन
    • क्या सन् 1962 में विश्वयुद्ध की आग भड़केगी
    • गुरु के द्वारा आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति
    • Quotation
    • भारतीय योग की अलौकिक सिद्धियाँ
    • देश-विदेश के योगियों के अद्भुत चमत्कार
    • मन्त्र शक्ति का अद्भुत चमत्कार
    • मानसिक बल और उसका विकास
    • Quotation
    • उज्ज्वल भविष्य का शुभ चिन्ह
    • Quotation
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1959 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


देश-विदेश के योगियों के अद्भुत चमत्कार

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 17 19 Last
(श्री. कर्मपूजन वानप्रस्थी)

योगियों और महात्माओं के चमत्कारों की जितनी चर्चा इस देश में सुनी जाती है और उन पर जितना अधिक विश्वास किया जाता है, उसकी तुलना किसी अन्य देश में मिल सकनी कठिन है। थोड़े से देश प्रसिद्ध सन्तों की बात छोड़ दीजिये, यहाँ किसी छोटे से नगर या कस्बे में भी एकाध ऐसे साधु मिल ही जायेंगे जिनके विषय में लोग चमत्कारों की चर्चा करते हों। यद्यपि इन बातों में बहुत सी अतिशयोक्ति पूर्ण होती हैं और बहुत से व्यक्ति जान-बूझकर जनता को बहकाने के लिये भी ऐसी बातों को फैलाया करते हैं, पर चमत्कारों की बातें सर्वथा निराधार या बनावटी हैं यह कहने का साहस भी कोई नहीं कर सकता। क्योंकि अनेक चमत्कार ऐसी परिस्थितियों में देखे जाते हैं कि उनको बिल्कुल गलत कोई नहीं कह सकता। उदाहरण-स्वरूप हम इसी 21 मई 1959 के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक खबर यहाँ दे रहे हैं—

“नई दिल्ली 21 मई। आज सायंकाल श्री शिव अवतार शर्मा नामक व्यक्ति ने राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद के समक्ष “दिव्य दृष्टि” का सफल प्रयोग किया। राष्ट्रपति ने एक कमरे में कुछ पंक्तियाँ लिखी तो दूसरे कमरे में श्री शिवअवतार शर्मा ने वे सारी की सारी पंक्तियाँ ज्यों की त्यों लिखकर दिखा दीं। राष्ट्रपति इस दिव्य दृष्टि के प्रयोग से अत्यधिक “प्रभावित हुये तथा श्री शर्मा को सलाह दी कि वे इस आध्यात्मिक विज्ञान को विकसित करने का प्रयत्न करते रहें।”

इसी प्रकार कुछ वर्ष पहले एक व्यक्ति ने दिल्ली के प्रसिद्ध बिड़ला भवन में अनेक आदरणीय व्यक्तियों तथा नेताओं के समक्ष ताँबे का सोना बना दिया था और एक साधु ने एक पूरी नम्बरी ईंट को मिश्री बना कर दिखा दिया था। आग पर चलने के प्रदर्शन तो प्रतिवर्ष अनेक स्थानों में किये जाते हैं। इस तरह के अनगिनत चमत्कार अथवा ऐसे कृत्य जिनका कारण एक बुद्धिमान व्यक्ति की समझ में नहीं आता, सदा सुनने और देखने में आते रहते हैं।

