Magazine - Year 1968 - Version 2
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Language: HINDI
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भविष्य-दर्शन का विज्ञान
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प्राचीन और नवीन इतिहास तथा अनेक जीवन-वृत्तों से यह प्रकट होता है कि भविष्य-दर्शन की घटनायें सदा से, सब देशों में और सब श्रेणियों के व्यक्तियों के साथ होती आई हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हो चुकी हैं और बहुसंख्यक अप्रकट ही रह जाती हैं।
इस प्रकार की रहस्यमय घटनाओं और स्वप्न आदि का कोई उचित समाधान कारक उत्तर न पाने से मनोविज्ञान और ‘पैरा साइकोलॉजी’ आदि के ज्ञाता इस विषय इस विषय की गम्भीरतापूर्वक जाँच करने लगे हैं। अमरीका और इंग्लैण्ड के मनोविज्ञान शास्त्रियों ने सन् 1955 में न्यूयार्क और लन्दन में ‘मनोवैज्ञानिक घटनाओं की खोज’ करने वाली दो संस्थायें स्थापित की हैं। इनमें अभी तक 14000 ऐसी रहस्यमय घटनाओं का विवरण इकट्ठा किया जा चुका है। यह विवरण अमरीका तथा अन्य कितने ही देशों के स्त्री पुरुषो ने स्वयं लिखकर भेजा है और इसकी सचाई के प्रति अपना पूरा विश्वास प्रकट किया है।
इन घटनाओं में अधिकांश दूरवर्ती समाचारों का ज्ञान, दिव्य दर्शन, पूर्वज्ञान से सम्बन्धित हैं। वे जागृत,अर्द्धजागृत और निद्रित दशा में अनुभव की गई हैं। पर प्रायः सभी घटनायें आकस्मिक रूप से अनुभव में आकर चन्द मिनट में समाप्त हो गईं। इसलिये वैज्ञानिक प्रयोगशाला के नियमानुसार उनकी जाँच करना सम्भव नहीं। ऐसी भविष्य-सूचक घटनाओं में सबसे अधिक संख्या स्वप्नों की ही है। उन्हीं के द्वारा मनुष्यों को दूरवर्ती स्थानों के समाचार या भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास मिला है।
इस प्रकार की भविष्य दर्शन (प्रीकोगनिशन) की घटना प्रायः तब होती हैं, जब कोई बड़ी दुर्घटना या मृत्यु संकट शीघ्र ही आने वाला होता है। अधिकांश लोगों के लिये ऐसा अवसर जीवन में एकाध बार ही आता है और वह भी ऐसे आकस्मिक और निराले ढंग से कि व्यक्ति उसके कारण के सम्बन्ध में कुछ अनुमान ही नहीं कर सकता। किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु की सूचना इस रीति से अनेक व्यक्तियों ने हफ्तों या महीनों पहले भी मिल जाती है। यद्यपि ये घटनायें प्रायः ऐसे सामान्य व्यक्तियों द्वारा देखी जाती हैं, जिनको कोई महत्व नहीं दिया जाता। तो भी यह समस्या बनी ही रहती है कि उनकी किसी घटना का पूर्वज्ञान किस प्रकार हो जाता है? इस सम्बन्ध में इस क्षेत्र में खोज बीन करने वाली एक अमरीकन महिला डा. लुइसा ई. राइन ने अपनी पुस्तक ‘ट्रेसिंग हिडन चैनल्स’ (गुप्त स्रोतों की खोज) में लिखा है कि “पूर्व दर्शन की घटनायें यद्यपि संख्या में बहुत अधिक होती हैं, पर आश्चर्य यह है कि वे कैसे घट जाती हैं?” फिर लेखिका स्वयं ही उत्तर देती है कि “ये घटनायें किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन के किसी बहुत छोटे अंश से सम्बन्धित होती हैं, चाहे वह देर से सिर के ऊपर मँडराती हुई हों और चाहे रास्ता चलते-चलते किसी सवारी गाड़ी से टकरा जाने जैसी सर्वथा आकस्मिक। इस प्रकार की घटनायें सर्वांगपूर्ण नहीं होती और न उनका जीवन से पूरी तरह सम्बन्ध होता है। कुछ ही लोग अपनी देखी घटनाओं पर ऐसा विश्वास रखते हैं कि उनका सम्बन्ध उनके समग्र जीवन से है।”
