Magazine - Year 1988 - Version 2
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Language: HINDI
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ज्ञान सबसे बड़ा देवता
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दुर्भाग्य कभी आपके पीछे हाथ धोकर पड़ जाये, ऐसा लगने लगे कि कोई भी उपाय प्रगति पथ पर स्थिर रखने में समर्थ नहीं हैं। चारों और असफलता ही असफलता, अंधकार ही अंधकार प्रतीत हो रहा हैं तब आप महापुरुषों के ग्रंथ पढ़ें। उनके विचारों का नवनीत आपके जीवन में फिर से प्रकाश लायेगा, दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलेगा, प्रगति पथ पर यात्रा को सरल बनाएगा। कभी भी ऐसा अवसर आए तो ज्ञान देवता की ही शरण लें।
समस्त शक्तियां साथ छोड़ दे, मित्र, पड़ोसी, कुटुम्बी भी स्वार्थवश विरुद्ध हो जाए, जीवनपथ पर चलने के लिए आपको असहाय एकाकी छोड़ दें, तब उत्तम पुस्तकों को मित्र बनाकर आगे बढ़ें। एकाकी और असहायपन के बीच भी आपको मौन मैत्री व प्रकाश की वह किरण मिल जाएगी जो हाथ पकड़कर मार्ग दर्शन करती हुई निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंचा देगी।
देवालय टूटकर खण्डहर बन सकते हैं, गिरकर समय के साथ नष्ट हो सकते हैं, लेकिन उत्तम ज्ञान और सद्विचार कभी भी नहीं नष्ट नहीं होते। ज्ञान देवता का वरदान पाकर मानव निहाल हो जाता हैं। वह मानव से देवमानव बन जाता हैं। ज्ञान वह सीपी हैं जिसमें प्रवेश की मानव-जीवन मोती बन जाता हैं। इसीलिए मनीषी कहते हैं कि सद्ज्ञान की शरण लें।