पर भारतवर्ष के बाहर भी ऐसे चमत्कारों की बातें प्रायः सुनने में आती हैं। ईसाई धर्म के प्राचीन ग्रन्थों में तो ऐसी सैंकड़ों घटनायें दी गई हैं और करोड़ों ईसाई उनको पूर्णतः सत्य मानते हैं। ईसाइयों की बाइबिल में लिखा है कि एक प्रसिद्ध महात्मा एलिक्षा ने एक मृत बालक को पुनर्जीवित किया था। इन्हीं महात्मा के पास एक विधवा स्त्री आई और आर्तस्वर से कहने लगी कि मेरे ऊपर एक महाजन का ऋण हो गया है जिसके बदले में वह मुझे और मेरी सन्तानों को बेच डालने का भय दिखा रहा है। आप इस भयंकर विपत्ति से मेरी रक्षा करें। महात्मा ने पूछा कि तुम्हारे घर में तुम्हारी कोई निजी संपत्ति है या नहीं। विधवा ने उत्तर दिया “एक छोटे से बर्तन में केवल थोड़ा सा तेल है।” महात्मा ने कहा “जाओ अपने पड़ोसियों के यहाँ से जितने बड़े-बड़े बर्तन मिल सकें माँग लाओ और अपने उस बर्तन से तेल ढाल-ढाल कर सब बर्तनों को भर दो। देखोगी कि जितना तेल निकाला जाता है उतना ही बढ़ता जाता है। सब बर्तन भर जायेंगे। उस तेल को बेच कर ऋण चुका देना, जो कुछ बच जाय उसे अपने निर्वाह को रख लेना ।” ऐसा ही हुआ और विधवा ने ऋण की विपत्ति से छुटकारा पा लिया। ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के बारे में तो ऐसी सैंकड़ों घटनाएँ बाइबिल में दी गई हैं। ऐसी प्राचीन बातों को प्रमाणित करना तो सम्भव नहीं होता, पर जो कुछ बातें उनके सम्बन्ध में सुनने में आई हैं, उनसे यही विदित होता है कि ईसामसीह में जन्म से ही एक योगी पुरुष होने के लक्षण मौजूद थे, और जैसे अब भी बहुत से व्यक्ति स्वभावतः चमत्कारी शक्ति प्रदर्शित करने वाले मिल जाते हैं, उसी प्रकार ईसामसीह में भी ऐसी शक्ति थी जिससे वे असम्भव समझे जाने वाले अनेक कार्य कर सकते थे। संभव है उन्होंने साधना करके इस शक्ति को विशेष रूप से विकसित भी किया हो। कहा तो यहाँ तक जाता है कि उन्होंने भारतवर्ष में आकर योग की शिक्षा प्राप्त की थी। कुछ भी हो बाइबिल के अनुसार उन्होंने केवल हाथ से छूकर कितने ही लोगों का कोढ़ रोग दूर कर दिया, जन्मान्धों को दृष्टि प्रदान की, पाँच जौ की रोटियों से पाँच हजार व्यक्तियों को भोजन कराया और कई मृत व्यक्तियों को पुनर्जीवन प्रदान किया। ईसा के समकालीन एक एपोलिनियस नामक योगी थे। उन्होंने भारतवर्ष आकर सद्गुरु से योग शिक्षा प्राप्त की थी। उनके साथी शिष्य उनकी यात्रा का तथा शिक्षा का विवरण लिख कर रखते चले जाते थे और वे बातें अब भी एपोलिनियस के जीवन-चरित्रों में मिलती हैं। वे योगबल से भूत, भविष्यत् की घटनाओं को स्वच्छ दर्पण के प्रतिबिम्ब की तरह देख सकते थे। उन्होंने भी कई मृत व्यक्तियों को जीवित किया था।

स्पेन देश के “महात्मा इसीडोर” में असाधारण विभूतियाँ थीं। वैसे वे एक साधारण किसान थे। एक बार सारे दिन परिश्रम करने के बाद शाम को अपनी कुटी में आकर देखा कि एक दरिद्र यात्री अन्न की आशा से उसके दरवाजे पर बैठा है। महात्मा ने अपनी स्त्री से उस आदमी के लिये कुछ लाने के लिये कहा, परन्तु घर में कुछ भी न था। इसीडोर ने फिर कहा कि “भीतर जाकर देखो कि अन्न पात्र कुछ है या नहीं?” स्त्री ने उत्तर दिया कि मैं अभी तो उसे धो माँज कर रख कर आई हूँ, उसमें कुछ भी नहीं है। तब उन्होंने स्त्री से कहा कि उस बर्तन को तुम मेरे पास ले आओ। स्त्री जब घर में बर्तन लाने गई तो वह उसे बहुत भारी जान पड़ा। जब उसने ढक्कन उठाया तो देखा कि पात्र तुरन्त पके हुये उष्ण और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ से परिपूर्ण है। उसने उसके द्वारा भूखे अतिथि को भरपेट भोजन कराया—फिर भी वह समाप्त नहीं हुआ।