श्रीमती राइन ने आगे चलकर कहा है- ‘‘इस प्रकार की ‘पूर्व दर्शन’ (प्रीकोगनिशन) में एक मिलती जुलती विशेषता यह होती है कि वे प्रायः सब की सब व्यक्ति सम्बन्धी ही होती हैं। राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय पैमाने की घटनाओं का पूर्व दर्शन शायद ही कभी किसी को होता है। अधिकाँश में लोगों को अपने निकट सम्बन्धियों के सम्बन्ध में ही होनहार घटनाओं का अनुभव होता है।”
पर फिर भी अनेक घटनायें ऐसी होती हैं और अनेक बार इस विद्या के अभ्यासी ऐसा अकाट्य प्रमाण देते हैं कि वैज्ञानिकों को भी चुप रह जाना पड़ता है। अमरीका की ‘मनोविज्ञान की खोज करने वाली संस्था’ ने जो चौदह हजार उदाहरण इकट्ठे किये हैं, उनमें से कई ऐसे हैं जिनमें घोर अविश्वासियों को भी ‘पूर्व-दर्शन’ की सत्यता को स्वीकार करनी पड़ी। उनमें से ‘चाय के प्याले में तूफान’ शीर्षक घटना में कहा गया है-
“सेन डियागो (कैलीफोर्निया-अमेरिका) का पुलिस सुपरिंटेंडेंट वाल्टर जे. मेसी जब एक दिन अपने दफ्तर से लौटकर घर जा रहा था तो रास्ते में अपनी पत्नी की सहेली श्रीमती हाफमैन के यहाँ ठहर गया। उस समय वाल्टर की पत्नी भी वहाँ आई हुई थी और उसी को लेने के लिये वह गाड़ी से उतर पड़ा था। श्रीमती हाफमैन ने उससे चाय पीने के लिये कहा। बातों ही बातों में श्रीमती हाफमैन कह बैठी- वाल्टर! अगर तुम पसन्द करे तो मैं तुम्हारे चाय के प्याले को देखकर किसी होनहार घटना की सूचना दे सकती हूँ।”
वाल्टर सोलह वर्ष से पुलिस के महकमे में काम कर रहा था और उसे रात-दिन बड़े-बड़े चालाक ठग और जालसाज लोगों के अँगूठे और उंगलियों के निशान देखकर उनका पता लगाना पड़ता था। इसलिये वह ऐसी ‘दैवज्ञता’ की बातों पर जरा भी विश्वास नहीं करता था। तो भी मनोरंजन की दृष्टि से उसने अपना प्याला मिसेज हाफमैन को दे दिया। उसे देखते-देखते उसका चेहरा पीला पड़ गया और उसने बड़े भयभीत स्वर में कहा मैं इस प्याले में मृत्यु को देख रही हूँ। “दो मौतें होंगी- उनमें से एक नागरिक है, जोकि गोली से इस तरह मारा गया है कि उसका बदन छलनी हो गया है। दूसरा आदमी व्यापारी है, उसने वर्दी और काले जूते भी पहन रखे हैं।”
यद्यपि वाल्टर घोर अविश्वासी था पर श्रीमती हाफमैन की मुखाकृति को देखकर वह प्रभावित हो गया और दूसरे दिन उसने इसका जिक्र अपने अफसर ‘जो डोरन’ से किया, वह उससे भी बढ़कर अविश्वासी था और उसने वाल्टर की खूब हँसी उड़ाई। पर जैसा श्रीमती हाफमैन ने कहा था, आगामी रविवार को जब एक लुटेरे ने ‘कैलीफोर्निया थियेटर’ में घुसकर उसके मैनेजर की हत्या कर डाली और पीछा करने एक पुलिस सारजैण्ट को घायल कर दिया तो, वे सब चकित रह गये। पुलिस वाले बराबर लुटेरों का पीछा करते रहे और उनमें से एक को तहखाने में छुपा पाकर गोलियों से छेद डाला। उसका बदन छर्रों के मारे वास्तव में छलनी हो गया था।”
