Magazine - Year 1992 - Version 2
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Language: HINDI
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मोह के बन्धनों को समझा (Kahani)
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एक सेठ की बड़ी दुकान थी। पड़ोसी का बकरा हर दिन उस पर चढ़ने का प्रयत्न करता, पर युवक मालिक उसे मार कर भगाता रहता।
एक सिद्ध पुरुष उधर से गुजरे। दिव्य दृष्टि से इस घटना को देखा। उनने दुकान मालिक को बुलाकर कहा। यह बकरा तुम्हारा मृत पिता है। मोहवश अपना कारोबार देखने और रखवाली करने की दृष्टि से बार-बार आता है। उसका मन दुकान को हानि पहुँचाने का नहीं है। सुनने वालों ने मोह के बन्धनों को समझा।