ईसाई धर्म-साहित्य में ‘एग्निस’ नाम की साधिका की योग विभूतियों का वर्णन बहुत प्रसिद्ध है। एक दिन दो साधु उससे मिलने आये। बहुत देर तक आपस में आध्यात्मिक जीवन के विषय में बातचीत होती रही। अन्त में साधिका ने दोनों साधुओं को भोजन के लिये बैठाया। भोजन परोसने के पहले ही साधुओं ने देखा कि अकस्मात् एक थाली मेज के ऊपर आ गई। उसमें एक सुन्दर खिला हुआ गुलाब का फूल था। साधिका ने कहा—”बाबा जी” प्रभु ईसा ने दया करके भयंकर शीतकाल में जब पृथ्वी के बगीचों के सभी पुष्प नष्ट हो गये हैं, स्वर्ग के बगीचे से इस गुलाब को हमारे पास भेजा है। आप लोगों से बात करने से मेरे हृदय में जो आनन्द और तृप्ति का संचार हुआ है, यह उसी का निदर्शन है। “दोनों साधु इस विचित्र घटना को देख कर बड़े विस्मित हुये और अपने स्थानों को लौट गये । इसी साधिका ने पर्वत शिखर पर एक रमणीक विहार, बनवाया था, जिसमें 200 तपस्विनी साधिकाएँ उसके साथ रहती थीं। एक बार तीन दिन तक घर में अन्न नहीं रहा। सब लोगों ने उपवास किया। एग्निस ने प्रार्थना की—”प्रभु! तुम्हारे ही आदेश से मैंने इस विहार को बनवाया था। अब तुम क्या यह चाहते हो कि तुम्हारी सेविकाएँ अन्न के बिना प्राण त्याग दें। प्रभु! हमारे लिये अन्न की व्यवस्था करो अन्यथा हम सब मर जायेंगी। हम लोगों के लिये पाँच रोटियाँ भेज दो। स्वामिन्! हमारी आवश्यकताएँ बहुत ही साधारण हैं, परन्तु तुम्हारी शक्ति तो असाधारण है।” फिर उसने एक तपस्विनी से कहा—”जाओ बहिन ऊपर जाकर रोटी उठा लो, उसे प्रभु ईसा ने अभी भेजा है।” एक रोटी लाकर मेज पर रक्खी गई वह एक विचित्र वस्तु थी। उसमें से जितनी खाई जाती थी उतनी ही अलक्ष्य रूप से वह बढ़ जाती थी। बहुत दिनों तक आश्रम के सब लोगों की भूख उसी से निवृत्त होती रही।