दो घटनायें अमरीकन इतिहास से संग्रह की गई हैं। वहाँ 28 फरवरी 1844 को एक बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम होने को था। ‘यू.एस.एस. प्रिन्सटन’ नाम का एक नया और सबसे बढ़िया युद्धपोत बनकर तैयार हुआ था और उसके उद्घाटन के अवसर पर उसके कप्तान राबर्ट स्टाक्टन ने अनेक गण्यमान व्यक्तियों को समारोह में निमन्त्रित किया था। इनमें कर्नल डेविड गार्डिनर, उनकी पुत्री जूलिया, जलसेना के सेक्रेटरी थामस गेलमर व उनकी पत्नी एनी भी सम्मिलित थे।
इन दोनों महिलाओं ने 27 दिनाँक की रात्रि को ऐसे स्वप्न देखे जिनमें जूलिया के पिता और एनी के पति की मृत्यु का स्पष्ट संकेत था। इससे भयभीत होकर जूलिया ने अपने पिता से इस समारोह में सम्मिलित न होने का अनुरोध किया। इसी प्रकार एनी ने भी अपने पति को बहुत रोका। पर उन दोनों ने स्वप्न की बातों को अधिक महत्व देना ठीक नहीं समझा और वे जहाज पर चले गये। वहाँ जब एक तोप को समुद्र की ओर चलाया गया तो वह अकस्मात् फट गई और कर्नल गार्डिनर तथा थामस गेलमर, जो पास खड़े थे तुरन्त मर गये।
एनी भी वहीं थी, पर वह बच गई। शोक से अभिभूत होकर उसने कहा- “मेरी बात किसी ने क्यों नहीं मानी?” दुर्घटना के समय जूलिया डेक के नीचे थी और जब उसने अपने पिता की मृत्यु के बारे में सुना तो वह चिल्ला उठी- ‘‘मेरा सपना आखिर सच हो ही गया।”
बाद में यही जूलिया अमरीका के प्रेसीडेन्ट की पत्नी बन गई। उसे कुछ ऐसी शक्ति प्राप्त थी कि पति से सौ मील दूर रहने पर भी वह उसके सम्बन्ध में सब बातें जानती रहती थी। उनके मन इस प्रकार जुड़े थे कि एक की अनुभूति दूसरे को सहज में हो जाती थी। जनवरी 1862 में जब प्रेसीडेन्ट टेलर रिचमाण्ड में एक सरकारी जलसे में गये थे, एक रात को जूलिया ने स्वप्न में देखा कि उनका चेहरा मुर्दे की तरह पीला पड़ गया है, उनके हाथ में कमीज और टाई है तथा वे कह रहे है कि ‘मेरा सर थाम लो।’ सुबह होते ही जूलिया स्वयं रिचमाण्ड को रवाना हो गई और वहाँ प्रेसीडेन्ट को सकुशल देखकर उसे प्रसन्नता हुई। पर दूसरे दिन सुबह नाश्ता करते हुये उनकी हालत एकदम खराब हो गई और बेमौत के समय की-सी आकृति में जूलिया के कमर में घुसे। उनका कोट और टाई उनके हाथ में थी, जैसा स्वप्न में दिखाई पड़ा था। उन्होंने जूलिया से कुछ कहा भी पर वह स्पष्ट सुनाई नहीं दिया। कुछ घण्टों में उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई।
विज्ञानवादी आलोचक ऐसी घटनाओं का कोई कारण नहीं बतला सकते। वे तो बराबर यही कहते रहते हैं कि जो घटना अभी हुई नहीं उसका प्रभाव किसी पर कैसे पड़ सकता है? पर एक अध्यात्मवादी जानता है कि मानव-जीवन का निर्णय करने वाली मुख्य घटनायें सूक्ष्मजगत में पहले से ही घटती रहती हैं, बाद में वे स्थूल जगत में प्रकट होती हैं। इसलिये जिन लोगों को पूर्व-दर्शन की शक्ति किसी दैवी कारण से कुछ क्षणों के लिये प्राप्त हो जाती है, वे ऐसी घटनाओं अर्द्ध-जगत् अथवा स्वप्न की अवस्था में देख लेते हैं। इसके अतिरिक्त योगी और अभ्यास करने वाले भी अन्तरंग शक्ति से अन्तरिक्ष में मौजूद भविष्य के चिन्हों को देखकर समझ जाते हैं। यही भविष्य-दर्शन अथवा पूर्व-दर्शन का वास्तविक रहस्य है।