Magazine - Year 1965 - Version 2
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Language: HINDI
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घर-घर में युग-निर्माण पुस्तकालय स्थापित हों!
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जन-जीवन की मनोभूमि में उत्कृष्टता एवं आदर्शवादिता का समावेश करने के लिए बीस नया पैसा सीरीज की अत्यन्त सस्ती ट्रैक्ट माला का आरम्भ किया गया है। इसकी पहली किस्त गत जून मास में 10 “विवाहोन्माद विरोधी” पुस्तिकाओं के रूप में प्रकाशित की गई थी। हिन्दू समाज में फैले हुए विवाहों के नाम पर उन्माद पर गहरी चोट इन पुस्तिकाओं ने की है।
अब दूसरी किस्त 20 नये ट्रैक्टों की इस मास प्रकाशित हुई है। प्रचलित दुष्प्रवृत्तियों पर इन ट्रैक्टों में और भी अधिक करारे प्रहार किये गये हैं। नव-निर्माण के लिये हमें अपनी एक-एक त्रुटियों और दुर्बलताओं को ढूँढ़ना होगा और उनमें से हर एक का कठोरतापूर्वक उन्मूलन करना होगा। इस दिशा में यह 20 पुस्तकों का सैट सब प्रकार उपयोगी सिद्ध होगा। इस मास प्रकाशित 20 ट्रैक्टों के नाम नीचे दिये गए हैं। मूल्य प्रत्येक का 20-20 नया पैसा है।
(1) हम भाग्यवादी नहीं, कर्मवादी बनें!
(2) अन्ध-विश्वासों से लाभ कुछ नहीं, हानि अपार है।
(3) ब्राह्मण अपना उत्तरदायित्व सँभालें!
(4) साधु की महान् परम्परा और जिम्मेदारी
(5) आलस छोड़िए- परिश्रमी बनिए!
(6) अन्ध-विश्वासी नहीं, विवेकशील बनिए!
(7) भिक्षा-व्यवसाय, देश और समाज का कलंक
(8) मन्दिर जन-जागरण के केन्द्र बनें!
(9) उनसे- जो पचास वर्ष के हो चले।
(10) स्वच्छता- मनुष्य का प्रथम गुरुमन्त्र
(11) दर्शन तो करें- पर इस तरह
(12) पक्षपात त्यागें, औचित्य अपनावें!
(13) माँसाहार मानवता के विरुद्ध है!
(14) तमाखू- एक भयानक दुर्व्यसन
(15) प्राणियों के प्रति निर्दयता न करें!
(16) मृतक भोज की क्या आवश्यकता?
(17) अपव्यय का ओछापन
(18) अशिष्टता न कीजिए!
(19) ईमानदारी का परित्याग न करें!
(20) नारी को तिरस्कृत न किया जाय।
‘विवाहोन्माद विरोधी’ गत जून में प्रकाशित ट्रैक्टों के नाम निम्नलिखित हैं। मूल्य इनका भी बीस-बीस नया पैसा है।
(1) आदर्श-विवाहों का प्रचलन कैसे हो?
(2) इस हृदय-द्रावक स्थिति को कब तक सहा जाएगा?
(3) विवाह के आदर्श और सिद्धान्त
(4) विवाहोन्माद के लिये बुद्धि बेच क्यों दी जाय?
(5) यह कुरीतियाँ मिट रही हैं और मिटेंगी!
(6) आदर्श-विवाहों की रूप-रेखा
(7) तीन दिन का सत्यानाशी विवाहोन्माद
(8) विवाह-शादियों का असह्य अपव्यय
(9) विवाह का वातावरण धर्मानुष्ठान जैसा रहे!
(10) प्रगतिशील जातीय संगठनों की आवश्यकता।
इस प्रकार अब तक कुल 30 ट्रैक्ट प्रकाशित हो चुके हैं। जेष्ठ तक 30 ट्रैक्ट और भी इस सीरीज के अंतर्गत छप जाने की आशा है। यह ट्रैक्ट हममें से हर एक के पास रहने चाहिए। इन पुस्तकों से धीरे-धीरे घर में एक ऐसे पुस्तकालय का सृजन होता चलेगा जो उस परिवार के निर्माण में महत्वपूर्ण योग देगा। इन पुस्तकों को अपने परिचित लोगों को पढ़ने देने और वापिस लाने का धर्म-प्रचार कार्य भी हममें से हर एक को करना चाहिए।
एक घन्टा समय और एक आना नित्य नव-निर्माण के लिए खर्च करते रहने का जो संकल्प परिवार के सक्रिय सदस्यों ने किया है, उसका उपयोग इन ट्रैक्टों को मँगा कर अपनी घरेलू लाइब्रेरी स्थापित करने एवं उन पुस्तकों को अधिकाधिक लोगों को पढ़ाने-सुनाने के लिए करना चाहिए। आशा है अखण्ड-ज्योति के सभी सदस्यों के घरों में युग-निर्माण पुस्तकालय स्थापित किये जायेंगे और उसके लिये इन ट्रैक्टों से शुभारम्भ किया जायगा।
अखण्ड-ज्योति संस्थान, मथुरा।