भारतवर्ष के योगियों के चमत्कारों से तो अठारह पुराण भरे पड़े हैं। प्राचीनकाल के ऋषि, मुनि तथा अन्य सभी साधक अधिकांश कार्यों की पूर्ति योगशक्ति से ही किया करते थे। विद्या के ऐतिहासिक युग में भी शंकराचार्य जी के योगबल की कथाएँ अनेक ग्रन्थों में लिपिबद्ध हैं। मण्डन मिश्र की स्त्री से शास्त्रार्थ करने के लिये उन्होंने परकाया प्रवेश किया था, नर्मदा के जल को बहने से रोक दिया था, आकाश मार्ग से गमन किया था आदि। बुद्ध के शिष्य मौद्गल्यायन और पिण्डोल ने भी राजगृह में ऐसा चमत्कार दिखाया था। वहाँ एक सेठ ने 60 हाथ ऊँचे बाँस पर एक कमण्डल टाँग दिया था और यह घोषणा करवा दी थी कि यदि कोई सच्चा अर्हत (आत्म-ज्ञानी)हो तो उसे आकाश मार्ग से आकर ग्रहण करे। इस प्रकार की बात जब मौद्गल्यायन और पिण्डौल के कानों में पहुँची और उन्होंने जंगल में शिकारियों को यह चर्चा करते सुना कि “आज कल कोई अर्हत नहीं है, जो हैं वे सब दिखावटी और कपटी हैं” तो उनको इसमें अपने गुरु तथा धर्म का अपमान जान पड़ा और उन्होंने शून्य-मार्ग से जाकर कमण्डल को बाँस से उतार लिया। इस पर जनता में उनकी बड़ी प्रशंसा फैल गई, पर बुद्ध भगवान ने उनको डाँट दिया और अपने संघ में सबको यह आज्ञा दे दी कि भविष्य में लौकिक कार्य के लिये कोई ऐसा योग शक्ति का चमत्कार न दिखलावे।

इस प्रकार के अनगिनत चमत्कार भारतवर्ष के धर्म-ग्रन्थों में भरे पड़े हैं। यहाँ ऐसा कोई महापुरुष शायद ही मिले जिसके नाम के साथ चमत्कारों की चर्चा न हो। मन चाही चीजों को एक क्षण में मँगा देना, पदार्थों का परिमाण बढ़ा देना, रोगियों को अच्छा कर देना, सोने, चाँदी, रत्न आदि की वर्षा करा देना आदि बातें तो यहाँ साधारण साधकों के कार्य माने जाते थे। यहाँ तो योग की सिद्धियों द्वारा पर्वतों, नदियों, समुद्रों को ही नहीं, सूर्य और चन्द्रमा तक को अधिकार में किया जा सकना और इच्छानुसार चलाया जा सकना संभव माना गया है। पर आत्म ज्ञान की दृष्टि से इस प्रकार का बड़े से बड़ा चमत्कार भी महत्वहीन समझा जाता है और उसे लाभदायक होने के बजाय आत्म-विकास के लिये हानिकारक माना जाता है। इसलिये सच्चे सन्त पुरुष धर्म-रक्षा का प्रश्न उपस्थित होने के सिवाय अन्य अवसरों पर कदापि योग शक्ति का प्रयोग चमत्कारों के लिये नहीं करते।

First 17 19 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • निर्माण के हम गीत गाएँ
  • निर्माण के हम गीत गाएँ (kavita)
  • अध्यात्मवाद और हमारी सामाजिक दुर्बलता
  • आत्म-ज्ञान द्वारा सच्चे सुख की प्राप्ति
  • स्वार्थ-भाव को मिटाने का व्यवहारिक उपाय
  • गृहस्थ में रहकर ही मुक्ति प्राप्त कीजिये
  • संसार की वर्तमान परिस्थिति और वेदान्त
  • क्या हम फिर जन्म न लेंगे?
  • भावनायोग द्वारा दिव्य दृष्टि
  • मन की अपार सामर्थ्य
  • Quotation
  • ध्यान और प्रार्थना से आत्म विकास
  • ईश्वर प्राप्ति के दस वेदोक्त साधन
  • क्या सन् 1962 में विश्वयुद्ध की आग भड़केगी
  • गुरु के द्वारा आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति
  • Quotation
  • भारतीय योग की अलौकिक सिद्धियाँ
  • देश-विदेश के योगियों के अद्भुत चमत्कार
  • मन्त्र शक्ति का अद्भुत चमत्कार
  • मानसिक बल और उसका विकास
  • Quotation
  • उज्ज्वल भविष्य का शुभ चिन्ह
  • Quotation
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj